छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
राजनांदगांव 02 जनवरी 2022। राजनांदगांव की खैरागढ़ रियासत के राजा और विधायक रहे देवव्रत सिंह की मौत के बाद संपत्ति के विवाद ने राजपरिवार को बेघर कर दिया। बात इतनी बढ़ी कि प्रशासन को दखल देना पड़ा। अफसरों ने साल के पहले दिन शनिवार को ‘कमल विलास पैलेस’ को सील कर दिया है। वहां रहने वाले राज परिवार के सभी सदस्यों और नौकरों को बाहर कर दिया गया है। संभवत: वे अब रायपुर में बने फ्लैट्स में रहने के लिए जा सकते हैं। दरअसल, राज परिवार में चल रहे विवाद को देखते हुए एसडीएम, खैरागढ़ ने शनिवार को राजमहज ‘कमल विलास पैसेल’ को सील करने का आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि स्व. देवव्रत सिंह की पुत्री शताक्षी और अन्य तीन और विभा सिंह के बीच खैरागढ़ तहसील में मामला विचाराधीन है। राजा स्व. देवव्रत सिंह के कमल विलास पैलेस के अधिपत्य और बंटवारे को लेकर इन पक्षों में विवाद की स्थिति है। इस वजह से अंतिम निराकरण होने तक कमल विलास पैलेस को सीलबंद किया जाना ही उचित प्रतीत होता है।इस आदेश के बाद शनिवार शाम को प्रशासन की टीम पैलेस को सील करने की कार्रवाई के लिए पहुंच गई। उन्होंने राजपरिवार के सभी सदस्यों, वहां रहने वाले नौकरों को पैलेस खाली करने के लिए कह दिया। नौकरों को उनका सामान और राजपरिवार के सदस्यों को निजी व जरूरी उपयोगी सामान ले जाने की अनुमति दी गई। इसे राजघराने का मुख्य पैलेस माना जाता है।
राजा के बच्चों ने लगाई थी मदद की गुहार
संपत्ति को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद एक सप्ताह पहले सड़क पर आ गया, जब एक ऑडियो वायरल हुआ था। इस ऑडियो में दिवंगत राजा स्व. देवव्रत सिंह और उनकी दूसरी पत्नी विभा सिंह के साथ पैतृक गहने, नगदी और जबरन कमल विलास पैलेस में कब्जा करने जैसी बाते थीं। इसके पहले उनके बेटे आर्यव्रत सिंह और बेटी शताक्षी सिंह ने विभा सिंह पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाकर मदद की गुहार लगाई थी। इसके अगले ही दिन राजा के बच्चों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर जनता भड़क गई। बड़ी संख्या में समर्थकों कमल विलास पैलेस का घेराव कर दिया। मौके पर मौजूद पुलिस ने रोकने का प्रयास किया, लेकिन महल के अंदर तक जाने से रोक नहीं पाई। पुलिस अधिकारी विरोध प्रदर्शन करने आए लोगों को समझाते रहे, लेकिन वे नहीं माने। विभा सिंह के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते रहे और उन पर जबरन पैलेस में कब्जा करने का आरोप लगाया।