छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रांची 01 जून 2022। साल 2019 में झारखंड में सीआरपीएफ के जवानों ने जाबांजी दिखाते हुए एक मुठभेड़ में नक्सलियों के छक्के छुड़ा दिए थे। मुठभेड़ में शामिल जवानों की बहादुरी की चर्चा हर जगह होने लगी। इसके बाद सीआरपीएफ मुख्यालय ने इन सभी जवानों के लिए राष्ट्रपति वीरता पदक के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुशंसा की थी। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीआरपीएफ मुख्यालय की अनुशंसा पर यह मामला झारखंड पुलिस हेडक्वार्टर पहुंचा लेकिन यहां अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस अनुशंसा पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को एक बार फिर रिमाइंडर भेजकर मंतव्य उपलब्ध कराने को कहा है।
इन जवानों को वीरती पदक देने की की गई थी अनुशंसा
सीआरपीएफ मुख्यालय ने जिन जवानों के लिए राष्ट्रपति वीरता पदक की अनुशंसा की है, उनमें 18 जुलाई 2019 को लोहरदगा के बगड़ु में मुठभेड़ में शामिल सीआरपीएफ के सहायक समादेष्टा राजकमल वर्द्धन, हवलदार सुनील मुर्मू, सिपाही आनंद रजवार, गुदुरी विनोद व शंकरनंद कपरट्टी शामिल हैं। इसकेअलावा गिरिडीह के भेलवाघाटी में 15 अप्रैल 2019 को मुठभेड़ में शहीद सीआरपीएफ के जवान विश्वजीत चौहान के अलावा मुठभेड़ में शामिल सहायक समादेष्टा अजय कुमार, सुनील कुमार, सिपाही राजेश कुमार यादव, एएसआइ श्रीराम कुशवाहा, पंकज सोरारी व धनजीत तालुकदार के लिए भी सीआरपीएफ मुख्यालय ने राष्ट्रपति वीरता पदक की अनुशंसा की थी
हम जल्द ही प्रक्रिया को करेंगे पूरी: झारखंड पुलिस मुख्यालय
मामले को तूल पकड़ता देख पुलिस मुख्यालय ने सूचना दी है कि जल्द ही इससे संबंधित लंबित सभी प्रक्रिया पूरी कर राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र से भेजने की तैयारी की जा रही है।