नक्सलियों ने किया चुनाव का बहिष्कार और ‘दण्डकारण्य राज्य’ की घोषणा
भागवत जायसवाल, बिलासपुर (म.प्र.)
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने 16 से 22 नवंबर 1998 के अंक में ‘नक्सली पुन: बिछाएंगे बारुदी सुरंग का जाल, फिर बहेगी खून की नदी’, नक्सलियों ने किया चुनाव का बहिष्कार और ‘दण्डकारण्य राज्य’ की घोषणा के शीर्षक से खुलासा किया था । मध्यप्रदेश की सबसे विशाल आदिवासी क्षेत्र एवं वनों का दीप कहे जाने वाला बस्तर आज खून से लथपथ हो गया है नक्सली आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार एवं उड़ीसा की सीमा से लगे हुए म.प्र. के पिछड़े आदिवासी इलाकों में भारी पैमाना में संगठित होने लगे हैं और पृथक ‘दण्डकारण्य राज्य’ की घोषणा के साथ अभी हो रहे 25 नवंबर 1998 की मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करते हुए अपने संगठन को अपने साथ जोडऩे के लिए स्कूल कॉलेज में जाकर संगठन तैयार करना शुरू कर दिये हैं। और वे अपने साथ जोडऩे के लिए विकास कार्य की योजना भी बना रहे हैं। इसे गति देने के लिए बस्तर जिला के सुदूर गांव झाबुमूड़ा के सीतापुर पहाड़ी में जहां सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती वहां पिछले 15 दिनों से हजारों नक्सलियों को प्रशिक्षण, राजसी ठाटबाट के तहत दिया गया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य चुनाव के दौरान भारी पैमाने पर हिंसा फैलाना व चुनाव का बहिष्कार कर मतदाता को मताधिकार से वंचित रखना तथा ‘दण्डकारण्य राज्य’ की स्थापना को आगे बढ़ाने के लिए यह बैठक किया गया है। इस बैठक की भनक 15-20 दिनों के बाद कांकेर जिले के पुलिस अधीक्षक पवनदेव को हुई तब पुलिस बल के साथ उक्त स्थानों के लिए रवाना हुये। पहाड़ी इलाका होने के कारण पुलिस को वहां पहुंचने में चार दिन लग गए। जिसकी भनक नक्सलियों को लगी और वे वहां से भाग निकलें इसी बीच पुलिस एवं नक्सलियों से मुठभेड़ हुई। अब तक नक्सलियों ने बारुदी सुरंग से 90 पुलिस कर्मी की हत्या की है 25 पुलिस कर्मी मुठभेड़ में, तथा 50 नक्सली मारे गए हैं। लगभग 75 नक्सली गिरफ्तार हैं। इन घटनाओं ने समस्या की विकरालता को उजागर कर दिया है। किन्तु इस समस्या को बढ़ाने का दोष केवल मध्यप्रदेश सरकार के सिर पर अकेले नहीं मढ़ा जा सकता। अपितु आंध्रप्रदेश,महाराष्ट्र, उड़ीसा, बिहार राज्य सरकारें एवं केन्द्र सरकार इसके लिए बड़ी सीमा तक दोषी है। हाल ही मे जगदलपुर में एक प्रेसवार्ता मे चुनाव आयुक्त जी.वी.जी.कृष्णमूर्ति ने स्वीकार किया कि हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों के प्रभावित क्षेत्र में हिंसा से इंकार नहीं किया जा सकता। ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने जो संकेत दिया था आखिर वो ही हुआ। नक्सली क्षेत्र के विधानसभाओं में चुनाव कराके लौट रहे अधिकारी – कर्मचारी एवं केन्द्रीय व राज्य सुरक्षाबल के जवानों को घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने अलग-अलग जगह बारुदी सुरंग तथा हमला से 50 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतारे। इसके अलावा बीजापुर (तमगांव) में पुलिस जवानों की दो जीपों को बारूदी सुरंग विस्फोट से उड़ाया, जिसमें एसडीओपी सहित 19 जवान शहीद हो गए थे ।