कोल ब्लॉक आंवटन घोटाले में दर्जनों जा सकते है जेल !

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लगातार खुलासे के बाद हरकत में आई सरकार, दबाव में बड़ी कार्रवाई की तैयारी

195 कोल ब्लॉक को 286 कंपनियों के आवंटन पर अब तक हुई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट

भागवत जायसवाल, बिलासपुर (छ.ग.)

‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 27 जनवरी से 02 फरवरी 2014 के अंक में ‘‘कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में दर्जनों जा सकते हैं जेल’’ 195 कोल ब्लॉक को 289 कंपनियों के आवंटन पर अब तक हुई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के लगातार खुलासे के बाद हरकत में आई सरकार, दबाव में बड़ी कार्रवाई की तैयारी के शीर्षक से चौथा बड़ा खुलासा किया था। ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने देशहित एवं जनहित में एक दर्जन से भी अधिक अरबों-खरबों के बड़े-बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। उसके बाद लाखों करोड़ के कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले को लेकर देश में जो कोहराम मचा था, यह देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला था। इस घोटाले को सबसे पहले राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने ‘कोल ब्लॉक आवंटन में लाखों करोड़ का घोटाला’ के शीर्षक से 21 से 27 नवम्बर 2011 के अंक में सभी कंपनियों की सूची के साथ विशेष खोजी रिपोर्ट 9 पृष्ठों में पहला खुलासा राष्ट्रहित में किया था। तब शायद किसी को एहसास भी नहीं हुआ होगा कि लाखों करोड़ों का कोयला घोटाला हुआ है। इस खबर से राजनेताओं, उद्योगपतियों और कोलमाफियाओं में भारी हडक़ंप मच गया। यह खबर आग की तरह पूरे देश में फैल गई और इसे विभिन्न पार्टियों के राजनेताओं ने गंभीरता से लिया तथा ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ की प्रति को संलग्न कर प्रधानमंत्री, कोयला मंत्री, सीवीसी, सीएजी एवं सीबीआई आदि को पत्र लिखकर शीघ्र कार्रवाई की मांग की गई तब केंद्र में बैठी यूपीए सरकार का सिंहासन हिल उठा। सांसद गोविंद राव आदिक द्वारा ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ में प्रकाशित खबर को लेकर 14 दिसम्बर 2011 को कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को लिखे गए पत्र पर कोयला मंत्री ने पत्र क्रं. डी.ओ.नं. 38036/01/2012 सीए-1, 9 फरवरी 2012 को 4 पन्नों का कंडिकावार 1 से 12 तक का जो जवाब दिया था, उसमें कोल ब्लॉकों का आवंटन किस प्रक्रिया से कितने कंपनियों को किया गया और कितनी कंपनियां उत्पादन कर रही हैं और कितने को निरस्त किया गया, आदि कई महत्वपूर्ण जानकारी सिलसिलेवार दिया था। वह पत्र ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ के पास उपलब्ध है। कोयला मंंत्री के पूरे पत्र के साथ कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों का भी प्रकाशन 23 से 29 अप्रैल 2012 के अंक में ‘43 लाख करोड़ के कोयला घोटाले की आग बुझाने में लगी सरकार और उद्योगपति’ के शीर्षक से 8 पृष्ठों की विशेष खोजी रिपोर्ट में दूसरा बड़ा खुलासा किया था । सांसदों द्वारा लिखे गए पत्रों को सीवीसी एवं सीएजी ने गंभीरता से लिया। अगस्त 2012 में सीएजी की रिपोर्ट में 1.86 लाख करोड़ घोटाले का खुलासा हुआ। सीएजी की इस रिपोर्ट ने ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ के खुलासे पर मुहर लगा दी। अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि कोल ब्लॉक आवंटन में कहीं कुछ गलतियां हुई है और इससे अधिक बेहतर तरीके से काम किया जा सकता था। फिर ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 26 नवंबर से 02 दिसंबर 2012 के अंक में ‘‘लाखों करोड़ के कोल ब्लॉक घोटालेबाजों को बचाने में लगी सरकार’’ के शीर्षक से 8 पृष्ठों की विशेष खोजी रिपोर्ट में तीसरा बड़ा खुलासा किया था।  