1962 में पहली बार निलंबित हुए थे सांसद, क्या सभी सरकारें अलोकतांत्रिक? विपक्ष के रवैये पर भड़के वेंकैया नायडू

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर  

नई दिल्ली 02 दिसम्बर 2021। सांसदों के निलंबन को अलोकतांत्रिक बताने और माफी से इनकार के विपक्ष के रवैये पर राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने दुख जताया है। विपक्ष के रवैये पर सवाल हुए राज्यसभा के चेयरमैन ने नेहरू काल से अब तक हुए सांसदों के निलंबन के मामले की याद दिलाते हुए सवाल पूछा है कि क्या अब तक की सभी सरकारें अलोकतांत्रिक थीं। उन्होंने सदन के दोनों पक्षों सत्ता और विपक्ष से अपील की है कि वे आगे बढ़ें और बातचीत के साथ मामले का हल करें। नायडू ने पूछा कि सांसदों का यह निलंबन पहली बार नहीं हुआ है। इसकी शुरुआत 1962 में हुई थी और तब से 2010  तक 11 बार ऐसा किया जा चुका है। इस तरह के प्रस्ताव लाने वालीं क्या सभी सरकारें अलोकतांत्रिक थीं? यदि ऐसा ही है तो फिर कई बार ऐसा क्यों किया गया।

वेंकैया नायडू ने सदन के नाम लिखे पत्र में कहा कि सदन की कार्यवाही को लेकर तय नियमों के मुताबिक यह ऐक्शन लिया गया है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने भी कहा कि यदि संबंधित सदस्य माफी मांग लेते हैं तो निलंबन वापस ले लिया जाएगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विपक्ष के नेता सांसदों की हरकतों को अलोकतांत्रिक कहने की बजाय उन पर किए गए ऐक्शन पर ही सवाल उठा रहे हैं। लेकिन एक बार भी उन्होंने इस मुद्दे पर बात नहीं की है कि आखिर यह निलंबन की कार्रवाई क्यों हुई है। दरअसल मॉनसून सत्र में जो हुआ, वह सदन की गरिमा को खत्म करने वाला था। वह ऐसी हरकत थी कि उसका दोबारा जिक्र भी नहीं किया जा सकता है।

राज्यसभा चेयरमैन ने जनता से की यह अपील

यही नहीं देश के लोगों से अपील करते हुए राज्यसभा के चेयरमैन ने कहा कि मुझे भरोसा है कि लोग लोकतंत्र के इन नए तरीकों को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले भी इस तरह के निलंबन संबंधित सदस्यों के खेद जताने या फिर माफी मांगने पर वापस लिए गए हैं। मुझे इस बात से बहुत दर्द हुआ कि विपक्ष के कुछ नेताओं ने माफी मांगने से इनकार किया है और निलंबन की कार्रवाई को ही अलोकतांत्रिक करार दिया है। सदन के नेता भी यह कहा है कि यदि माफी मांग ली जाती है तो फिर निलंबन वापस ले लिया जाएगा। 

इंसान ही गलतियां करता है, पर सुधार भी जरूरी: नायडू

उन्होंने कहा कि इंसान ही गलती करता है और वही सुधार भी करता है। लेकिन कोई सुधार की बात से इनकार करके गलतियों का ही महिमामंडन नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि ऐसी हरकतों पर ऐक्शन को ही अलोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता। उन्होंने सदन के दोनों पक्षों से अपील करते हुए कहा कि वे आगे आएं और बात करें ताकि सदन सुचारू रूप से चल सके।

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