छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
इस्लामाबाद 03 अक्टूबर 2021। पाकिस्तान में पिछले कई दिनों से जारी हिंसा के बाद इमरान सरकार ने अपने हथियार डाल दिए हैं। जानकारी के मुताबिक इमरान खान की पार्टी वाली सरकार कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान(टीएलपी) सामने झुक गई है और दोनों के बीच हिंसा रोकने के लिए एक ‘सीक्रेट डील’ भी हुई है। इस डील के तहत पाकिस्तान सरकार ने टीएलपी के 860 कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया है, बदले में टीएलपी से मांग की गई है कि वह पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन को भी रोक देगा। पाकिस्तानी गृह मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। विभाग की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि टीएलपी के 860 कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया गया है, इन्हें बीते दिनों हुई हिंसा के बाद हिरासत में लिया गया था। किसी भी कार्यकर्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया गया था।
क्या है पूरा मामला
पिछले दिनों फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद का कार्टून क्लास में दिखाए जाने को अभिव्यक्ति की आजादी बताया था। यहीं से बवाल शुरू हुआ। इस्लामिक पार्टी टीएलपी ने इस बयान के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मांग की कि पाकिस्तान से फ्रांस के राजदूत को निष्कासित किया जाए। इस मांग के समर्थन में अप्रैल में पाकिस्तान में उग्र प्रदर्शन हुआ और हिंसा भड़क गई। इसके बाद पाकिस्तानी पुलिस ने टीएलपी प्रमुख साद रिजवी के साथ कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था।
साद रिजवी की रिहाई के लिए फिर भड़की हिंसा
टीएलपी प्रमुख साद रिजवी को हिरासत में लिए जाने के बाद टीएलपी समर्थकों ने पाकिस्तान में प्रदर्शन शुरू कर दिया। बीते दिन दिनों से जारी हिंसक प्रदर्शन में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें 10 पुलिसकर्मी तो 11 टीएलपी समर्थक शामिल हैं। बीते दिनों इमरान सरकार ने 350 कार्यकर्ताओं को रिहा किया था। अब 860 और समर्थकों को रिहा किया गया है।
प्रदर्शन खत्म होने की संभावना नहीं
भले ही इमरान सरकार ने 860 टीएलपी कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया हो, लेकिन पाकिस्तान में फिलहाल प्रदर्शन खत्म होने की संभावना नहीं है। दरअसल, टीएलपी की मांग है कि उसके सभी कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए। इसको लेकर रविवार को पाकिस्तान सरकार और टीएलपी के बीच वार्ता भी हुई थी। इसके बाद टीएलपी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे मौलवी मुनीबुर रहमान ने कहा था कि टीएलपी कार्यकर्ता लाहौर से 150 किमी दूर वजीराबाद में धरना देंगे, लेकिन यह प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा, जब तक एक-एक कार्यकर्ता को रिहा नहीं कर दिया जाता।