ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेस में राहुल ने दी सरकार को अनेक सलाह, लॉकडाउन कोरोना का हल नहीं

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राहुल गांधी बोल, वायरस खत्म करने कहीं इकॉनामी चौपट न कर लें।

छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

नई दिल्‍ली 16 अप्रैल 2020   देश में जारी कोरोना वायरस संकट के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पत्रकारों से साथ बातचीत की। जिसमें उन्होंने कहा कि लॉकडाउन कोविड-19 का हल नहीं है। यह केवल एक पॉज (रोकना) बटन की तरह है। उन्होंने सरकार को मुख्यमंत्रियों और जिलाधिकारियों को ताकतवर बनाने के लिए कहा। साथ ही देश में कोरोना जांच के परीक्षण बढ़ाए जाने की मांग की।

कोरोना के खिलाफ टेस्टिंग बड़ा हथियार: राहुल
एक बार बीमारी शुरू हो गई तो सभी देशों ने टेस्टिंग किट मंगानी शुरू कर दी। इसलिए कमी स्वाभाविक है। लेकिन हमें कोई न कोई तरीका निकालना पड़ेगा। टेस्टिंग को बढ़ाना ही होगा। अगर आप कोविड से लड़ना चाहते हैं तो बिना टेस्टिंग के यह संभव नहीं है। अगर आप नॉन हॉटस्पॉट्स में जांच ही नहीं कर रहे हैं तो आप कामयाब नहीं हो सकते। इसे रणनीति बनाकर करना होगा। वायरस के खिलाफ टेस्टिंग एक बड़ा हथियार है।

‘टेस्टिंग को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की जरूरत’
राहुल ने टेस्टिंग की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि लॉकडाउन वायरस का कोई हल नहीं है। यह सिर्फ एक पॉज बटन है। हमें रणनीति बनानी होगी। टेस्टिंग बढ़ानी होगी और रणनीतिक तौर पर इसका इस्तेमाल करना होगा। अगर कोरोना वायरस से लड़ना है तो टेस्टिंग को बड़े पैमाने पर बढ़ाना होगा। हमें उन इलाकों में भी टेस्टिंग करनी होगी जहां केस नहीं हैं।

‘इमर्जेंसी सिचुएशन है, मिलकर लड़ना होगा’
कांग्रेस नेता ने कहा कि जो हुआ वह हो गया लेकिन अब इमर्जेंसी सिचुएशन है। अब आगे देखते हैं और मिलकर हिंदुस्तान यूनाइट होकर कोरोना से लड़े। इससे देश को भी फायदा होगा। रणनीतिक तौर पर काम करें। लॉकडाउन हुआ तो बात बनी नहीं बल्कि पोस्टपोन हुई है। रिसोर्सेज को स्टेट के हाथ दीजिए। राज्यों को जीएसटी दीजिए। मुख्यमंत्रियों और जिलों के प्रशासन से खुलकर बात कीजिए और उनकी जो जरूरतें हैं उन्हें पूरा कीजिए। जिले स्तर पर कार्रवाई हो, निचले स्तर पर कार्रवाई हो।

‘लॉकडाउन से बात नहीं बनी बल्कि टली है’
लॉकडाउन हुआ तो बात बनी नहीं बल्कि पोस्टपोन हुई है। रिसोर्सेज को स्टेट के हाथ दीजिए। राज्यों को जीएसटी दीजिए। मुख्यमंत्रियों और जिलों के प्रशासन से खुलकर बात कीजिए और उनकी जो जरूरतें हैं उन्हें पूरा कीजिए।

‘बिना राशनकार्ड वालों को भी मिले खाना, न्याय योजना अपनाए सरकार’
फूड सेफ्टी सुनिश्चित कीजिए। गोदामों में अनाज पड़े हुए हैं। जिनके पास राशनकार्ड नहीं हैं, उन्हें भी राशन दीजिए। न्याय योजना को अपनाइए। गरीबों के खाते में डायरेक्ट पैसे भेजिए। छोटे और लघु उद्योगों के लिए सरकार पैकेज तैयार करे ताकि रोजगार न छिनें। कंपनियों के लिए प्रोटेक्शन तैयार कीजिए।

‘तत्काल कार्रवाई की जरूरत, देरी पड़ेगी भारी’
लॉकडाउन के बाद एग्जिट स्ट्रैटिजी क्या होगी, हॉस्पिटल को रैम्प अप कैसे करेंगे….इसकी तैयारी हो। कार्रवाई में देरी नहीं बल्कि तत्काल होनी चाहिए। हॉटस्पॉट्स और नॉन हॉटस्पॉट्स में अभी सरकार सिर्फ पहले वाले क्षेत्रों में टेस्टिंग पर जोर दे रही है। जब तक कोई इलाका हॉटस्पॉट नहीं बनता तब तक वहां टेस्टिंग तेज नहीं हो रही। इस रणनीति को बदलने की जरूरत है।

