खाने के समय बच्चों के गले में अटक सकती हैं ये 5 चीजें, खिलाते समय जरूर बरतें ये सावधानी

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बच्चे हमेशा कुछ न कुछ खाने के लिए उत्साहित रहते हैं। वे कोई पसंदीदा चीज खाने के दौरान भूल जाते हैं कि उनका निवाला कितना बड़ा या छोटा होना चाहिए। यही कारण है कि अक्सर खाना खाते समय उनके गले में खाना फंस जाता है। लेकिन खास बात यह है कि कुछ ऐसे फूड्स हैं जिन्हें बच्चों को खिलाने के दौरान माता-पिता को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। साथ ही कुछ खिलाते हुए बच्चों से बात करने से बचें, क्योंकि इससे गले में खाना अटकने की आशंका बढ़ जाती है। डॉ. मेधावी अग्रवाल का कहना है कि गले में कुछ अटक जाने का मतलब होता है कि श्वसन नली में किसी वस्तु या पदार्थ का अटकना, जिससे सांस अवरुद्ध हो जाती है। इसमें खांसी भी हो सकती है और गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। आमतौर पर बच्चों के गले में खाने का टुकड़ा फंस सकता है।

गाजर-

अगर वह चबा सकता है तो भी बच्चे को गाजर न सौंपे। उनके दाढ़ अब भी विकसित हो रहे हैं और यदि वह एक बड़ा टुकड़ा निगल लेता है, तो यह संकीर्ण भोजन नली को अवरुद्ध कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप चोकिंग की समस्या हो जाती है।

फल-

सेब और अन्य ठोस फल चोकिंग का कारण बन सकते हैं और इसलिए उन्हें छोटे टुकड़ों में काटा जाना चाहिए, ताकि निगलने से पहले बच्चा उन्हें छोटे टुकड़ों में चबा सके। केले का एक बड़ा टुकड़ा भी चोक हो सकता है। अपने बच्चों को ठीक से चबाना और धीरे-धीरे खाना सिखाएं।

नट्स-
बच्चों को खिलाने से पहले उन्हें पाउडर में पीसना या बारीक काटना सबसे अच्छा है। पूरे नट्स कठोर हैं और छोटे टुकड़ों में तोड़े बिना निगलने पर बहुत खतरनाक हो सकते हैं।

पॉपकॉर्न-

बच्चों के बीच यह काफी लोकप्रिय है लेकिन विशेष रूप से शिशुओं को इससे दूर रखा जाना चाहिए। पॉपकॉर्न का आकार बच्चों की संकीर्ण भोजन नली में फंस जाने की आशंका को बढ़ाता है और चोकिंग के कारण जटिलताएं पैदा करता है।

च्यूइंगम और कैंडी-
हंसते या कूदते समय कैंडी गटक जाना बहुत आम है। बच्चे अक्सर एक बार में बहुत सारे कैंडी खाने के लिए उत्सुक होते हैं और इसलिए कैंडीज या गम गंभीर खतरा पैदा करते हैं।

बच्चों, नवजात शिशुओं के गले में कुछ अटकने पर ये करें-

  • एक साल से कम उम्र के बच्चे या नवजात शिशु के गले में खाना या फिर कोई वस्तु अटक जाए तो उन्हें इन तरीकों से प्राथमिक उपचार दें :
  • सबसे पहले तो शोर-शराबा या चिल्लाएं नहीं।
  • बच्चे को गोद में लेकर बैठें और फिर बच्चे का मुंह नीचे की और करके उसे अपनी जांघ पर लिटा दें। इस दौरान उसके सिर और गर्दन को सहारा दें। इस बात का ख्याल रखें कि बच्चा का सिर उसके धड़ के स्तर से नीचे हो।
  • हथेली से बच्ची की पीठ पर कंधों के बीच हल्का-हल्का थपथपाएं। इससे अटकी चीज निकल जाएगी।
  • अगर ऐसे भी न निकले तो बच्चे को सीधा करें।
  • अपनी दो अंगुलियों की मदद से बच्चे की छाती को हल्का हल्का प्रेस करें। ज्यादा जोर से न दबाएं।
  • न निकले तो यह प्रक्रिया 5-5 बार दोहराएं।

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