छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 16 जुलाई 2023। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक उड़ान की सफलता ने एक और अंतरिक्ष अभियान को गति दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान के प्रक्षेपण में एलवीएम3-एम4 रॉकेट का इस्तेमाल किया था। अपने वजन के कारण बाहुबली कहे जाने वाले इस रॉकेट ने इस अभियान में अपनी क्षमता का लोहा भी मनवा दिया है। यह सफलता इस लिहाज से बेहद अहम है कि भारत के महत्वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान में इसी रॉकेट के संशोधित संस्करण का इस्तेमाल किया जाना है। इसरो के बंगलूरू स्थित मुख्यालय में तमाम वैज्ञानिक गगनयान मिशन को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करने में जुटे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत, अगले साल तीन सदस्यीय दल को तीन दिनों के लिए 400 किमी दूर कक्षा में भेजने और फिर समुद्री सतह पर उतारकर उनकी पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की परिकल्पना की गई है।
मानव जीवन की संभावनाएं तलाशेगा : जितेंद्र
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर मानव जीवन की संभावनाओं का पता लगाएगा। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के मामले में चंद्रयान-3 ने भारत को अग्रणी वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। इसकी सफल लॉन्चिंग कई मायने में भारत के लिए फायदेमंद साबित होगी। इससे भारत को अपना अंतरिक्ष अभियान नए मुकाम पर पहुंचाने में मदद मिलेगी।
अगस्त अंत में पहला एबॉर्ट मिशन
एमवीएम3 जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में 4,000 किलोग्राम अंतरिक्ष यान लॉन्च करने में सक्षम इसरो का हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है। अन्य भारी लिफ्ट लॉन्चर की तरह ह्यूमन रेटेन एलवीएम3 भी तीन चरणों में लॉन्च होगा। ठोस चरण, तरल चरण और क्रायोजनिक चरण। यह ऑर्बिटर मॉड्यूल को 400 किलोमीटर दूर पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाने में सक्षम होगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के मुताबिक, गगनयान मिशन के लिए पहला एबॉर्ट मिशन अगस्त अंत तक आयोजित किया जाएगा।
क्षमताओं पर भरोसा बढ़ा
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रयान-3 को ले जाने वाले 44.3 मीटर लंबे रॉकेट के ही मानव रेटेड क्षमता वाले संशोधित संस्करण को गगनयान मिशन में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए बाहुबली रॉकेट एलवीएम3 में मानवयुक्त अभियान की जरूरतों के मुताबिक कुछ बदलाव किए गए हैं।
चंद्रमा पर भारत की मौजूदगी के प्रज्ञान से बनेंगे अमिट निशान
चंद्रयान के साथ भेजा गया रोवर सिर्फ वहां की सूचनाएं ही इकट्ठा नहीं करेगा, बल्कि और भी कई उल्लेखनीय काम करेगा। लैंडर से निकलने के बाद रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर भारत की मौजूदगी के अमिट निशान छोड़ेगा। दरअसल, रोवर का पिछला पहिया इस तरह डिजाइन किया है कि वह आगे बढ़ने के साथ चंद्रमा की सतह पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अंकित करेगा। उसका दूसरा पिछला पहिया इसरो का निशान बनाएगा, जो अमिट होगा। इस प्रकार रोवर प्रज्ञान चांद पर भारत की मौजूदगी का अमिट प्रमाण छोड़ेगा। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें चंद्रयान-3 मिशन की कुछ झलकियां साझा की गई हैं। इसमें रोवर पर उभरे हुए निशान को भी प्रदर्शित किया गया है। ऐसा ही एक वीडियो चंद्रयान-2 मिशन के दौरान भी इसरो ने अपने यूट्यूब चैनल पर साझा किया था।