कोयला के खेल में बड़े-बड़े राजनेताओं के हाथ कालेे
भागवत जायसवाल, बिलासपुर (छ.ग.)
‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 21 से 27 नवंबर 2005 के अंक में ‘‘एस.ई.सी.एल के अरबों के कोयला घोटाले में सरकार की भूमिका संदिग्ध’’ कोयला के खेल में बड़े-बड़े राजनेताओं के हाथ कालेे के शीर्षक से आठवां बड़ा खुलासा किया था। जिसमेें एसईसीएल में 15 सालों से बड़े पैमाने पर हो रहे कोयला घोटाले के बारे में लिखा जाए तो कई ‘पोथियां’ भी कम पड़ जाएंगी। यहां सारे कानून को धत्ता बताकर सरकार को अरबों का चूना लगाने का काम बखूबी चल रहा है। इनके खिलाफ आवाज तो उठ रही है लेकिन उसे भी दबा दिया जाता है। जिस तरह से यहां अंधेरगर्दी मची हुई है वह अपने आप में हैरान करने वाली बात है। अरबों के इस खेल में बड़े-बड़ेे राजनीतिज्ञों, व्यापारियों एवं कोल माफियाओं द्वारा किस तरह निकाला जा रहा है देश का तेल? भ्रष्ट अधिकारी एवं कोल माफिया किस प्रकार नियंत्रण रखते हैं देश के कोयला मंत्री पर? फटाफट क्यों बदल जाते हैं कोयला मंत्री? कैसे मिलीभगत रहती है इनकी,‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 19 से 24 अप्रैल 2004 के अंक में ‘‘एस.ई.सी.एल में प्रति वर्ष 10 अरब का कोयला घोटाला, सिलसिला वर्षों से जारी’’ के शीर्षक से प्रथम खुलासा किया था। इसके बाद विभिन्न राष्ट्रीय पार्टी के दर्जन भर से अधिक सांसदों ने जिनमें सांसद रामाधार कश्यप, सांसद थामस हसंदा, सांसद गुरुदास दास गुप्ता, सांसद स्टीफन मंडावी, सांसद बी.पी. मेहता, सांसद मोतीउर्र रहमान, सांसद बागुन सुम्बरूई, सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, सांसद चन्द्रशेखर दुबे, आदि ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, कोयला मंत्री एवं सी.बी.आई को अलग-अलग पत्र लिखकर कहा था कि एस.ई.सी.एल बिलासपुर छत्तीसगढ़ के सी.एम.डी. एवं चर्चित कोल माफिया व भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा सालाना 10 अरब का कोयला घोटाला किया जा रहा है और यह सिलसिला 15 वर्षों से जारी है जिस पर शीघ्र कार्यवाही करने की मांग की थी। इस मामले को कांग्रेस नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने भी नई दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस कर एसईसीएल के इस घोटाले को उठाया और अटल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी सम्पूर्ण मामले की सी.बी.आई से जांच कराने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। तत्कालीन भाजपा विधायक व छत्तीसगढ़ शासन के केबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी इस मामले को विधानसभा में उठाया था। कोयला सचिव, पी.सी. पारेख ने भी सी.बी.आई के डायरेक्टर यू.एस.मिश्रा को पत्र लिखकर एस.ई.सी.एल के घोटाले की उच्चस्तरीय जांच के लिए कहा था। कोल इंडिया के मुख्य सर्तकता अधिकारी शशिप्रकाश ने भी कोयला सचिव को भेजे रिपोर्ट में घोटाले का खुलासा किया। इसके अलावा अनेक सांसदों और अधिकारियों के द्वारा कार्यवाही के लिए लिखे गए उन पत्रों और ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ को मिले दस्तावेजाें को 21 से 27 नवंबर 2005 के अंक में 6 पृष्ठों में ‘‘एस.ई.सी.एल के अरबों के कोयला घोटाले में सरकार की भूमिका संदिग्ध’’, के शीर्षक से प्रकाशित किया। इस सनसनीखेज खुलासा ने केंद्र सरकार,कोयला मंत्रालय एवं कोल इंडिया को सन्न कर दिया और भारी हडक़ंप मच गया। आनन-फानन में सीबीआई ने 22 नवंबर 2005 को गेवरा, दीपका, कुसमुंडा परियोजना आदि कोयला खानों के कांटाघरों , रेलवे साइडिंग कोयला लोडिंग, कोलवाशरी व परिवहन आदि संबंधित स्थानों पर जबलपुर एवं दिल्ली से आई लगभग 80-90 सीबीआई की टीम ने छापा मारा तथा सीबीआई टीम ने एस.ई.सी.एल मुख्यालय बिलासपुर में कोयला घोटाले से संबंधित बड़े पैमाने पर कागजात जब्त किए और 100 से भी अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों का स्थानांतरण किया, जिसमें से कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही भी हुई। इधर ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने खुलासा जारी रखा था।