छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 12 नवंबर 2020। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा संसद समारोह’ को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की जन्म जयंती का यह दिन हम सभी को प्रेरणा देता है। यह इस बार इसलिए भी विशेष हो गया है क्योंकि इस बार की युवा संसद, संसद के सेंट्रल हॉल में हो रही है। इस हॉल में हमारी आजादी के निर्णय लिए गए।
उन्होंने सरकार की नीतियों में युवाओं को तवज्जो का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा कि देश में लागू की गई नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का फोकस बेहतर इंडीविजुअल के निर्माण पर है। यह पॉलिसी युवाओं के कौशल, समझ और फैसले को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
उन्होंने इस मौके पर वंशवाद की राजनीति पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश का सबसे बड़ा दुश्मन राजनीतिक वंशवाद है। इसे जड़ से उखाड़ना है। अब सरनेम के सहारे चुनाव लड़ने वालों के दिन लद गए हैं।
‘युवाओं के भाषण ट्वीट करूंगा’
उन्होंने कहा कि मन में कल्पना कीजिए, जिस जगह पर देश के वे महापुरुष बैठे थे, उस जगह आप बैठे हैं। देश से आपको कितनी अपेक्षाएं हैं। मैं समझता हूं कि आज यहां बैठे युवा साथियों को यह अहसास हो रहा होगा। यहां जब मैं आपको सुन रहा था, तब विचार आया कि आपके भाषण अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करूंगा, ताकि देश को पता चले कि संसद के इस परिसर में हमारा भावी भारत कैसे आकार ले रहा है। मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात होगी।
मोदी ने कहा कि आप देखते होंगे कि भारत का शायद ही ऐसा कोई गांव हो, शहर हो, व्यक्ति हो जो खुद को स्वामी विवेकानंद से जुड़ा महसूस न करता हूं। स्वामी जी ने देश को उसके सामर्थ्य को राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि जो आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, वे कहीं न कहीं स्वामी जी से प्रेरित थे। उनकी गिरफ्तारी के समय स्वामी जी का साहित्य उनके पास जरूर मिलता था।
‘विवेकानंद का चिंतन हमारी भावनाओं में’
PM ने कहा कि समय गुजरता गया, देश आजाद हो गया, लेकिन हम आज भी देखते हैं कि स्वामी जी हमारे बीच ही होते हैं। हर पल प्रेरणा देते हैं। उनका चिंतन हमारी भावना में नजर आता है। राष्ट्र को लेकर उन्होंने जो कहा, जन सेवा से जग सेवा का भाव हमारे मन मंदिर में हैं।
मेरा विश्वास है कि आप युवा साथी भी कहीं विवेकानंद की तस्वीर देखते होंगे, तो आपका मन श्रद्धा के भाव से झुकता होगा। स्वामी ने एक और उपहार दिया है। व्यक्तियों के निर्माण का, संस्थाओं के निर्माण का। हम अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि स्वामी विवेकानंद ने ऐसी संस्थाओं को आगे बढ़ाया जो व्यक्तियों के निर्माण आज भी कर रही हैं।
व्यक्तियों से संस्थाओं का निर्माण और संस्थाओं से व्यक्तियों का निर्माण का यह क्रम लगातार चल रहा है। इंडीविजुअल से इंस्टीट्यूशनल और इंस्टीट्यूशनल से फिर इंडीविजुअल। आज आप इंटरप्रेन्योरशिप के बारे में खूब सुनते हैं। यहां भी यही चक्र चलता है।
‘युवाओं के लिए ईको सिस्टम बनाया जा रहा है’
मोदी ने सरकार की योजनाओं के बारे में बताया कि युवा अपनी प्रतिभा के अनुसार खुद को विकसित कर सकें, ऐसा ईको सिस्टम बनाया जा रहा है। इन बातों को केंद्र में रखा जा रहा है। स्वामीजी का फोकस उस बात पर भी था और वह यह कि वे शारीरिक के साथ मानसिक ताकत पर भी बल देते थे। आज फिट इंडिया मूवमेंट हो, योग हो और स्पोर्ट्स से जुड़े इवेंट। ये युवा साथियों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत कर रहे हैं।
पर्सनालिटी डेवलपमेंट का उनका मंत्र था, बिलीव युअर सेल्फ, यानी खुद पर भरोसा करो। वे कहते थे पुराने धर्मों के अनुसार नास्तिक वह है जो ईश्वर में भरोसा नहीं करता, लेकिन नया धर्म कहता है कि नास्तिक वह है जो खुद पर भरोसा नहीं करता।
‘देश को आत्मनिर्भर बनाना युवाओं की जिम्मेदारी’