इन ख्रुलासों के बाद  बडे पैमाने पर सीबीआई एवं कोयला मंत्रालय ने 194 कोल ब्लॉक आवंटित 286 सरकारी एवं निजी कंपनियों  की जांच शुरू की। जिसमें किस- किस कंपनियों पर क्या-क्या कार्रवाई हुई उन सभी कंपनियों की सूची तथा की गई कार्रवाई का  ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 27 जनवरी से 02 फरवरी 2014 के अंक में ‘‘कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में दर्जनों जा सकते हैं जेल!’’ के शीर्षक से 14 पृष्ठों में चौथा बड़ा खुलासा किया।  सूत्रों के मुताबिक पूर्व कोयला मंत्री शीबू सोरेन, कोयला राज्य मंत्री डॉ. दसारि नारायण राव, संतोष बगरोडिय़ा व कई पूर्व सचिवों के अलावा कुछ राज्यों और केंद्र के अनेक अधिकारियों सहित दर्जनों उद्योगपति जेल जा सकते हैं? (सीबीआई ने राव और दो पूर्व कोयला सचिव के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। उद्योगपतियों को बचाने में लगे वर्तमान कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल पर भी अब गाज गिर सकती है? पूर्व और वर्तमान कोयला मंत्री के चलते ईमानदार प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के दामन पर भी छींटे पड़ सकते हैं? कोल  ब्लॉक आवंटन घोटाले के बाद अब उन्हें रद्द करने की प्रक्रिया में भी घोटाला हो रहा है, जिसका खुलासा ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने 26 नवम्बर से 2 दिसम्बर 2012 के अंक में किया था, जिसमें कंपनियों की सूची प्रकाशित की थी। उसके बाद कोयला मंत्रालय हरकत में आया और अपने बचाव के लिए धड़ल्ले से बड़ी कार्रवाई करना शुरू किया, उसमें अब तक 57 कंपनियों का आवंटन रद्द, 11 को बैंक गारंटी जमा करने का समय, 15 की बैंक गारंटी में करोड़ों रुपए की कटौती, आवंटन रद्द नहीं, 16 पर सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच जारी, 38 कंपनियां कोयला उत्खनन कर रही है, शेष 163 कंपनियों को कोयला मंत्रालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया तथा कोयला मंत्रालय ने किन-किन कंपनियों पर  क्या-क्या कार्रवाई की और किस कंपनियों को बचाने में लगे है आदि के साथ कुल 286 कंपनियों के विस्तृत रिपोर्ट के साथ  ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ को  खोजबीन में मिले सैकड़ों पृष्ठों के दस्तावेजों के अनुसार ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 27 जनवरी से 02 फरवरी 2014 के अंक में ‘‘कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में दर्जनों जा सकते हैं जेल’’ के शीर्षक से  14 पृष्ठों में चौथा बड़ा खुलासा राष्ट्रहित में किया । इस खुलासे ने कोयला मंत्रालय  को सन्न कर दिया और देश में कोहराम मच गया था । फिर लोकसभा और राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ। ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ के चौथा बड़ा खुलासा को राष्ट्रीय हिंदी दैनिक ‘‘पंजाब केसरी’’ ने अपने सभी संस्करणों के मुख्य पृष्ठ पर क्रमश 23 दिनों तक लगातार समाचार प्रकाशित किया था । इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया जिसमें 204 कोल ब्लॉक आवंटन को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया था । सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ के सभी खुलासों पर मुहर लगा दी थी।

‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’  के खुलासों के बाद  तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितम्बर 2014 को 204 कोल ब्लॉक आवंटन रद्द किया 

जिस कोयला घोटाले को लेकर पूरे देश में कोहराम मचा, उसका सर्वप्रथम खुलासा ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’  ने 21 से 27 नवंबर 2011 के अंक में ‘‘कोल ब्लॉक आवंटन में लाखों करोड़ का घोटाला’’ के शीर्षक से  किया था। यह विशेष खोजी रिपोर्ट 9 पृष्ठों में थी, जिसमें 100 सरकारी एवं 186 निजी कंपनियों काे आवंटित कोल ब्लॉक के अलावा सरकार द्वारा निरस्त किये गए 24 कंपनियों  सहित कुल 310 कंपनियों के नाम तथा कोयला भंडारों की सूची के अलावा कोल ब्लॉक आवंटन में कैसे नियम-कायदे को ताक में रखकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों को कोल ब्लॉक आवंटन किया था। जिसका महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ खुलासा होते ही यह खबर आग की तरह पूरे देश में फैल गई और इस खबर को देश के विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने गंभीरता से लेते हुए ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ की प्रति को संलग्न कर प्रधानमंत्री, कोयला मंत्री,सीवीसी,सीएजी एवं सीबीआई को पत्र लिखकर शीघ्र कार्रवाई की मांग की तथा लोकसभा एवं राज्यसभा में इस मामले को लेकर भारी हंगामी हुआ। उसके बाद केंद्र में बैठी डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार  ने  आनन-फानन में सीबीआई जांच के आदेश दिए तथा कोयला मंत्रालय ने भी बड़े पैमाने पर जांच शुरू की। इधर ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’  के पहले एवं दूसरे खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट में 3 लोगों ने अलग-अलग याचिका दायर किया, जिसमे  मनोहरलाल शर्मा, अधिवक्ता दिल्ली ने 18 सितम्बर 2012 में रिट पिटीशन (सिविल) नं. 463 और प्रशांत भूषण की संस्था कॉमन काज दिल्ली ने 24 नवम्बर 2012 में रिट पिटीशन (सिविल) नं. 515 तथा  सुदीप श्रीवास्तव अधिवक्ता बिलासपुर छत्तीसगढ़ ने फरवरी 2013 को रिट पिटीशन (सिविल) नं. 283 के तहत याचिका दायर किया। इन तीनों याचिकाओं को एक साथ सम्मिलित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की, जिसका रिट याचिका (सीआरएल) नं. 120 ऑफ 2012 है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा 23 जून 2011 को 24 निरस्त किए गए कोल ब्लॉक सहित कुल 310 कंपनियों को आवंटित 214  में से 204 कोल ब्लॉकों के आवंटन को अवैध ठहराते हुए 24 सितम्बर 2014 के अपने अंतिम फैसले में 310 कंपनियों में से 10 कंपनियों का कोल ब्लॉक आवंटन रद्द नहीं करते हुए शेष कंपनियों के 204 कोल ब्लॉक आवंटन को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया, तथा यह भी स्पष्ट किया कि सीबीआई जिन 12 कोल ब्लॉकों की जांच कर रही है, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी जांच जारी रहेगी । वहीं 40 कंपनियों में कोयला उत्पादन चालू है, उसे 6 महीने तक राहत देते हुए प्रति टन कोयला पर 295 रूपए का रायल्टी भुगतान कंपनियों द्वारा सरकार को करना होगा तथा इस दौरान उत्पादन का अधिकार मौजूदा प्रबंधन के पास ही रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इन सभी रद्द 204 कोल ब्लॉकों को 31 मार्च 2015 तक नये सिरे से आवंटित करने या कोल इंडिया को सौंपने का आदेश दिया। इस सम्पूर्ण मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री आर.एम.लोढ़ा, न्यायाधीश श्री मदन बी. लोकुर तथा न्यायाधीश श्री कुरियन जोसेफ की बैंच ने 25 अगस्त 2014 को कोल ब्लॉक आवंटन मामले में 162 पृष्ठों में पहला फैसला दिया तथा 24 सितम्बर 2014 को 27 पृष्ठों में अंतिम फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के खुलासों पर मुहर लगा दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए गए 204 कोल ब्लॉकों को 31 मार्च 2015 तक नये सिरे से आवंटन करने या कोल इंडिया को सौपने का आदेश केंद्र सरकार को दिया गया था। उसके बाद केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने 31 निजी कंपनियों को ई-नीलामी के जरिए तथा 58 सरकारी कंपनियों को आवंटन के जरिए आवंटित किया। कोयला मंत्रालय ने 2018 में अपने वेबसाइट में भी 84 कोल ब्लॉक की पारदर्शी ई- नीलामी और आवंटन से केंद्र सरकार को 3.94 लाख करोड़ रूपए का संभावित आय का उल्लेख किया है तथा 115 कोल ब्लॉक बचे हैं, जिससे लाखों करोड़ का फायदा होगा।  इस लेख को लिखे जाने तक सरकार को 3.94 लाख करोड़ रुपए का फायदा हुआ था। यह ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के खुलासे के कारण संभव हुआ है । देश के सबसे बड़े कोयला घोटाले को ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के प्रधान संपादक भागवत जायसवाल ने जोखिम भरा कारनामा कर देशहित एवं जनहित में पर्दाफाश किया था । जिससे देश को खरबों रूपए का फायदा हुआ। यह देश के हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में पहली बार हुआ है।

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‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’के ‘‘कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में दर्जनों जा सकते हैं जेल’’ के शीर्षक से चौथा बड़ा खुलासे को ‘पंजाब केसरी’ ने मुख्य पृष्ठ पर 23 दिन तक क्रमश: समाचार प्रकाशित किया 

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