चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की पीएम मोदी ने की शुरुआत, किसानों का किया जिक्र ,बोले- देश की तरक्की के पीछे किसान ही हैं

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर          

नई दिल्ली 04 फरवरी 2021। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गोरखपुर में हो रहे चौरी-चौरा कांड के शताब्दी समारोह की शुरुआत की। इस ऐतिहासिक घटना की याद में उत्तर प्रदेश सरकार यह समारोह मना रही है। इस मौके पर भी PM मोदी किसानों का जिक्र करना नहीं भूले। उन्होंने कहा कि देश की तरक्की के पीछे किसान ही हैं। उन्होंने चौरी-चौरा संघर्ष में भी अहम भूमिका निभाई थी।

मोदी ने कहा कि पिछले छह साल में हमने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। यही वजह रही कि कोरोना के दौरान भी एग्रीकल्चर सेक्टर में ग्रोथ देखी गई है। उन्होंने कहा कि मंडियों को किसानों के लिए फायदेमंद बनाने के लिए 1,000 और मंडियों को E-NAM से जोड़ा जाएगा।

PM के भाषण की खास बातें

1. सौ साल पहले सिर्फ थाने में नहीं, दिलों में आग लगी थी
सौ साल पहले चौरी-चौरा में जो हुआ वह सिर्फ आग लगा देने की एक घटना नहीं थी। वह आंदोलन बहुत व्यापक था। पहले जब भी इसकी बात हुई उसे आगजनी की घटना के रूप में ही देखा गया। आगजनी क्यों हुई, यह देखना भी जरूरी है। वह आग थाने में ही नहीं लगी थी, लोगों के दिलों में भी लगी थी।

2. शहीदों को इतिहास में ज्यादा जगह नहीं मिली
चौरी-चौरा में पूरे साल चलने वाले कार्यक्रमों में शहीदों को याद किया जाएगा। देश आजादी की 175वीं वर्षगांठ मना रहा है, ऐसे में यह और प्रासंगिक हो जाता है। चौरी-चौरा के शहीदों को भले इतिहास में प्रमुखता से जगह नहीं दी गई हो, लेकिन इस माटी में मिला उनका खून हमें प्रेरणा देता है।

3. महामना को याद करने का भी दिन
अंग्रेजी हुकूमत तो सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देने पर तुली थी, लेकिन बाबा राघवदास और महामना मालवीय जी के प्रयासों से सैकड़ों लोगों को फांसी से बचा लिया गया था। ऐसे में यह दिन बाबा राघवदास और महामना मालवीय जी को स्मरण करने का भी है।

4. सामूहिकता की शक्ति भारत को बड़ी ताकत बनाएगी
शताब्दी समारोह के कार्यक्रमों को लोक कला और आत्मनिर्भरता से जोड़ने का प्रयास किया गया है। सामूहिकता की जिस शक्ति ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ा था, वही शक्ति भारत को दुनिया की बड़ी ताकत भी बनाएगी। यही शक्ति आत्मनिर्भर का मूलभूत आधार है। इस देश को 130 करोड़ देशवासियों के लिए आत्मनिर्भर बना रहे हैं।

5. सब कह रहे थे टैक्स बढ़ाना होगा, हमने ऐसा नहीं किया
बजट से पहले लोग कह रहे थे कि कोरोना संकट की वजह से सरकार को जनता पर बोझ डालना ही पड़ेगा। कर बढ़ाना पड़ेगा, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार ने देश को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा खर्च करने का फैसला लिया है। इन सब चीजों के लिए काम करने वालों की जरूरत भी तो पड़ेगी। इससे देश के युवाओं को रोजगार मिलेगा।

6. पहले वोट बैंक का बही खाता होता था बजट
पहले हमारे यहां बजट में यह होता था कि किसके नाम पर कितनी घोषणाएं की गईं। बजट को वोट-बैंक का बही-खाता बना दिया गया था। पहले की सरकारों ने बजट को ऐसी घोषणाओं का माध्यम बना दिया था, जो पूरी ही नहीं कर पाते थे। अब देश ने वह सोच बदल दी है, एप्रोच बदल दी है।

7. हमारे वैक्सीनेशन प्रोग्राम से दूसरे देशों से सीखा
आप कल्पना कीजिए, जब कोरोनाकाल में इस देश ने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों के लिए दवाएं भेजी हैं। आज भारत खुद कोरोना की वैक्सीन बना रहा है। दुनिया के दूसरे देशों से तेज गति से वैक्सीन लगा रहा है। देश ने कोरोना की लड़ाई जिस तरह लड़ी, उसकी दुनिया में तारीफ हो रही है। हमारे टीकाकरण अभियान से दूसरे देश सीख रहे हैं।

यूपी के सभी जिलों में कार्यक्रम शुरू

1922 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने चौरी चौरा में एक पुलिस चौकी में आग लगा दी थी। इस घटना में 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। इस मौके पर PM एक डाक टिकट भी जारी करेंगे। इसी के साथ यूपी के सभी 75 जिलों में कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

चौरी चौरा विद्रोह में शहीद हुए लोगों की याद में बना बलिदान स्तंभ।

30 हजार से ज्यादा लोग वंदे मातरम गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएंगे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चौरी-चौरा कांड के शहीदों के परिवार के 99 लोगों को सम्मानित किया। 5 लोगों को मुख्यमंत्री ने खुद मोमेंटो दिया। अब शाम को शहीद स्थल पर दीप जलाए जाएंगे। शहीदों की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इस दौरान एक साथ 30 हजार से ज्यादा लोग वंदे मातरम गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएंगे। सभी को तय समय पर वंदे मातरम गाते हुए वीडियो अपलोड करना होगा।

गोरखपुर क्रांतिकारियों का गढ़ था

13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियांवाला बाग कांड और 4 फरवरी 1922 को चौरी चौरा की घटना के बाद से ही चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, अशफाक उल्लाह जैसे क्रांतिकारी सोच के लोग हारावल दस्ते के रूप में उभरे थे।

इन सबका मानना था कि आजादी सिर्फ अहिंसा से मिलने से रही। उस दौरान गोरखपुर ऐसे क्रांतिकारियों का गढ़ बन गया था। काकोरी कांड के आरोप में रामप्रसाद बिस्मिल ने वहीं की जेल में सजा काटी। बाद में 10 दिसंबर 1927 को उन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को गले लगा लिया था।

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