आज हम जितना स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानते हैं, उसमें बहुत बड़ा योगदान स्वामी शारदानंदजी का है। शारदानंदजी ने कहा था कि युवा ही वह नींव हैं जिस पर राष्ट्र का निर्माण होता है। देश पर आत्मनिर्भर बनाने का काम आप युवाओं को ही करना है। आप में से कुछ सोच सकते हैं कि अभी तो हमारी इतनी उम्र नहीं है।
साथियों जब लक्ष्य स्पष्ट हो तो उम्र मायने नहीं रखती। जानते हैं शहीद खुदीराम बोस फांसी पर चढ़े तब उनकी उम्र 17-18 साल थी। भगत सिंह फांसी पर चढ़े तब उनकी उम्र कितनी थी? सिर्फ 24 साल। उन्होंने सोच लिया था कि उन्हें देश की आजादी के लिए ही जीना है। देश के लिए ही मरना है।
हम उस काल खंड में जन्मे। मैं भी आजादी के बाद वाले काल खंड में जन्मा। हमें देश की स्वतंत्रता के लिए मरने का मौका नहीं मिला, लेकिन हमें आजाद भारत को आगे बढ़ाने का मौका मिला है। हमें यह मौका गंवाना नहीं है।
राजनीति को युवाओं की जरूरत
मोदी ने कहा कि आपके विकास की ऊंचाइयां और आजादी के सौ साल की उपलब्धियां दोनों कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। अपना समय देश की सेवा को दीजिए। विवेकानंदजी कहते थे यह सदी युवा पीढ़ी की सदी है। वह कहते थे कि हमारे युवाओं को आगे आकर राष्ट्र का भाग्य विधाता बनना चाहिए। इसलिए आपकी जिम्मेदारी है कि भारत के भविष्य को निर्धारित करें।
पॉलिटिक्स देश को आगे ले जाने का सशक्त माध्यम है। युवाओं को इसकी बहुत जरूरत है। पहले यह धारणा बन गई थी अगर युवा राजनीति की तरफ बढ़ता था तो घर वाले कहते थे कि बच्चा बिगड़ गया। लड़ाई, झगड़ा, लूट, फसाद न जाने क्या-क्या लेवल लग गए थे।
‘कुछ लोग परिवार को मजबूत करने में लगे हैं’
PM ने कहा कि पहले भ्रष्टाचार ही कुछ लोगों की पहचान बन गया था। अब देश ईमानदारों को प्यार दे रहा है। ईमानदारों को अपनी ताकत दे रहा है, विश्वास दे रहा है। जनप्रतिनिधि भी समझने लगे हैं कि सीवी स्ट्रॉन्ग होना चाहिए। कुछ बदलाव अब भी बाकी हैं और यह बदलाव आपको ही करना है।
राजनीति में वंशवाद का रोग पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। अभी भी कुछ लोग पूरी ऊर्जा से अपने परिवार को ही मजबूत करने में लगे हैं। वंशवाद से आगे बढ़े लोगों को लगता है कि अगर उनकी पीढ़ियों के करप्शन का हिसाब नहीं हुआ तो उनका भी नहीं होगा। उन्हें न तो कानून पर भरोसा होता है और न ही कानून का डर होता है। इसे बदलने का जिम्मा युवा पीढ़ी पर है।
युवा पाने के इरादे से नहीं, कुछ बनने के लिए राजनीति में आएं। जब तक देश का सामान्य युवा राजनीति में नहीं आएगा, वंशवाद का यह जहर हमारे लोकतंत्र को कमजोर करता रहेगा। इस देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए आपका राजनीति में आना जरूरी है।
तीन विनर्स ने PM के सामने अपनी बात रखी
स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल के चुने गए 84 कैंडिडेट्स इस कार्यक्रम में शामिल हैं। पहले तीन विनर्स उत्तर प्रदेश की मुदिता मिश्रा, महाराष्ट्र की अयति मिश्रा और सिक्किम के अविनम को प्रधानमंत्री के सामने बोलने का मौका मिला। इस दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी मौजूद हैं।
यूथ पार्लियामेंट का आइडिया मन की बात से आया था
नेशनल यूथ पार्लियामेंट फेस्टिवल का मकसद 18 से 25 साल के नौजवानों को अपनी बात कहने के लिए मंच देना है। इसका आइडिया 31 दिसंबर, 2017 को प्रधानमंत्री के रेडियो कार्यक्रम मन की बात से आया था। इसके बाद पहला फेस्टिवल 12 जनवरी से 27 फरवरी, 2019 तक न्यू वॉयस ऑफ द न्यू इंडिया और फाइंड सॉल्यूशंस एंड कंट्रिब्यूट टू पॉलिसी थीम पर किया गया था। इसमें कुल 88 हजार युवाओं ने हिस्सा लिया था।
11 जनवरी को सेंट्रल हॉल में फाइनल हुआ
दूसरा फेस्टिवल बीते 23 दिसंबर से वर्चुअल मोड पर शुरू किया गया। पहले फेज में देश भर के 2 लाख 34 हजार युवा शामिल हुए। दूसरे फेस्टिवल का फाइनल 11 जनवरी को संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ। इसमें 19 नेशनल लेवल के विनर्स को नेशनल जूरी के सामने बोलने का मौका मिला। जूरी में राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली, लोकसभा सांसद परवेश साहिब सिंह और पत्रकार प्रफुल्ल केतकर शामिल थे।