साजिद खान
कोरिया (छत्तीसगढ़) 22 मार्च 2021 (छत्तीसगढ़ रिपोर्टर)। आज विश्व जल दिवस है। विश्व जल दिवस पर अक्सर दीवारों पर सोशल मीडिया पर ये कोटेशन लिखा हुआ नजर आ जाता है कि जल है तो कल है। लेकिन ऐसा लगता है कि ये डायलाग अब सोशल मीडिया का कोटेशन बनकर उसमें सिर्फ तैरने वाला हो गया है। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
उल्लेखनीय है कि इस सरकार के द्वारा कैम्पा मद से बजट खर्च कर जल संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ के कई गांव में नरवा योजना के तहत परकोलेशन टैंक, चेक डैम, गैबियन स्ट्रक्चर इत्यादि का निर्माण कितना सफल साबित होगा। निर्माण कार्यों के गुणवत्ता पर निर्भर करता है कि भविष्य में ऐसे स्ट्रक्चर कितने देर तक टिके रह सकेंगे ? एक तरफ जल संरक्षण के लिए बनाया गया एक डिपार्टमेंट जल संसाधन विभाग आए दिन किसी न किसी घोटाले को लेकर चर्चा में बने रहता है। एक वक्त वह भी गुजर चुका है कि जब कोरिया जिले में इसी डिपार्टमेंट के एक्सकूटीव इंजिनियर के यहां एसीबी ने छापा मारा था। जहां इस डिपार्टमेंट का काम नदियों और बडे नालों के जल को संरक्षित कर गांवों की खेतिहर भूमि को नहरों के पानी से लाभांवित करना रहता है। लेकिन जब जिलें में इस डिपार्टमेंट में ऐसे एक्सकूटिव इंजीनियर पदस्थ रहकर जो अन्यत्र जिले में चले गए हैं जिनके ऊपर एसीबी का छापा पड़ा हो तो उनके लिए विश्व जल संरक्षण दिवस कितना मायने रखता होगा अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले में आज भी कई डेम, एनिकट और नहरें अधिकारियों की टेक्नीकल गलतियों की वजह से गांव वालों को लाभ नही पहुंचा पाई हैं और औंधे मुंह गिर पड़ी है। इन डायवर्सन स्कीमों के लिए विधायक बनने से पहले भी वर्तमान विधायक ने आवाज उठाई थी और भरतपुर-सोनहत का विधायक बन जाने के बाद भी आवाज उठाई। जिसके लिए बिगडे हुए डेमों और नहरों के लिए करोड़ो के बजट की भी स्वीकृति मिल चुकी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिन अधिकारियों की टेक्नीकल गलतियों की वजह से घुटरा और सिरियाखोह जैसी डायवर्सन स्कीमें औंधे मुंह गिरी ऐसे अधिकारियों से भविष्य में दोबारा कोई गलतियाँ नही दोहराने के लिए बजाए कुछ सजा देने के डीपीसी में प्रमोशन देते जाना। ऐसी गलतियों के बावजूद भी एक्सकूटिव से संभाग में मुख्य बना दिया जाना। किसी भी सरकार के लिए क्या सही लगता है ? फिर विश्व जल संरक्षण दिवस डिपार्टमेंट के ऐसे अधिकारियों के लिए क्या मायने रखता होगा ? सोचनीय विषय है। इसी जिले में खाडा डेम फूट कर बह गया। जिसके लिए अधिकारी आरोपित भी किए गए। निलंबन की प्रकिया के साथ वसूली की भी बात भी सामने आई। इन आरोपित अधिकारियों के लिए विश्व जल संरक्षण दिवस क्या मायने रखता होगा ? जिले के भरतपुर में नदी से रेत निकालने की निविदा में ठेकेदार के द्वारा निविदा में दर्शाई गई मात्रा से भी अधिक घनमीटर रेत के आरोपित अवैध उत्खनन से आसपास के क्षेत्रों के जल स्रोतों के सूखने और भविष्य में जल अधिक गहराई में चले जाने से स्थानीय लोगों के लिए क्या नुकसानदायक नही हो सकता है ? नदी से रेत के अवैध उत्खनन से भविष्य में खडी हो सकने वाली ऐसी विपदा के लिए किस डिपार्टमेंट के अधिकारी दोषी होंगे। उनके लिए विश्व जल संरक्षण दिवस का कोटेशन जमीनी स्तर पर कितना मायने रखता होगा ?