छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रांची 30 अगस्त 2022। झारखंड में जारी सियासी बवंडर के बीच हार्स ट्रेडिंग रोकने यूपीए के विधायकों को छत्तीसगढ़ लाए जाने की चर्चा है। झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार के सभी विधायकों को रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट में ठहराए जाएगा। राजनीतिक गलियारों में रिसॉर्ट के अंदर बाहर भारी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए जाने की बातें सामने आ रही है। महाराष्ट्र में हाल ही में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन में हुई टूट से सबक लेते हुए झारखंड महागठबंधन के सभी विधायकों को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ भेजने की बात सामने आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक शाम 5.30 बजे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत सत्ताधारी खेमे के सभी विधायक विशेष विमान से रायपुर आएंगे। शनिवार को झारखंड में मुख्यमंत्री आवास पर विधायकों की बैठक के बाद 41 विधायकों को 3 स्पेशल बसों के जरिए किसी गुप्त स्थान के लिए रवाना किया गया था। खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बस से हाथ हिलाते हुए इशारा किया था। झारखंड में सत्तारूढ़ यूपीए को हार्स ट्रेडिंग की आशंका है, इसलिए गठबंधन के सभी विधायकों को बाहर जाने से रोक गया था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सबसे मजबूत सरकार हैं और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं।
सीएम हेमंत की सदस्यता रद्द होने की आशंका
झारखंड में सियासी संकट के बीच 27 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा और यूपीए के कुल 41 विधायकों को लेकर खूंटी में लतरातू डैम पर बने रिसॉर्ट में पहुंचे थे। अब सीएम सहित सभी विधायकों के छत्तीसगढ़ लाए जाने की चर्चा हो रही है। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होने की आशंका है। चुनाव आयोग से राज्यपाल को पत्र भेजे जाने की बातें पिछले 4 दिनों से सियासी गलियारों में चल रही है। वहीं पलामू में महादलितों पर हुए अत्याचार को लेकर भाजपा ने झारखंड सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
हरियाणा के विधायकों की रायपुर में हुई थी बाड़ेबंदी
बता दें कि राज्यसभा चुनान के दौरान 2 जून 2022 को क्रास वोटिंग की आशंका जताते हुए हरियाणा के सभी कांग्रेसी विधायकों को रायपुर लाया गया था। हरियाणा कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों सहित कुल 34 लोग रायपुर आए थे। सभी विधायकों को कड़ी सुरक्षा के बीच स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट से सीधे नवा रायपुर के मेफेयर होटल और रिसार्ट ले जाया गया था। विधायक 10 दिनों तक रायपुर में थे। हरियाणा में राज्यसभा चुनाव में एक सीट के लिए 31 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी। कांग्रेस के पास ठीक 31 विधायक ही थे। विधायकों की बाड़ेबंदी करने के बाद भी हरियाणा में कांग्रेस राज्यसभा सीट नहीं बचा सकी थी।