छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
पटना 15 दिसंबर 2022। बिहार में नकली शराब पीकर मरने वालों की संख्या अब 39 हो चुकी है। इसे लेकर विधानसभा में गुरुवार को सीएम नीतीश कुमार का बयान भी आया। हालांकि, इससे पहले तक सरकारी तंत्र ने शराब से मौत नहीं स्वीकारने की बात कहता रहा। सारण के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र के मुताबिक, अस्पताल में 47 लोग भर्ती हैं। इनमें से कई लोगों में नकली शराब पीने के बाद होने वाले लक्षण देखे गए हैं। पीएचसी के डॉक्टर संजय कुमार ने बताया कि अस्पताल आए कई लोगों को देखने में समस्या आ रही थी। कई लोगों का इलाज जारी है। इसके अलावा कुछ लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर लक्षण और गंभीर होते हैं तो मरीजों को सदर अस्पताल रिफर किया जाएगा।
डीएम के ‘पोस्टमार्टम ऑर्डर‘ के लिए रात में पड़े रहे शव
सारण जिला मुख्यालय छपरा स्थित सदर अस्पताल में मौतों की पुष्टि होती रही और पोस्टमार्टम के लिए बुधवार को लाइन लगी रही। यह लाइन बुधवार शाम रुक गई। मौतें नहीं रुकीं। अमर उजाला रिपोर्टर के सामने रात 10 बजे तक मौतों का सिलसिला जारी रहा। जबकि, शाम छह बजे के बाद पोस्टमार्टम नहीं किया गया। शाम 6 बजे के बाद पोस्टमार्टम करने के लिए जिलाधिकारी का आदेश जरूरी होता है, लेकिन एक बार भी जिलाधिकारी सदर अस्पताल नहीं आए और न किसी ने उनसे आदेश लेने का प्रयास किया। नतीजा यह रहा कि जहरीली शराब से जान गंवाने वाले लोगों की लाशें सदर अस्पताल में सुबह तक पड़ी रहीं और वहीं आसपास उनके परिजन भटकते रहे। पटना जाने के रास्ते में मौत के बाद लौटे जय प्रकाश सिंह के शव के आसपास मिले परिजनों ने रोते हुए बताया कि इलाज भी यहां कुछ नहीं हुआ और मरने के बाद अब पोस्टमार्टम के नाम पर गुरुवार सुबह तक इंतजार करने कहा गया है।
सिविल सर्जन ने कहा- अंतिम समय में आए ज्यादा लोग
सोमवार शाम शराब पीने के बाद से लगातार लोगों की तबीयत बिगड़ रही थी। कई लोगों को उसी रात दिखना कम हो गया था। मंगलवार को कई लोगों को दिखना पूरी तरह बंद हो गया। फिर मौतों का सिलसिला शुरू हुआ, तब जाकर लोग अस्पताल पहुंचने लगे। शराबबंदी के केस में फंसने के डर से ज्यादातर लोग अस्पताल ही नहीं जा रहे थे। सिविल सर्जन ने कहा कि ज्यादातर लोग हालत बिगड़ने पर अस्पताल आए, इसलिए बचा पाना मुश्किल हो रहा था। एक-दूसरे की जानकारी के आधार पर समय रहते इन्हें ढूंढ़कर लाया जाता तो शायद कम जान जाती। जिसकी आंखों की रोशनी कई घंटे पहले चली गई, वह भी देर से आए। हालांकि, सिविल सर्जन के इस बयान से अलग परिजनों ने बातचीत में कहा कि अस्पताल पहुंचने के बाद भी इलाज की पर्याप्त सुविधा नहीं मिली। केस हाथ से निकलने लगा तो रेफर किया गया, जिसके कारण रेफर होने वाले भी कई लोग रास्ते में ही मर गए।