जीएनसीटीडी बिल के खिलाफ ‘आप’ सभी पार्टियों का समर्थन लेने में जुटी, दिल्ली के उपराज्यपाल के अधिकार बढ़ाने का होने लगा विरोध

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर          

नई दिल्ली 23 मार्च 2021। आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 (GNCTD Bill 2021) का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी और गैर-एनडीए दलों से संपर्क किया है। पार्टी ने कहा, ‘आप’ ने मंगलवार को सभी विपक्षी दलों से राज्यसभा में जीएनसीटी बिल का विरोध करने का अनुरोध किया है, जो कहता है कि दिल्ली में “सरकार” का अर्थ “उपराज्यपाल” है। उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश विपक्षी दलों ने इस बिल के खिलाफ ‘आप’ के रुख का समर्थन किया है और इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 को लेकर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना और डीएमके आम आदमी पार्टी के साथ हैं और राज्यसभा में इस बिल का विरोध करेंगे।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 को कांग्रेस और ‘आप’ के कड़े विरोध के बीच सोमवार को लोकसभा में पारित कर दिया गया था। ‘आप’ ने इस बिल को “असंवैधानिक” कहा था। यह बिल पास होने से दिल्ली सरकार के लिए किसी भी कार्यकारी कार्रवाई से पहले एल-जी की राय लेना अनिवार्य बनाता है। दिल्ली में ‘आप’ सत्ता में है।

केजरीवाल ने बिल को बताया था जनता का अपमान

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को लोकसभा में पारित ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को राष्ट्रीय राजधानी के लोगों का अपमान करार दिया था। केजरीवाल ने कहा कि विधेयक प्रभावी रूप से उन लोग से शक्तियां ले लेता है, जिन्हें जनता ने वोट देकर चुना है और उन लोगों को शक्ति प्रदान करता है, जिन्हें जनता ने हराया है। 

जीएनसीटीडी बिल लोकसभा से पास

लोकसभा ने दिल्ली में उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां प्रदान करने वाला ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2021’ सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया था। इस बिल में उपराज्यपाल (एलजी) की कुछ भूमिकाओं और अधिकारों को परिभाषित किया गया है।

बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था कि संविधान के अनुसार, दिल्ली विधानसभा से युक्त सीमित अधिकारों वाला एक केंद्र शासित राज्य है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा है कि यह केंद्र शासित राज्य है। सभी संशोधन न्यायालय के निर्णय के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा था कि कुछ स्पष्टताओं के लिए यह बिल लाया गया है, जिससे दिल्ली के लोगों को फायदा होगा और पारदर्शिता आएगी। उन्होंने आगे कहा कि इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं लाया गया और तकनीकी कारणों से लाया गया है ताकि भ्रम की स्थिति नहीं रहे। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी।

बिल लाने के पीछे केंद्र ने दिया ये तर्क

गृह राज्य मंत्री ने कहा कि दिसंबर, 2013 तक दिल्ली का शासन सुचारू रूप से चलता था और सभी मामलों का हल बातचीत से हो जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विषयों को लेकर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में जाना पड़ा क्योंकि कुछ अधिकारों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। रेड्डी ने कहा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कैबिनेट के फैसले, एजेंडा के बारे में उपराज्यपाल को सूचित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि कुछ विषयों पर कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। इनके अभाव में दिल्ली के लोगों पर असर हो रहा है। दिल्ली का विकास भी प्रभावित होता है। यह जरूरी है कि प्रशासनिक अस्पष्टताओं को समाप्त किया जाए ताकि दिल्ली के लोगों को बेहतर प्रशासन मिल सके। रेड्डी ने कहा था कि दिल्ली विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश है। यह सभी लोगों को समझना चाहिए कि इसकी सीमित शक्तियां हैं। इसकी तुलना किसी अन्य राज्य से नहीं की जा सकती है।

उन्होंने कहा था कि इस बिल के जरिये किसी से कोई अधिकार नहीं छीना जा रहा है। पहले से ही स्पष्ट है कि राष्ट्रपति केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में दिल्ली के उपराज्यपाल को नियुक्त करते हैं। अगर कोई मतभेद की स्थित हो तब विषय को राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है। बिल के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, इस विधेयक में दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में सरकार का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा। इसमें दिल्ली की स्थिति संघ राज्य क्षेत्र की होगी जिससे विधायी उपबंधों के निर्वाचन में अस्पष्टताओं पर ध्यान दिया जा सके। इस संबंध में धारा 21 में एक उपधारा जोड़ी जाएगी।

इसमें कहा गया है कि बिल में यह भी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है कि उपराज्यपाल को आवश्यक रूप से संविधान के अनुच्छेद 239क के खंड 4 के अधीन सौंपी गई शक्ति का उपयोग करने का अवसर मामलों में चयनित प्रवर्ग में दिया जा सके। बिल के उद्देश्यों में कहा गया है कि उक्त विधेयक विधान मंडल और कार्यपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का संवर्द्धन करेगा तथा निर्वाचित सरकार एवं राज्यपालों के उत्तरदायित्वों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप परिभाषित करेगा। 

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