वेदांता अध्यक्ष अनिल अग्रवाल कैसे बने खरबपति? व देश की सुरक्षा पर सरकार मौन का कच्चा चिट्ठा

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”छत्तीसगढ़ रिपोर्टर” का एक और सनसनीखेज खुलासा 2जी स्पेक्ट्रम से भी बड़ा घोटाला

भागवत जायसवाल, बिलासपुर (छ.ग.)

‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ ने 20 से 26 जून 2011 के अंक में ‘वेदांता अध्यक्ष अनिल अग्रवाल कैसे बने खरबपति?,व देश की सुरक्षा पर सरकार मौन का कच्चा चिट्ठा’ ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ का एक और सनसनीखेज खुलासा 2जी स्प्रेक्ट्रम से भी बड़ा घोटाला के शीर्षक से 8 पृष्ठों में  बड़ा खुलासा किया था। भारत कभी पूरे विश्व में ‘सोने की चिडिय़ा’ कहा जाने वाला देश आज चारों तरफ भीषण महंगाई भ्रष्टाचार और महाघोटालों से जकड़ा हुआ है। ‘सोने की चिडिय़ा’ अब बहुराष्ट्रीय कंपनी वेदांता स्टरलाईट चेयरमैन अनिल अग्रवाल के हाथों में जकड़ी हुई है। अनिल अग्रवाल शुरूआती दिनों में एक कबाड़ी था। कॉपर स्क्रैप एकत्र कर व्यापारियों को बेचा करता था। फिर उन्होंने अप्रैल 1996 में स्टरलाइट कंपनी बनाया और लगभग 27 करोड़ की पूंजी से 5 साल बाद अरबपति बन गए । देश में पहली बार विनिवेश के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले में स्थित बालको का 51 प्रतिशत शेयर 551.5 करोड़ रूपए में 21 फरवरी 2001 को अधिग्रहण करने के बाद बालको में एक ऐसा ‘पारसमणि’ था जिसके पाने से रातों-रात खरबपति बन जाएगा, इसकी जानकारी अनिल अग्रवाल को पहले से थी। जिसे अपने कब्जे में लेकर बेच दिया और खरबों का मालिक बन गया। जिसकी जानकारी केंद्र सरकार को भी थी, लेकिन उन्होंने मौन साध ली? जिसका खुलासा ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ कर रहा है। किसी समय में बैंक से कर्ज लेने की अर्जी दी लेकिन बैंक ने कर्ज देने से इंकार कर दिया था। आज वेदांता-स्टरलाइट अध्यक्ष अनिल अग्रवाल 2 लाख करोड़ रूपए से भी अधिक के कारोबार का मालिक, तथा 1 लाख 65 हजार करोड़ रूपए अपनी कंपनी में निवेश के साथ 9.6 अरब डॉलर की सौदा केयर्न इंडिया और स्टरलाइट इंडस्ट्रीज होने जा रहा है, इस सौदे के लिए केंद्र सरकार पर भारी दबाव है, अधिग्रहण करने के बाद दुनिया का सबसे दौलतमंद व्यक्ति अनिल अग्रवाल होगा। आखिर इतना सारा धन ‘एक कबाड़ी’ के पास आया कहां से? बिहार राज्य के पटना का रहने वाला अनिल अग्रवाल दसवीं कक्षा तक ही शिक्षा ग्रहण कर आज लंदन तक सफरनामा तथा राज्यों या केंद्र सरकार पर कैसे रखे है नियंत्रण, कैसे बने खरबपति? कहीं गृहमंत्री पी चिदम्बरम (पूर्व कार्यकारी निदेशक वेदांता ) का सरकार पर दबाव तो नहीं ?  आजादी के बाद से सबसे बड़ा घोटाला व देश की सुरक्षा से जुड़े मामले पर केंद्र सरकार के मौन का कच्चा चिट्‌ठा तथा अनिल अग्रवाल के कारनामों पर ‘वेदांता बिलयंस’ के नाम से प्रकाशित पुस्तक और रोहित पोद्दार एवं तत्कालीन कांग्रेस सांसद चन्द्रशेखर दुबे के द्वारा केंद्र सरकार को कई बार कार्रवाई के लिए लिखे गए पत्रों के साथ ‘छत्तीसगढ़ रिपोर्टर’ को खोजबीन में मिले 1 हजार पृष्ठों से भी अधिक दस्तावेजों के अनुसार 8 पृष्ठों में देशहित एवं जनहित में खुलासा किया। इस खुलासे के बाद उद्योग जगत में हड़कंप मच गया था।

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