छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 30 जून 2024। अपने तीसरे कार्यकाल की पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने संविधान में अपने अटूट विश्वास को दोहराया तो आम चुनाव, आदिवासी कल्याण, पर्यावरण आदि पर बात की। यह कार्यक्रम हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित किया जाता है। इससे पहले ‘मन की बात’ आखिरी बार 25 फरवरी को प्रसारित किया गया था, जिसके बाद लोकसभा चुनावों की वजह से इसे रोकना पड़ा था।
2024 का चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि ‘मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ, जिसमें 65 करोड़ लोगों ने वोट डाला। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रकिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।’
हूल दिवस पर सिद्धो-कान्हू को किया याद
प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में आदिवासी भाई-बहनों को हूल दिवस की शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिन वीरों सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस को याद करने का दिन है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का विरोध किया। झारखंड के संथाल परगना में हजारों संथाली साथियों को इकट्ठा करके सिद्धो कान्हू ने अंग्रेजों का मुकाबला किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से दो साल पहले यानी कि 1855 में ही सिद्धो कान्हू ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया था।
आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं
उन्होंने कहा कि आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था। वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था ? ये हुआ था 1855 में, यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था, तब, झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था।
‘एक पेड़ मां के नाम’
प्रधानमंत्री ने कहा ‘हम सबके जीवन में मां का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। जन्मदात्री मां का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता। हम माँ को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या ? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- ‘एक पेड़ माँ के नाम’। मैंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है।
‘कुवैत रेडियो पर हिंदी में कार्यक्रम’
पीएम मोदी ने कहा कि ‘कुवैत सरकार ने अपने नेशनल रेडियो पर एक विशेष कार्यक्रम हिंदी में शुरू किया है। कुवैत रेडियो पर हर रविवार को इसका प्रसारण आधे घंटे के लिए किया जाता है। इसमें भारतीय संस्कृति के अलग-अलग रंग शामिल होते हैं। हमारी फिल्में और कला जगत से जुड़ी चर्चाएं वहां भारतीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। मुझे तो यहां तक बताया गया है कि कुवैत के स्थानीय लोग भी इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं।’ साथ ही पीएम मोदी ने तुर्कमेनिस्तान में गुरुदेव रवींद्रनाथ की प्रतिमा के अनावरण और जून के महीने में सूरीनाम, सेंट विंसेंट ने भारतीय विरासत के जश्न का भी उल्लेख किया।
पेरिस ओलंपिक पर भी बात की
पीएम मोदी ने कहा कि अगले महीने इस समय तक पेरिस ओलंपिक शुरू हो चुके होंगे | मुझे विश्वास है कि आप सब भी ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने का इंतजार कर रहे होंगे | मैं भारतीय दल को ओलंपिक खेलों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं | हम सबके मन में टोक्यो ओलंपिक की यादें अब भी ताजा हैं |
उन्होंने कहा कि टोक्यो में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने हर भारतीय का दिल जीत लिया था।उसके बाद से ही हमारे एथलीट पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए थे। सभी खिलाड़ियों को मिला दें, तो इन सबने करीब 900 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। पेरिस ओलंपिक में आपको कुछ चीजें पहली बार देखने को मिलेंगी। शूटिंग में हमारे खिलाड़ियों की प्रतिभा निखरकर सामने आ रही है। टेबल टेनिस में पुरुषऔर महिला दोनों टीमें क्वालिफाई कर चुकी हैं। भारतीय शॉटगन टीम में हमारी शूटर बेटियां भी शामिल हैं। इस बार कुश्ती और घुड़सवारी में हमारे दल के खिलाड़ी उन श्रेणी में भी भाग लेंगे, जिनमें पहले वे कभी शामिल नहीं रहे।
भारतीय उत्पादों की बढ़ रही मांग
पीएम मोदी ने दुनियाभर में भारतीय उत्पादों की बढ़ रही मांग पर भी खुशी जताई और कहा कि जब भारत के स्थानीय उत्पाद वैश्विक स्तर पर पहचान बनाते हैं तो उससे गर्व होता है। पीएम मोदी ने आंध्र प्रदेश की अराकु कॉफी का जिक्र किया, जो अपने फ्लेवर और खुशबू के लिए जानी जाती है। पीएम मोदी ने बताया कि जम्मू कश्मीर के स्नो पीस की पहली खेप लंदन भेजी गई। साथ ही पीएम मोदी योग दिवस को भी याद किया और कहा कि पूरी दुनिया में 10वां योग दिवस पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। कश्मीर में बहनों-बेटियों ने भी बढ़ -चढ़कर हिस्सा लिया।
संस्कृत बुलेटिन के 50 साल
प्रधानमंत्री ने बताया कि आकाशवाणी का संस्कृत बुलेटिन 30 जून को 50 साल पूरे कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस बुलेटिन ने कितने ही लोगों को आज भी संस्कृत से जोड़े रखा है। पीएम मोदी ने बंगलूरू के कब्बन पार्क का भी जिक्र किया, जहां हर रविवार को लोग सिर्फ संस्कृत में बात करते हैं और संस्कृत में ही वाद-विवाद प्रतियोगिता भी होती है। इस कब्बन पार्क की शुरुआत करने के लिए पीएम मोदी ने समष्टि गुब्बी को बधाई दी और उनकी तारीफ की।