‘देश पर वित्तीय दबाव बढ़ने वाला है’
राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से देश पर वित्तीय दबाव बढ़ने वाला है। उन्होंने कहा कि सरकार को पहले से इसके लिए तैयारी रखनी चाहिए। फूड एक बड़ी समस्या बनने वाली है। गोदाम भरे पड़े हैं लेकिन गरीबों के पास खाने को नहीं है। गरीबों तक अनाज दीजिए। किसानों को प्रोटेक्शन की जरूरत है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोटेक्शन की जरूरत है।

अपनी 100 क्षमताओं को अभी मत झोकिए। अगर अभी झोक दिया और 3 महीने तक स्थिति नहीं सुधरी तब हालात खराब हो जाएंगे। हेल्थ के मोर्च पर आपने अभी पॉज बटन दबाया है, जैसे ही पॉज बटन को हटाएंगे तब बीमारी तेजी से फैलेगी। वित्तीय संरक्षण, लोगों को फूड सिक्यॉरिटी, उद्योगों के प्रोटेक्शन और फाइनैंशल पैकेज देना होगा।

‘कंपलीट लॉकडाउन पूरी तरह से संभव ही नहीं’
कंपलीट लॉकडाउन पूरी तरह से संभव ही नहीं है। प्रवासी मजदूरों की समस्या बहुत गंभीर है। कुछ लोग उन्हें घर भेजने की सलाह दे रहे हैं तो कुछ लोग उन्हें जहां हैं वहीं रहने देने की सलाह दे रहे हैं। सरकार को बेहतर फैसला लेना होगा। आप किसी को दोष नहीं दे सकते।

मोदी से कहां कमी रह गई के सवाल पर
जिस दिन कोविड को हिंदुस्तान ने हरा दिया, उस दिन बताऊंगा कि कमी कहां रह गई। आज मैं कंस्ट्रक्टिव सजेशन देना चाहता हूं, तू-तू-मैं-मैं नहीं करना चाहता। इसमें सबको मिलकर एक साथ लड़ना होगा। मैं नरेंद्र मोदी से बहुत बातों में असहमति रखता हूं लेकिन यह लड़ने का वक्त नहीं है। किसी को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर हम एकजुट होकर काम करने में कामयाब हुए तो भारत इसे आसानी से हरा देगा। अगर एक दूसरे से हम लड़ना शुरू कर देंगे तो हार जाएंगे।

प्रवासी मजदूरों की समस्या पर
सरकार को एक्सपर्ट्स से बात कर कदम उठाने चाहिए। गोदामों में रखे अनाज को बांटा जाना चाहिए। जिनके पास राशनकार्ड नहीं हैं, उन्हें भी राशन मिलना चाहिए। सरकार को हर गरीब को 10 किलो गेहूं, 10 किलो चावल और 1 किलो चीनी हर महीने जरूर देनी चाहिए।

स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले के सवाल पर
टेस्टिंग से किसी का नुकसान नहीं होने वाला है। टेस्टिंग से बीमारी के बारे में सूचना मिलती है और इसे बड़े पैमाने पर करना चाहिए। बीमारी के खिलाफ हिंदुस्तान को एक होना पड़ेगा। जाति, धर्म, उम्र सबको भूलकर एक होना पड़ेगा। बुजुर्गों को ज्यादा खतरा है। हिंदुस्तान में डायबिटीज, हार्ट की बीमारियां, फेफड़े आदि की समस्याएं बहुत हैं। सभी उम्र वालों में इस तरह की समस्याएं हैं। ऐसे लोगों को प्रोटेक्शन देना बहुत जरूरी है। टेस्टिंग बहुत जरूरी है। यूरोप और अमेरिका में यह सिर्फ बुजुर्ग लोगों की बीमारी है लेकिन हिंदुस्तान में यह सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं है।

‘प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार ने रणनीति बनाई होती तो ऐसा नहीं होता’
बातचीत से आगे जाने की जरूरत है। पैसे लगाने की जरूरत है। मुख्यमंत्रियों से बात करने की जरूरत है। प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार ने कई गलतियां की। अगर रणनीति बनाई गई होती तो ऐसी स्थिति नहीं होती। राज्यों को सभी प्रवासी मजदूरों का ध्यान रखना चाहिए।

‘राज्यों, मुख्यमंत्रियों को और ज्यादा अधिकार देने की जरूरत’
दुनिया में भारत के अलावा कोई ऐसा देश नहीं है, जिसने इतने ज्यादा प्रवासी मजदूरों के बावजूद लॉकडाउन किया। आपको मुख्यमंत्रियों को और ज्यादा अधिकार देने की जरूरत है। केंद्र को मेन नैशनल सिस्टम को कंट्रोल करने की जरूरत है लेकिन राज्यों को अपने क्षेत्रों को लेकर फैसला लेने का अधिकार होना चाहिए। राहुल ने कहा कि लॉकडाउन को रणनीतिपूर्वक खोलना चाहिए। इसके लिए राज्यों को आक्रामक ढंग से टेस्टिंग करनी पड़ेगी।

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