लखीमपुर हिंसा: एसआईटी जांच से नाखुश सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली 09 नवंबर 2021। लखीमपुर खिरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि लिंचिंग की प्राथमिकी में एकत्र किए गए सबूत एक विशेष आरोपी को बचाने के लिए एकत्र किए जा रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि वह जांच से संतुष्ट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि दो अलग-अलग केस की एफआईआर ओवरलैप कर एक विशेष आरोपी को लाभ दिया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने ओवरलैप की गई दोनों एफआईआर में अलग-अलग जांच के निर्देश दिए. एक एफआईआर प्रदर्शनकारी किसानों को कार से कुचलने और दूसरा कथित लिंचिंग के मामले में है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि लिंचिंग की प्राथमिकी में एकत्र किए गए सबूत एक विशेष आरोपी को बचाने के लिए एकत्र किए जा रहे थे।

चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली और जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पर सवालों की झड़ी लगा दी. जस्टिस हिमा कोहली ने साल्वे से सवाल किया कि अब तक सिर्फ आशीष मिश्रा का ही फोन क्यों जब्त किया गया है और मामले के अन्य आरोपियों के फोन का क्या हुआ. आशीष मिश्रा केंद्र में मंत्री अजय मिश्रा के बेटे हैं. बेंच ने सवाल किया क्या अन्य आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते थे. साल्वे ने उत्तर प्रदेश सरकार की स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कुछ आरोपियों ने कहा कि उनके पास मोबाइल फोन नहीं है, लेकिन सीडीआर प्राप्त कर लिए गए हैं।

जस्टिस कोहली ने कहा, “क्या आपका यह बयान है कि किसी अन्य आरोपी के पास मोबाइल फोन नहीं था?” साल्वे ने कहा कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि आरोपी वहां थे और चश्मदीदों ने उन सभी का ब्योरा दिया है. इस मौके पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि एक विशेष आरोपी को प्राथमिकी को ओवरलैप करके लाभ देने की कोशिश हो रही है. बेंच ने कहा कि अदालत एसआईटी से उम्मीद करती है कि किसानों की मौत के मामले में गवाही देने आने वालों के लिए स्वतंत्र कार्रवाई होगी और दूसरे मामले में जो सबूत जुटाए जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल इसमें नहीं किया जा सकता. इस पर बेंच ने साल्वे से कहा कि ऐसा लगता है कि यह एसआईटी एफआईआर के बीच जांच दूरी बनाए रखने में असमर्थ है. बेंच ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि दो प्राथमीकियों में सबूत स्वतंत्र रूप से दर्ज किए गए हैं, वह जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने का इच्छुक है और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की है. साल्वे ने सरकार से निर्देश लेने के लिए कुछ समय मांगा।

मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. लखीमपुर में किसानों के शांतिपू्र्वक प्रदर्शन के दौरान एक जीप ने किसानों को कुचल डाला था. जिसमें चार किसानों की मौत हुई थी और उसके बाद भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी जिनमें एक पत्रकार भी शामिल था. आरोप है कि जीप अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा चला रहे थे..

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