छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
भुवनेश्वर 18 सितंबर 2022। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्र का ध्यान इस बात की ओर आकृष्ट किया है कि ओडिशा की अनुसूचित जनजाति की सूची में समुदायों को शामिल करने के राज्य सरकार के 160 से अधिक प्रस्तावों पर दशकों से कोई सुनवाई नहीं हुई है। नवीन पटनायक ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में समुदायों को शामिल करने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय के पास लंबित 160 से अधिक राज्य सरकार के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए पत्र लिखा है।ओडिशा सरकार ने 1978 के बाद से जनजाति सलाहकार परिषद की मंजूरी के साथ 160 से अधिक समुदायों को राज्य की अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने के लिए केंद्र के जनजातीय मामलों के मंत्रालय को सिफारिश की है। पटनायक ने शुक्रवार को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा को लिखे पत्र में कहा कि एसटी सूची में शामिल होने में देरी के कारण राज्य के 160 से अधिक समुदाय ‘‘ऐतिहासिक अन्याय’’ का शिकार हो रहे हैं।
पटनायक ने पत्र में कहा कि इनमें (160 समुदाय) से कुछ नए हैं, जबकि अन्य उप-जनजाति और उप-समूह, समानार्थी, और राज्य के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले मौजूदा अनुसूचित जनजाति समुदायों के ध्वन्यात्मक रूपांतर हैं, जिन्हें अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले लाभों से वंचित किया जा रहा है। हालांकि उनके पास उनके संबंधित अधिसूचित एसटी के समान आदिवासी विशेषताएं हैं। पटनायक ने पत्र में उल्लेख किया, ‘‘मुझे यह बताया गया है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत एक टास्क फोर्स ने वर्ष 2014 में राज्य की एसटी सूची में शामिल करने के लिए प्राथमिकता के मामलों के रूप में ओडिशा से नौ प्रस्तावों की सिफारिश की थी, लेकिन इसे अभी तक राष्ट्रपति आदेश में अधिसूचित नहीं किया गया है। एसटी सूची में शामिल होने में देरी के कारण राज्य के ये सभी 160 से अधिक समुदाय ‘ऐतिहासिक अन्याय’ का शिकार हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस लंबित मामले पर गौर करें और भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार इन समुदायों को सामाजिक न्याय देने के लिए कदमों में तेजी लाएं। यह इन वंचित समुदायों को एसटी के रूप में जरूरी मान्यता देकर और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करके उनकी मदद करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। पटनायक के अनुसार, वह वर्ष 2011 और उसके बाद से इस संवेदनशील मामले पर भारत सरकार के साथ संवाद कर रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री से लंबे समय से लंबित मामले को हल करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने और उन समुदायों के साथ न्याय करने का आग्रह किया, जो दशकों से अपनी उचित शिकायतों के निवारण के लिए इंतजार कर रहे हैं।