गणतंत्र के स्‍पेशल 26: ‘राजपूताना राइफल्स’, भारतीय सेना की सबसे पुरानी राइफल रेजीमेंट… नाम सुनते ही थर्रा उठता है दुश्‍मन

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

नई दिल्‍ली 07 जनवरी 2024। शानदार रोबीली मूंछें इसकी पहचान हैं… उफान लेता जोश और जिनके अंदर होता है मौत से खेलने का जज्बा… ये हैं राजपूताना राइफल्स के जाबांज. जो इस बार गणतंत्र दिवस परेड में अपने जोशीले अंदाज में दिखेंगे. ये पलटन करीब 250 साल पुरानी है. इसके योद्धाओं ने हर युद्ध में वीरता के झंडे गाड़े हैं. यह भारतीय सेना की सबसे पुरानी राइफल रेजीमेंट है. इनका आदर्श वाक्य है वीर भोग्या वसुंधरा यानी वीर ही इस धरती का भोग कर सकता है जो इसकी रक्षा करने में सक्षम है। प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध में भी इस रेजीमेंट के जवानों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था. इस रेजिमेंट के जवानों ने फ्रांस, इजिप्ट, इराक, ईरान और पूर्वी अफ्रीका में बहादुरी के झड़े गाड़े. दोनों विश्व युद्ध में इस रेजीमेंट के करीब तीस हजार जवान शहीद हुए थे. दुनिया भर में राजपूताना राइफल्स के जवानों की वीरता की गाथाएं सुनाई जाती हैं।

भारतीय पलटन में पहला विक्टोरिया क्रॉस

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इस रेजीमेंट को 37 बैटल ऑनर मिले है, जो उस वक्त किसी भी रेजिमेंट की ओर से हासिल किये सबसे ज़्यादा वीरता के सम्मान थे. वीरता के लिए 6 विक्टोरिया क्रॉस से नवाजा गया. भारतीय पलटन में पहला विक्टोरिया क्रॉस भी राजपूताना राइफल्स को ही मिला. आजादी के बाद हुई सारी जंगों में इस रेजीमेंट ने हिस्सा लिया है।

1971 से कारगिल युद्ध तक…

पाकिस्तान के खिलाफ राजपूताना राइफल्स के जवानों ने शौर्य का इतिहास ही रच दिया है. 1971 की जंग में पूर्वी पाकिस्तान में दुश्मन के हथियार के डिपो पर कब्जा करके युद्ध का पासा पलट दिया. वहीं 1999 के कारगिल जंग में पहली जीत का सेहरा राजपूताना राइफल्स के सर बंधा. अपनी वीरता से इन्होंने तोलोलिंग की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाया और वहां तिरंगा फहराया।

राजपूताना राइफल्स, राजा रामचंद्र की जय…

राजपूताना राइफल्स में ज्यादातर जवान राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे इलाकों से आते हैं, जिनके लिये इज्जत और इकबाल बहुत मायने रखता है. इनमें राजपूत, जाट, अहीर और मुस्लिम लोग होते हैं. इसका रेजिमेंटल सेटर दिल्ली में ही है, जहां उनको लड़ने के तमाम गुर सिखाए जाते है. यहीं ये एक देशभक्त और पेशेवर सेना का हिस्सा बनते हैं. इनका युद्ध घोष है राजा रामचंद्र की जय. जब इस युद्धघोष के साथ राजपूताना राइफल्स के जवान आगे बढ़ते हैं, तो बड़े-बड़े दुश्मन हिम्मत हार जाते हैं। सेना को दूसरे क्षेत्रों में भी राजपूताना राइफल्स में कई उपलब्धियां का सेहरा दिया है. नीरज चोपड़ा जैसा ओलंपिक चैंपियन राजपूताना राइफल्स का ही हिस्सा है।

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