195 कोल ब्लॉक 289 कंपनियों को आवंटित, 54 कोल ब्लॉक के लिए 97 कंपनियों को नोटिस
भागवत जायसवाल, बिलासपुर (छ.ग.)
‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 26 नवंबर से 02 दिसंबर 2012 के अंक में ‘‘लाखों करोड़ के कोल ब्लॉक घोटालेबाजों को बचाने में लगी सरकार’’ 195 कोल ब्लॉक 289 कंपनियों को आवंटित, 54 कोल ब्लॉक के लिए 97 कंपनियों को नोटिस, ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के पर्दाफाश से देश में मचा कोहराम के शीर्षक से तीसरा बड़ा खुलासा किया था । देश में लाखों करोड़ के कोल ब्लॉक घोटाले की आग लगी है और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की ईमानदारी धू-धू कर जल रही है। कोल ब्लॉक घोटाले के नायक पूर्व कोयला मंत्री शीबू सोरेन, पूर्व राज्यमंत्री डॉ. दसारि नारायण राव व संतोष बगरोडिय़ा एवं वर्तमान मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल तथा अफसरों और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को कैसे बचाने में लगी है सरकार, क्या ये लोग जांच में बच पाएंगे? ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ राष्ट्रहित में तीसरा बड़ा खुलासा कर रहा है। ज्ञात हो कि जिस कोयला घोटाले को लेकर पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है, उसका सर्वप्रथम खुलासा ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने ही किया था। देश में सीएजी की रिपोर्ट अगस्त 2012 में जारी हुई जबकि ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने 21 से 27 नवम्बर 2011 के अंक में ‘कोल ब्लॉक आवंटन में लाखों करोड़ का घोटाला’ के शीर्षक से पर्दाफाश किया था। यह विशेष खोजी रिपोर्ट 9 पृष्ठों में थी। जिसमें काले हीरे के खजाने को कैसे लुटाया और 1993 से 2010 तक 286 आवंटित सरकारी संस्थान एवं निजी कंपनियों को दी गई 195 कोल ब्लॉकों का नाम तथा कोल भण्डार की सूची के साथ ही अनेक दस्तावेज भी प्रकाशित किए थे। इस खबर को देश के विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने गंभीरता से लेते हुए ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ की प्रति को संलग्न कर प्रधानमंत्री, कोयला मंत्री, सीवीसी, सीएजी एवं सीबीआई आदि को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। उक्त पत्रों को सीबीसी एवं सीएजी ने गंभीरता से लिया। पुन: ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने 23 से 29 अप्रैल 2012 के अंक में ‘43 लाख करोड़ के कोयला घोटाले की आग बुझाने में लगी सरकार और उद्योगपति’ के शीर्षक से 8 पृष्ठों की विशेष खोजी रिपोर्ट में दूसरा बड़ा खुलासा किया था। जिसमें अनेक सांसदों व यूनियन नेताओं द्वारा कार्रवाई के लिए लिखे पत्र और ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ को मिले महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ खुलासा के बाद फिर कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले को लेकर लोकसभा एवं राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ। जिसके चलते संसद की कार्रवाई कई दिनों तक स्थगित रही। तब केंद्र सरकार हरकत में आई और सीबीआई तथा कोयला मंत्रालय ने बडे़ पैमाने पर जांच शुरू की, लेकिन कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले के बाद अब उन्हें रद्द करने एवं बैंक गारंटी जप्त करने आदि में भी घोटाला हो रहा है। जिसका खुलासा ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 26 नवंबर से 02 दिसंबर 2012 के अंक में ‘‘लाखों करोड़ के कोल ब्लॉक घोटालेबाजों को बचाने में लगी सरकार’’ के शीर्षक से 8 पृष्ठों किया। जिसमें 195 कोल ब्लॉक को 289 कंपनियों को आवंटित किया था जिसमें से कोयला मंत्रालय ने 54 कोल ब्लॉक के लिए 97 कंपनियों को अलग- अलग कारण बताओ नोटिस जारी कर किस-किस कंपनी को किस मामले में नोटिस दिया गया था, उन सभी 97 कंपनियों की सूची और किस कंपनी का आवंटन रद्द, किस कंपनी की बैंक गारांटी जप्त व कोयला मंत्रालय शेष कंपनियों पर क्यों कार्रवाई नहीं कर रही और इन कंपनियों को क्यों बचाने में लगी है आदि की विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित कर ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने न केवल घोटाले में शामिल लोगों का पर्दाफाश किया, बल्कि कोल ब्लॉक आवंटन में बड़े-बड़े लोगों को कैसे कोल ब्लॉक आवंटन किए जिसमें बड़े मीडिया हाउस भी शामिल थे, इन लोगों के भी काले कारनामों को उजागर कर निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता का दायित्व निभाया। ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के खुलासों को राष्ट्रीय अखबारों ने भी गंभीरता से लेते हुए अपने-अपने स्तर पर समाचार प्रकाशित किया जिसमें प्रतिष्ठित राष्ट्रीय हिंदी दैनिक ‘‘पंजाब केसरी’’ दिल्ली के संपादक अश्विनी कुमार ने ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के खुलासों को अपने विशेष सम्पादकीय में स्थान देते हुए एक सप्ताह तक क्रमश: प्रकाशित किया था। उसके बाद ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के 26 नवम्बर से 2 दिसम्बर 2012 के अंक में ‘‘लाखों करोड़ के कोल ब्लॉक घोटालेबाजों को बचाने में लगी सरकार’’ के शीर्षक से प्रकाशित तीसरे खुलासे को ‘‘पंजाब केसरी’’ ने सभी संस्करणों के मुख्य पृष्ठों पर दिनांक 11 दिसम्बर 2012 से 20 दिसम्बर तक लगातार भागवत जायसवाल, बिलासपुर के नाम के साथ ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ का भी उल्लेख करते हुए 10 दिनों तक मुख्य पृष्ठों पर लगातार समाचार प्रकाशित किया था। ज्ञात हो कि ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के पहले एवं दूसरे खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट में 2 लोगों ने अलग-अलग याचिका दायर किया। जिसमे मनोहरलाल शर्मा, अधिवक्ता दिल्ली ने 18 सितम्बर 2012 में रिट पिटीशन (सिविल) नं. 463 और प्रशांत भूषण की संस्था कॉमन काज दिल्ली ने 24 नवम्बर 2012 में रिट पिटीशन (सिविल) नं. 515 के तहत याचिका दायर किया था।‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’के पास अब तक खोजबीन में सैकड़ों पृष्ठों से भी अधिक दस्तावेज के अनुसार 8 पृष्ठों में तीसरा खुलासा किया। इस खुलासे के बाद सीबीआई ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाया तथा कोयला मंत्रालय ने भी प्रत्येक कंपनियों पर बड़े पैमाने पर जांच शुरू कर कार्रवाई की। इधर ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने खुलासा लगातार जारी रखा था।