छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 28 अप्रैल 2022। कोविड -19 की समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के राज्यों से पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने के आग्रह पर विपक्ष के नेता भड़क गए। उन्होंने आरोप लगाया कि तेल की कीमतों पर मोदी सरकार राजनीति कर रही है, उसे जुमलेबाजी के बजाय उत्पाद शुल्क घटाने पर जोर देना चाहिए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आपत्ति जताते हुए कहा, पीएम ने पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस की बढ़ती कीमतों का मामला राज्यों पर छोड़ दिया कि राज्यों को कीमतों में कमी करनी चाहिए। लेकिन राज्य यह कैसे कर सकते हैं। वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए आंकड़े रखते हुए कहा कि कीमतें वहीं ज्यादा जहां विपक्ष का शासन है। ममता ने कहा कि कीमतें आपने बढ़ाई हैं। क्या आपने कभी अपनी आय देखी? ममता ने प्रधानमंत्री की बातों को भ्रामक कहते हुए कहा कि एकतरफा बातें कीं। ममता ने कहा, जहां तक मेरे राज्य की बात है तो आपको पता होना चाहिए कि पिछले 3 साल से मैं पेट्रोल पर 1 रुपये की सब्सिडी दे रही हूं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 18.42 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 18.24 रुपये प्रति लीटर की कटौती करे। कांग्रेस की सरकार में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर था। अब पेट्रोल पर यह 27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर है। सरकार को पिछले 8 साल में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क के जरिये जुटाए गए 27 लाख करोड़ रुपये का हिसाब देना चाहिए।
ब्रिक्स देशों में कम कीमत में दूसरे स्थान पर भारत
- भाजपा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमत वाले 10 में से आठ राज्य गैर भाजपा शासित हैं। पार्टी सूत्रों ने इस पर मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के आरोपों का भी खंडन किया और कहा कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में देश में कीमत अपेक्षाकृत कम रही है, जो भारत की तरह कच्चे आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं। ब्रिक्स देशों में भारत में पेट्रोल और डीजल की दूसरी सबसे कम कीमतें हैं, जब उनकी मुद्रा विनिमय दर रुपये के साथ समायोजित की जाती है।
- सत्तारूढ़ दल ने दावा किया कि केंद्र ने अपने राजस्व का उपयोग मुफ्त अनाज जैसे कल्याणकारी उपायों के लिए किया है, जिसे अब सितंबर तक बढ़ा दिया गया है, जो पहले के अनुमानित 2.6 लाख करोड़ रुपये से खर्च को बढ़ाकर 3.4 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।