‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ का एक और सनसनीखेज खुलासा
भागवत जायसवाल, बिलासपुर (छ.ग.)
‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 26 जून 2005 के अंक में ‘‘देश के प्रथम विनिवेश बालको सौदे में 302 करोड़ का घोटाला’’ ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ का एक और सनसनीखेज खुलासा के शीर्षक से पहला खुलासा किया था। देश व छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम बड़े विनिवेश बालको सौदे की पूरी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ां कर करोड़ों के घोटाले किए गए हैं। यह मामला तब उजागर हुआ जब महालेखा परीक्षक की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तत्कालीन अटल सरकार को पता लगी तो उनके होश उड़ गये और आनन-फानन में इस रिपोर्ट को दबा दिया गया। क्योंकि इस रिपोर्ट से अटल सरकार संकट में पड़ सकती थी। सीएजी ने अपने जांच रिपोर्ट में कहा है कि बालको सौदे में लगभग 302 करोड़ रूपये का घपला हुआ है। इतना ही नहीं 1158 करोड़ रूपए के बीसीपीपी 270 मेगावॉट (बालको कैप्टिव पावर प्लांट) का मूल्यांकन शीट में भी उल्लेख नहीं है तथा इसे भी दहेज के रूप में स्टरलाईट को 30 जून 2002 मध्यरात्रि में इनके हवाले कर दिया गया। निजीकरण के बाद बालको में रद्दी पड़े स्क्रैप बड़े पैमाने पर बेचे गए तथा बेचने का क्रम अब भी जारी है। ऐसा अनुमान है कि जितने में बालको का 51 प्रतिशत शेयर की खरीदी की गई है उतने रूपये का स्क्रैप बेचा जा चुका होगा। क्या मनमोहन सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएगी? मालूम हो कि 21 फरवरी 2001 को मेसर्स स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को 551.5 करोड़ रूपए मेें बालको का 51 प्रतिशत शेयर बेचा गया। जिसे लेकर भारी बवाल हुआ और इसके विरोध में 68 दिन तक हड़ताल भी चली। परिणाम स्वरूप स्मेल्टर प्लांट, बॉयलर प्लांट, पॉट हाउस बैठ गया। इस संबंध में ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित किया। तत्पश्चात ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ ने 4 से 10 जुलाई 2005 के अंक में ‘‘1168 करोड़ का बीसीपीपी स्टरलाइट के हवाले कैसे ? ’’ के शीर्षक से दूसरा बड़ा खुलासा किया था । ‘‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’’ के इन खुलासों के बाद तहलका मच गया था।