
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
मुंबई 10 अप्रैल 2025। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवी ने बुधवार को कहा कि विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम लाना जरूरी है, क्योंकि अब भी कई प्रतिबंधित माओवादी संगठन राज्य में अपनी गतिविधियां चला रहे हैं और उनसे जुड़े समूह शहरी क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दखल नहीं देगा, बल्कि यह केवल उन संगठनों पर केंद्रित होगा, जो देश विरोधी गतविधियों में शामिल हैं। पत्रकारों से बातचीत के दौरान फडणवीस ने मसौदा विधेयक को लेकर उठ रही चिंताओं पर जवाब दिया, जिसे राज्य विधानसभा के 30 जून से शुरू होने वाले मानसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यह कानून पत्रकारों या आम जनता के लिए कोई मुश्किल पैदा नहीं करेगा और न ही उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को सीमित करेगा।
उन्होंने कहा, प्रस्तावित विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करेगा, बल्कि यह यह उन संगठनों पर केंद्रित होगा, जो देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार,प्रस्तावित महाराष्ट्र सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को लेकर पत्रकार संगठनों ने चिंता जताई है। इन चिंताओं को दूर करने और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए इस कानून के महत्व को स्पष्ट करने के लिए विस्तार से चर्चा करने के लिए बैठक की गई। फडणवीस ने कहा कि चार अन्य राज्यों और केंद्र सरकार ने पहले ही सार्वजनिक सुरक्षा कानून लागू कर दिए हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून उन चार राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों की तुलना में अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा। देश के कई हिस्सों में इनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद कई प्रतिबंधित माओवादी संगठनों ने अपने मुख्यालय महाराष्ट्र में स्थानांतरित कर दिए हैं और उनसे जुड़े समूह अब शहरी क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं।
उन्होंने आगे कहा, इस प्रस्तावित कानून को लागू न करने से भविष्य में महाराष्ट्र के लिए चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। यह विधेयक पिछले साल दिसंबर में राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित कानून के बारे में जन जागरूकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इस विधेयक की समीक्षा एक संयुक्त समिति द्वारा की गई और एक सार्वजनिक सुनवाई भी आयोजित की गई। फडणवीस ने आश्वासन दिया कि अगर पत्रकार संगठनों की ओर से इस प्रस्तावित कानून में कोई संशोधन के लिए सुझाव दिए जाते हैं, तो उन्हें शामिल करने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कानून के प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। राज्य के गृह मंत्री फडणवीस ने कहा, अगर कोई संगठन राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने का काम करता है या माओवादी समूहों की विचारधारा का प्रचार करता है, तो ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई केवल एक सलाहकार समिति के सामने सुनवाई के बाद की जा सकती है। इस समिति में तीन जज होंगे। इससे कानून का दुरुपयोग रोका जा सकेगा।