जप्त फ्लापी से खुली राजनेताओं, अधिकारियों की पोल
भागवत जायसवाल, बिलासपुर (म.प्र.)
‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने 10 से 16 अप्रैल 2000 के अंक में ‘केडिया डिस्टलरी में पड़े छापे का रहस्य कब उजागर होगा?’ जप्त फ्लापी से खुली राजनेताओं, अधिकारियों की पोल के शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था । जिसमें मध्यप्रदेश के सबसे बड़े तथा देश के शीर्षस्थ शराब निर्माता में एक केडिया डिस्टलरी समूह के मालिक कैलाश पति केडिया के भिलाई दुर्ग में स्थित डिस्टलरी के अलावा देश में फैले कार्यालय तथा घरों में एक साथ करीब 200 ठिकानों पर 28 फरवरी 1996 को आयकर विभाग द्वारा मारे गये छापे की कार्यवाही छ: माह तक चली। इस कार्यवाही में करोड़ों रूपए के कर चोरी और 180 बेनामी बैंक पास बुक, शेयर पत्र, 7-8 करोड़ रूपये नगद के साथ डायरी एवं कम्प्यूटर की फ्लापी बरामद हुई। जिसमें प्रदेश के 50 से भी अधिक वरिष्ठ राजनेताओं का नाम है। उसमे चार मुख्यमंत्री, कई मंत्रियों, विधायक, सांसद, केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा तीन दर्जन अधिकारी जिसमें पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर, जिला आबकारी अधिकारी आदि के साथ प्रदेश के प्रमुख पत्रकारों तथा दैनिक समाचार पत्र के सम्पादकों एवं अखबार मालिकों के भी नाम सूची में दर्ज है। और करोड़ों रूपए के अवैध लेनदेन संबंध जानकारी संचित है। जप्त फ्लापी की अनेक प्रतियां तैयार कर एवं डायरी को आयकर विभाग ने सी.बी.आई तथा केन्द्र सरकार के वरिष्ठ राजनेताओं को भेजवा दी है। ज्ञात हो कि उस समय केन्द्र में शासित देवगौड़ा सरकार एवं गुजराल सरकार की शासन अल्प समय तक ही चल पाई, जिसके कारण यह बड़ा घोटाला उजागर नही हो पाया। सूत्रों के अनुसार इस मामले को कोई भी पार्टी उजागर करना नही चाहती, क्योंकि इसमें भाजपा, कांग्रेस के अलावा अन्य राजनीतिक पार्टियों के वरिष्ठ नेता शामिल हैं। अगर अटल सरकार इस बड़े घोटाले को उजागर करती है तो ‘हवाला कांड’ से भी बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। इस खुलासे केे बाद अधिकारियों एवं राजनेताओं में भारी तहलका मच गया और इस मामले को दबाने में लग गए। क्योंकि चार मुख्यमंत्री, कई मंत्रियों, विधायक, सांसद, केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा तीन दर्जन अधिकारी जिसमें पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर, जिला आबकारी अधिकारी आदि के साथ प्रदेश के प्रमुख पत्रकारों तथा दैनिक समाचार पत्र के सम्पादकों एवं अखबार मालिकों के भी नाम सूची में दर्ज था।

