छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 29 अगस्त 2021। देश की आजादी से पहले सन् 1921 में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और उनके परम मित्र एचएन होरी ने सीपरी बाजार स्थित हीरोज ग्राउंड को स्थापित किया था। इसी मैदान पर अभ्यास कर वह अपने खेल को निखारते थे। जिसके चलते देश-विदेश में उनके खेल का लोहा माना जाता था। इस मैदान ने सौ साल का सफर तय कर लिया है। अब यह मैदान शताब्दी में दर्ज हो गया है। हीरोज ग्राउंड को मेजर ध्यानचंद की कर्मस्थली कहा जाता है। इस मैदान पर ही वह हॉकी का अभ्यास किया करते थे। शुरूआती दौर में मैदान काफी पथरीला तथा ऊबड़ खाबड़ हुआ करता था। सुविधा के नाम पर मैदान पर सिर्फ जमीन के अलावा कुछ भी नहीं था, लेकिन मेजर ध्यानचंद की लगन और मेहनत के चलते पथरीली जमीन पर भी वह गोलों की बारिश किया करते थे। जिसके चलते विदेशी टीमों में भी उनके नाम का खौफ था। यही वजह थी की उनको हॉकी का जादूगर भी कहा जाता था। खेल से सन्यास लेने के बाद वह हीरोज ग्राउंड पर ही वह नवोदित खिलाड़ियों को हॉकी की बारीकियों को बताते थे। जिसके चलते इस मैदान पर अभ्यास कर हॉकी के क्षेत्र में छह ओलंपिक मेडल देश की झोली में आ चुके हैं। इसके अलावा इसी मैदान से कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर देश का नाम ऊंचा कर चुके हैं।
एक साथ याद किए जाएंगे दद्दा और झांसी हीरोज
यह 17 जून 1936 का दिन था। दद्दा मेजर ध्यानचंद की अगुवाई में भारतीय टीम को बर्लिन ओलंपिक केलिए रवाना होना था। टीम भेजने के लिए देश भर में रुपये एकत्र किए जा रहे थे। दद्दा के क्लब झांसी हीरोज ने भी इस अभियान से जुडने का बीड़ा उठाया और बर्लिन जाने वाली टीम के साथ हीरोज मैदान पर न सिर्फ मैच खेला बल्कि टीम को 860 रुपये एकत्र कर दिए। देश भर से टीम के लिए कुल 50 हजार छह 40 रुपये एकत्र हुए। दद्दा के इसी क्लब को स्थापित हुए आज 100 साल पूरे हो गए हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस यानी मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस पर रविवार को देश के गुजरे जमाने के ओलंपियन, हॉकी खिलाड़ी उनके पुत्र अर्जुन अवार्डी अशोक कुमार की अगुवाई में झांसी हीरोज मैदान पर न सिर्फ एकत्र हो रहे हैं बल्कि उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर आपस में एक प्रदर्शनी मैच खेल क्लब के सौ साल पूरे होने का जश्न मनाएंगे।
क्लब के लिए जान छिड़कते थे दद्दा
अशोक कुमार बताते हैं कि साल 1921 में झांसी हीरोज क्लब की स्थापना की गई थी। उनके पिता और चाचा कैप्टन रूप सिंह ने क्लब को अनगिनत टूर्नामेंट जिताए। दोनों क्लब को इतना प्यार करते थे कि उन्हें याद है पिता जी ने एक बार उन्हें बताया था कि उनकी जिंदगी का सबसे यादगार मैच उन्होंने हीरोज के लिए ही 1934-35 का बेंटम कप फाइनल खेला। अशोक बताते हैं कि फाइनल से पहले पिता जी की तबियत खराब हो गई थी। कस्टम ने हीरोज के खिलाफ तीन गोल ठोक दिए। पिता जी तो पता लगा तो वह अस्पताल से उठ आए और मैच में शामिल हो गए। उसके बाद हीरोज ने अगले पांच गोल कर टूर्नामेंट जीता।
ओलंपियन खेलेंगे प्रदर्शनी मैच
अशोक के मुताबिक दद्दा को श्रद्धांजलि देने और हीरोज का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए ओलंपियन रोमियो जेम्स, जफर इकबाल, वीजे फिलिप्स, विनीत कुमार, अब्दुल अजीज, जलालुद्दीन, अशोक दीवान, रजनीश मिश्रा, सुजीत कुमार, आरपी सिंह, अरमान कुरैशी, ओंकार सिंह जैसे खिलाड़ी आ रहे हैं। सभी खिलाडिय़ों को सम्मानित भी किया जाएगा।
पीएम ने खेल रत्न मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया है
भारतीय हॉकी टीम के टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुए देश के सर्वोच्च खेल सम्मान नामकरण मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया था।