
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
मुंबई 17 अप्रैल 2025। शिवसेना (यूबीटी) ने विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए रणनीति बनाना तेज कर दिया है। इसके लिए पार्टी ने अपने संस्थापक बाल ठाकरे का सहारा लिया है। पार्टी ने बुधवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब जैसी आवाज निकाली। भाषण में भाजपा और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली मौजूदा शिवसेना पर हमला बोला गया। हालांकि, राज्य भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इसे बचकाना स्टंट बताया।
बाल ठाकरे जैसी तेज आवाज में 13 मिनट का भाषण
बाल ठाकरे जैसी तेज आवाज वाले करीब 13 मिनट के भाषण की शुरुआत उनकी खास शुरुआती पंक्ति ‘जामलेय माझ्या तमाम हिंदू बांधवणु, बाघिनिनो आणि मतनो’ (यहां एकत्र हुए मेरे हिंदू भाइयों, बहनों और माताओं को नमस्कार) से हुई। उत्तर महाराष्ट्र के नासिक में शिवसेना (यूबीटी) की एक सभा में इसे प्रसारित किया गया।
बाल ठाकरे के हाव-भाव और लहजे को भी पकड़ने की कोशिश की गई
शिवसेना (यूबीटी) के मुताबिक, इस भाषण में वही बातें कहने की कोशिश की गई, जो बाल ठाकरे जीवित होते तो कहते। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे की ओर से लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा और शिंदे की पार्टी पर किए गए हमलों जैसा लग रहा था। एआई के भाषण में बाल ठाकरे के हाव-भाव और लहजे को भी पकड़ने की कोशिश की गई।
भविष्य की रैलियों में इस रणनीति का इस्तेमाल
यह पहली बार है जब शिवसेना संस्थापक के भाषण का इस्तेमाल उनके बेटे की पार्टी ने अपने विरोधियों पर निशाना साधने के लिए किया। पार्टी भविष्य की रैलियों में इस रणनीति का इस्तेमाल कर सकती है, क्योंकि उद्धव ठाकरे अपने राजनीतिक जीवन के अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर का सामना कर रहे हैं। शिवसेना (यूबीटी) इस साल होने वाले बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों के लिए भी कमर कस रही है।
क्यों उठाना पड़ा यह कदम?
एआई का यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब शिवसेना (यूबीटी) के विरोधी बाल ठाकरे की ओर से कांग्रेस की आलोचना करने के पुराने वीडियो का मजाक उड़ा रहे हैं।
सबसे खराब दौर से गुजर रहा एमवीए
शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) विपक्षी दल महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक हैं, जिसने पिछले साल विधानसभा चुनावों में 288 सीटों में से केवल 46 सीटें जीतकर सबसे खराब प्रदर्शन किया था। शिवसेना (यूबीटी) को प्रतिद्वंद्वी शिवसेना की 57 सीटों की तुलना में केवल 20 सीटें मिलीं।