छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
जम्मू-कश्मीर 14 सितम्बर 2023। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के कर्नल, मेजर और जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक बलिदान हो गए। जबकि दो जवान लापता हैं। सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को घेर रखा है। तलाशी अभियान जारी है। लगातार गोलियों की आवाज आ रही है। तीनों बलिदानियों की शिनाख्त सेना मेडल पदक विजेता कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष, पुलिस उपाधीक्षक हुमायूं भट के रूप में हुई है। तीनों मुठभेड़ के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए थे, बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
हमले की जिम्मेदारी लश्कर फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। कर्नल मनप्रीत मोहाली के भड़ौजिया गांव, मेजर आशीष पानीपत के सेक्टर 7 और डीएसपी हुमायूं पुलवामा जिले के त्राल के रहने वाले थे। बताया जाता है कि कोकरनाग के गद्दल जंगल के इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना के बाद मंगलवार शाम को सेना की 19 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त पार्टी ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया। रात में अभियान रोकने के बाद बुधवार सुबह आतंकियों की फिर से तलाश शुरू की गई। इस दौरान दहशतगर्दी के एक ठिकाने पर मौजूद होने की सूचना मिली। 19 आरआर के सीओ कर्नल मनप्रीत ने टीम का नेतृत्व करते हुए आतंकियों पर हमला बोल दिया। आतंकियों की फायरिंग में कर्नल, मेजर और डीएसपी गंभीर घायल हो गए।
तीनों को श्रीनगर स्थित सेना के अस्पताल एयरलिफ्ट किया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उधर, आतंकियों का पता लगाने और घायल जवानों को निकालने के लिए सेना के तीन चीता हेलिकॉप्टरों को भी लगाया गया। पुलिस लाइन में बलिदानी डीएसपी को श्रद्धांजलि दी गई। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, डीजीपी दिलबाग सिंह तथा डीएसपी के पिता सेवानिवृत्त आईजी गुलाम हसन भट तथा अन्य अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। देर रात हुमायूं को सुपुर्दे खाक कर दिया गया।
एक साल पहले ही हुई थी शादी
शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट के परिवार में उनकी पत्नी और 29 दिन का बेटा है। डीएसपी हुमायूं भट का परिवार दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल का रहने वाले हैं। काफी समय से यहीं रह रहे हैं। करीब एक साल पहले शहीद डीएसपी हुमायूं भट की शादी हुई थी और उनका 29 दिन का एक बच्चा भी है। वो 2019 बैच के अधिकारी थे। हुमायूं के पिता गुलाम हसन भट्ट पूर्व डीआईजी हैं।
मेजर आशीष धौंचक: बैडमिंटन के शानदार खिलाड़ी थे मेजर… अगले माह करना था सपनों के घर में गृहप्रवेश
अनंतनाग में शहीद हुए पानीपत निवासी शहीद मेजर आशीष धौंचक पहले ही प्रयास में एसएसबी की परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट बन गए थे। उनकी शिक्षा गांव और शहर के स्कूल में हुई। 2013 में आशीष धौंचक लेफ्टिनेंट बने तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। शहीद मेजर आशीष धौंचक के पिता लालचंद पानीपत स्थित नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड में नौकरी करते थे। वे मूलरूप से शहर से सटे गांव बिंझौल के निवासी हैं। लालचंद परिवार समेत गांव में ही रहते थे। शहीद मेजर आशीष धौंचक और उनकी तीनों बहनें गांव में ही रहती थीं। लालचंद ने बच्चों की शिक्षा को देखते हुए एनएफएल में क्वार्टर ले लिया। लालचंद ने दो साल पहले सेवानिवृत्ति के बाद सेक्टर-7 में किराये पर रहना शुरू कर दिया। वे यहां तीसरी मंजिल पर रहते हैं। इस बीच उन्होंने टीडीआई में अपना प्लॉट ले लिया और यहां मकान बनाना शुरू कर दिया।
बैडमिंटन खेलते थे मेजर
परिजनों ने बताया कि शहीद मेजर आशीष धौंचक पढ़ाई के साथ खेलों में भी अव्वल थे। वह स्कूल समय में बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी थे। उनको घर बाहर की साफ सफाई पसंद थी। उन्होंने अपने किराये के मकान में दीवारों पर फोटो तक नहीं लगा रखी थी। वे सादा जीवन जीते थे। टीडीआई में भी अपने सपनों का मकान बनाने में लगे थे। मेजर आशीष धौंचक को 23 अक्तूबर को जन्मदिन पर परिवार के सदस्य गृह प्रवेश की तैयारी में थे। उन्हें अक्तूबर में छुट्टी आना था।
दो साल पहले मेरठ से हुआ था तबादला
परिजनों ने बताया कि शहीद मेहर आशीष धौंचक का दो साल पहले मेरठ से जम्मू कश्मीर तबादला हुआ था। तब उनकी पत्नी ज्योति और चार साल की बेटी वामिका उनके साथ ही रहते थे। उन्होंने देश सेवा के रास्ते में परिवार का मोह न आने देने की सोच के साथ पत्नी ज्योति और बेटी वामिका को अपने माता-पिता के पास सेक्टर-7 में छोड़ गए थे। वे पिछले दिनों छुट्टी पर आए थे तो वामिका का शहर के एक बड़े स्कूल में दाखिला कराया था। वे समय लगते ही अपने माता-पिता, पत्नी और बेटी से फोन पर बात करते थे। वे उनसे मकान के निर्माण को लेकर अधिकतर चर्चा करते थे।