छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 23 दिसंबर 2021। इस साल के सबसे अहम रक्षा समझौतों में से एके-203 असॉल्ट राइफल की खरीद के लिए भारत और रूस ने एक सौदे पर हस्ताक्षर किए। इसे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम माना जा रहा है। यह प्रयास रक्षा अधिग्रहण की बदलती तस्वीर को दिखाता है कि बाहर से खरीदने के स्थान पर ‘मेक इन इंडिया’ की स्थिति कितनी तेजी और मजबूती से बन रही है। ये एके-203 रायफल अभी इस्तेमाल की जा रहीं इंसास रायफलों की जगह लेंगी, जिन्हें करीह तीन दशक पहले शामिल किया गया था। एके-203 रायफल की रेंज 300 मीटर है, ये हल्की हैं और इन्हें इस्तेमाल करना भी आसान है। ये रायफलें भारतीय सेना के आतंक रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी और प्रभावशीलता को बढ़ाएंगी।अमेरिका के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा मंत्रालय ने इस साल सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना, नौ सेना) के लिए 30 प्रिडेटर ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी है। सौदे के अनुसार तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन मिलेंगे। इनकी कीमत लगभग 22 हजार करोड़ रुपये होगी। इसके जरिए सेना की आक्रमण क्षमताओं को बेहतर करने की कोशिश की गई है जो अभी तक ड्रोन का इस्तेमाल केवल निगरानी व टोही अभियानों में करती आ रही है। इन मानवरहित ड्रोन का निर्माण अमेरिका की जनरल एटॉमिक्स ने किया है। ये 35 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं और इन्हें निगरानी, टोह, सूचना जुटाने और दुश्मन के निशानों को तबाह करने जैसे अभियानों में तैनात किया जा सकता है।
अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों-उत्पादों के लिए इस्राइल से मिलाया हाथ
भारत ने इस्राइल के साथ भी अपने रक्षा संबंधों को नई दिशा दी है। दोनों देशों ने इस साल अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियां और ड्रोन जैसे उत्पाद तथा रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व क्वांटम कंप्यूटिंग आदि को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए समझौता किया है। यह द्विपक्षीय समझौता भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और इस्राइल के रक्षा अनुसंधान एवं विकास निदेशालय (डीडीआर एंड डी) के बीच हुआ है। इसके तहत दोनों देशों के स्टार्टअप और उद्योग अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों और उत्पादों पर साथ मिलकर काम करेंगे। सैन्य उत्पादों के मामले में भारत इस्राइल का एक प्रमुख ग्राहक है। इस्राइल विभिन्न हथियार प्रणालियों, मिसाइलों आदि की आपूर्ति करता रहा है।
फ्रांस के साथ मजबूत किए रक्षा संबंध, कई समझौतों को दिया अंजाम
रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस के संबंध हाल के दिनों में खासे मजबूत हुए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच अगले दशक के लिए सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए एक समझौता किया गया था। दोनों देशों ने सैन्य व सैन्य तकनीकी पर 20वें भारत-रूस अंतरसरकारी आयोग के प्रोटोकॉल पर भी हस्ताक्षर किए थे। इसके साथ ही भारत और रूस ने क्लाशनिकोव सीरीज के छोटे हथियारों के निर्माण में सहयोग पर समझौते में एक संशोधन पर भी दस्तखत किए थे। यह समझौता मूल रूप से फरवरी 2019 में किया गया था। इन रक्षा समझौतों ने जहां एक और देश की सेनाओं की क्षमता में इजाफा किया है वहीं पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को भी एक कड़ा संदेश गया है।
सीडीएस जनरल रावत के निधन ने दिया देश को सबसे बड़ा झटका
देश की सेना को सबसे बड़ झटका इस साल आठ नवंबर को लगा जब वायु सेना का एमआई-17 हेलिकॉप्टर तमिलनाडु में हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का निधन हो गया। तमिलनाडु के कुन्नूर में हुई इस दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत के अलावा उनकी पत्नी मधूलिका रावत और 12 अन्य सैन्य अधिकारियों की भी मौत हो गई थी। इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे के बाद तीनों सेनाओं के साथ-साथ पूरे देश में शोक का माहौल बन गया था। सीडीएस की भूमिका में जनरल रावत तीनों सेनाओं के साथ मिलकर काम करने की क्षमताओं पर काम कर रहे थे। सेना के तीनों अंगों के आधुनिकीकरण के क्षेत्र में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।