कोरोना संकट के बीच सरकार का बड़ा फैसला, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा से हटाया प्रतिबंध

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कारगर मानी जा रही मलेरिया रोधक दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने इस दवा पर लगे निर्यात से आंशिक तौर पर प्रतिबंध हटा दिया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल दवाओं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को आंशिक तौर से हटा दिया है। मानवीय आधार पर यह फैसला लिया गया है। ये दवाएं उन देशों को भेजी जाएंगी जिन्हें भारत से मदद की आस है। दुनिया की ओर से लगातार की जा रही अपील पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस महासंकट के समय में हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया एक साथ होकर लड़ेगी। हमने भी लगातार इस ओर कदम बढ़ाए हैं, जिसका उदाहरण ये है कि कई देशों से हमने विभिन्न देशों के नागरिकों को बचाया है। फिलहाल यह फैसला नहीं किया गया है कि किस देश को दवा की कितनी आपूर्ति की जाएगी। हालांकि घरेलू जरुरतें पूरी होने के बाद स्टॉक की उपलब्धता के आधार पर निर्यात किया जाएगा। दो दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का स्टॉक भेजने का अनुरोध किया था। ट्रंप ने कहा कि था कि इस दवा के उनके देश में अच्छे नतीजे आए हैं। विदेश मंत्रालय का यह भी कहना है, कोरोना से बुरी तरह प्रभावित कुछ देशों को दवाएं भेजी जाएंगी। इस मामले को लेकर किसी भी तरह के कयास और राजनीतिक रंग दिए जाने को हम खारिज करते हैं। वैज्ञानिकों ने मलेरिया में दी जाने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना से लड़ने में कारगर बताया है।

एक अधिकारी ने कहा कि बेशक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को आंशिक तौर पर हटा दिया गया है लेकिन पैरासिटामॉल निर्यात प्रतिबंध जारी रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि घरेलू जरुरतों को पूरा करने और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की उपलब्धता के आधार पर ही अन्य देशों द्वारा की गई मांग को मंजूरी दी जाएगी।

भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल
भारत में इस दवा का इस्तेमाल आर्थेराइटिस (गठिया), मलेरिया और ल्यूपस (LUPUS) नाम की बीमारी के उपचार में किया जाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव के मुताबिक, ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल सिर्फ हास्पिटल वर्कर करेंगे जो कोविड-19 के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं। या फिर अगर किसी के घर में कोई संक्रमित है तो उसकी देखभाल करने वाला ही इस दवा का सेवन करे।’
इसके अलावा आईसीएमआर ने 21 मार्च को एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया है कि ‘नेशनल टास्क फोर्स कोविड-19 का गठन किया गया है। इस टास्क फोर्स के मुताबिक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा वहीं ले सकते हैं जो कोविड-19 के हाई रिस्क में हों।

दवाएं न मिलने से परेशान अमेरिका ने दी थी भारत को नतीजे भुगतने की धमकी
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यदि भारत अनुरोध के बावजूद अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात की अनुमति नहीं देता है तो उन्हें हैरानी होगी। पिछले हफ्ते ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है ताकि भारत अमेरिकी में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की बिक्री की इजाजत दे। इससे कुछ घंटे पहले ही भारत ने मलेरिया की इस दवा के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था।

अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण के रोगियों की बढ़ती संख्या के बीच उनके इलाज के लिए इस दवा के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है। ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे हैरानी होगी अगर वह (ऐसा) करेंगे, क्योंकि आप जानते हैं कि भारत का अमेरिका के साथ व्यवहार बहुत अच्छा रहा है।’ मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्रंप ने कहा कि भारत कई वर्षों से अमेरिकी व्यापार नियमों का फायदा उठा रहा है, और ऐसे में अगर नई दिल्ली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात को रोकता है, तो उन्हें हैरानी होगी।

श्रीलंका और नेपाल समेत कई दशों ने मांगी दवाएं
अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा था कि भारत दवा क्षेत्र में अमेरिका का प्रमुख सहयोगी रहा है और अमेरिका को उम्मीद है कि दोनों देशों में यह तालमेल जारी रहेगा। भारत ने पिछले महीने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए ट्रंप इस दवा की जोरदार वकालत कर रहे हैं। भारत को श्रीलंका और नेपाल जैसे अपने पड़ोसी देशों सहित कई अन्य देशों से भी इस तरह के अनुरोध मिले हैं। भारत ने कहा था कि वह अपने निर्यात प्रतिबंध आदेश की समीक्षा कर रहा है।

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