छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
जम्मू 13 मार्च 2022। अनुच्छेद 370 हटने के करीब पौने तीन साल में कश्मीर में बड़ी वारदात करने में नाकाम पाकिस्तान एक बार फिर अमरनाथ यात्रा से पहले घाटी के माहौल को बिगाड़ने की साजिशों में जुट गया है। घाटी में फिर टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ गई हैं। निशाने पर पंचायत प्रतिनिधि, पुलिस व सेना के जवान हैं। खुफिया एजेंसियों को इनपुट मिले हैं कि अमरनाथ यात्रा से पहले और गर्मी के मौसम में शुरू होने वाले पर्यटन सीजन में अधिक से अधिक वारदातों को अंजाम देने की आईएसआई की ओर से घाटी में सक्रिय पाकिस्तानी दहशतगर्दों और विभिन्न आतंकी तंजीमों को हिदायत दी गई है। 370 हटने के बाद ढाई साल से अधिक समय में घाटी में आतंकवाद की कमर लगभग टूट चुकी है। आतंक की राह पर जाने वाले युवाओं की संख्या कम हुई है। पत्थरबाजों का साथ नहीं मिल रहा है। सुरक्षा बलों की ओर से लगातार शिकंजा कसते हुए आतंकी तंजीमों के कमांडरों का एक-एक कर सफाया कर दिया गया है। इससे आतंकियों को कोई बड़ा मौका हाथ नहीं लग पाया है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार आतंक के मोर्चे पर अपना गेम प्लान फेल होता देख पाकिस्तान अब नए सिरे से घाटी में हिंसा का माहौल बनाने की साजिशों में जुटा है। इसी के तहत पंचायत प्रतिनिधियों और पुलिस व सेना के निर्दोष जवानों की टारगेट किलिंग फिर से बढ़ाने की हिदायत दी गई है। मार्च के महीने में टारगेट किलिंग की घटनाओं में इसी वजह से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। खुफिया सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में ये घटनाएं और बढ़ सकती हैं। इसके लिए हाइब्रिड आतंकियों और ओवर ग्राउंड वर्करों को टास्क सौंपा गया है। आईजी विजय कुमार बताते हैं कि सुरक्षा बल मुस्तैद हैं। पड़ोसी मुल्क हर वक्त यहां माहौल बिगाड़ने की कोशिशों में जुटा रहता है, लेकिन उसे नाकाम बनाया जा रहा है। वह अपने नापाक मकसद में कभी कामयाब नहीं हो पाएगा।
समय-समय पर तमाम तरह के इनपुट मिलते हैं। आने वाले पर्यटन सीजन और अमरनाथ यात्रा को लेकर कोर ग्रुप की बैठक में समीक्षा कर रणनीति बना ली गई है। घाटी में शांति और माहौल खराब करने की किसी भी कोशिश को विफल किया जाएगा।
विस चुनाव की सुगबुगाहट के बीच दहशत पैदा करने की साजिश
सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट को देखते हुए भी आतंकी तंजीमों को माहौल बिगाड़ने के निर्देश हैं। चूंकि, हुर्रियत का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। जमात-ए-इस्लामी पर शिकंजा कसा गया है। ऐेसे में अलगाववादियों की ओर से चुनाव बहिष्कार की कॉल के असर दिखाने की संभावना न के बराबर है। युवा अब अपने करियर के प्रति संवेदनशील हो गया है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने के लिए दहशत व भय का वातावरण बनाने के लिए आतंकी गतिविधियों को तेज करने का षडयंत्र है।