लगभग 12 साल से नहर में पानी के नाम पर घुटरा, पेंड्री, सलबा के किसान छले जा रहे हैं
साजिद खान -9407638850
विशेष खोजी रिपोर्ट
कोरिया /छत्तीसगढ़ 03 दिसम्बर 2020 (छत्तीसगढ़ रिपोर्टर )। धुनेठी नाला में बांधे गए बांध की तरफ से जब नहर डोंगरी होते हुए घुटरा, पेंड्री, सलबा गांव तक पहुंचती हैं तो नहर के कई हिस्से क्षतिग्रस्त पड़े हुए हैं। जिले में इस वर्ष औसतन बरसात से कहीं अधिक हुई बरसात बीत चुकी। बीती इस भरी बरसात मे बांध का पानी जब नहर के प्रथम छोर डोंगरी तक नही चढ पा रहा है तो इन गांवों तक नहर का पानी अंतिम छोर तक कैैैसे पहुंच पाएगा। जबकि विभाग ने वर्ष 2014 में ही प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अंतिम छोर तक पानी पहुंंचना बताया था। लेकिन जब विधानसभा में प्रश्न उठा तब पता चला कि प्रश्न उठने के पहले तक विभाग अंतिम छोर तक पहुंचाने की झूठी वाहवाही बटोर रहा था। हद तो ये हो गई सदन में उठे प्रश्न के लिए भी विभाग जिले से झूठी जानकारी का उत्तर भेजकर प्रस्तुत करवाने में सफल रहा। गांवों तक पहुंची इस नहर के बीच-बीच के हिस्सों पर गांव के कृषक हर बरसात में आसमान से गिरे नहर में भरे पानी को मिट्टी का कटाव बना करके पानी रोककर उसका रूख मोड़ करके खरीफ में एक फसली खेती कार्य करते आ रहे हैं। बांध से गांवों तक लाई गई इस क्षतिग्रस्त नहर में बांध का पानी गांवों तक नही पहुंच पाने के लिए बांध व नहर दोनों में कई तकनीकी खामियां बताई जाती हैं।
पूर्व में अपनी झूठी वाहवाही के लिए जलसंसाधन विभाग ने किसानों की खुशहाली को लेकर झूठी प्रेस विज्ञप्ति तक जारी की थी। 6 मार्च 2020 की विधानसभा में अन्य डायवर्सन योजना के साथ घुटरा डायवर्सन योजना के विषय में प्रश्न उठ जाना ही विभाग द्वारा पूर्व में जारी इस प्रेस विज्ञप्ति पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर देता है :-
अपनी वाहवाही के लिए वर्ष 2014 में जल संसाधन विभाग प्रेस विज्ञप्ति भी निकलवाई और प्रेस विज्ञप्ति में शीर्षक था कि “” घुटरा व्यपवर्तन योजना से नहर के अंतिम छोर तक पानी सप्लाई से ग्रामवासियों एवं किसानों में हर्ष व्याप्त “” विज्ञप्ति में विभाग कहता है कि छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2008-2009 में ग्राम घुटरा के धुनेठी नाला में घुटरा व्यपवर्तन योजना में नहर का निर्माण कार्य अनुबंध के तहत ठेकेदार के माध्यम से बांध एवं नहर का कार्य कराया गया था किन्तु ठेकेदार के द्वारा नहर का कार्य बीच- बीच में पूर्ण नही नही किया गया एवं वर्षा ऋतु के समय अतिवृष्टि होने के कारण नहर में कटाव एंव रेनकट आ जाने से बांध का पानी अंतिम छोर तक नही पहुंच पा रहा था। वर्ष 2014 में विभाग द्वारा घुटरा व्यपवर्तन योजना का कार्य अपने आधिपत्य में लेकर नहर का मरम्मत का कार्य विभागीय अधिकारियों/ कर्मचारियों की देखरेख में एवं ग्रामवासियों के सहयोग से संपन्न कराया जा रहा है। जिससे बांध के नहर में पानी सप्लाई प्रारंभ हो चुकी है। ग्राम घुटरा तक पानी सप्लाई होने से ग्राम घुटरा, पेंड्री एंव सलवा के किसानों एवं ग्रामवासियों में हर्ष व्याप्त है। वहीं भूमि के सिंचित हो जाने से ग्राम के बेरोजगार युवकों को कृषि उत्पादन होने पर रोजगार मिलने की पर्याप्त संभावना है । इस नहर का पानी उपयोग कर भूमि से रबी एवं खरीफ फसल का लाभ ग्राम घुटरा , पेंड्री एवं सलबा के किसान प्राप्त कर सकेंगे। जिससे क्षेत्र की भूमि का पर्याप्त उपयोग होगा।
यदि विभाग की इस विज्ञप्ति को वर्तमान का सच मान लिया जाए कि घुटरा व्यपवर्तन योजना की नहर मरम्मत के बाद 2014 से ही नहर सुचारू रूप से प्रारंभ है और खरीफ व रबी में प्रस्तावित 263 हेक्टयर भूमि की क्षमतानुसार अभी नहर के पानी से सिंचाई होती रही जिससे घुटरा, पेंड्री एंव सलवा के सभी कृषकों में हर्ष व्याप्त रहा। यदि सच में हर्ष व्याप्त रहता तो भरतपुर-सोनहत क्षेत्र के विधायक को क्या आवश्यकता पड़ी थी कि विधानसभा में अन्य डायवर्सनों के साथ घुटरा डायवर्सन के मुद्दे को लॆकर विधानसभा में प्रश्न उठाना पडता। लेकिन आवश्यकता तो बिल्कुल रही क्योंकि सच तो इससे परे रहा कि बांध का पानी गांवों तक पहुंची इस नहर में अंतिम छोर क्या प्रथम छोर तक नही पहुंच पा रहा है और नहर क्षतिग्रस्त है। इस वर्ष औसतन से कहीं अधिक हुई तेज बरसात होने पर भी बांध का पानी नहर के प्रथम छोर तक नही चढ पाया और जलसंसाधन विभाग है कि प्रेस विज्ञप्ति में वर्ष २०१४ से अंतिम छोर तक पानी सप्लाई करके ग्रामवासियों और किसानों में हर्ष व्याप्त की जानकारी देता रहा था। गड़बड़ी रही ! किसानों को डायवर्सन का लाभ नही मिल पा रहा तभी तो सदन में प्रश्न उठा। इस डायवर्सन के निर्माण के संबंध में पूर्व में यदि तकनीकी अधिकारियों से तकनीकी गलती हो ही गई तो स्वीकार क्यों नही कर लिया जाता ? उस पर झूठ क्यों बांधा जाता रहा है ?
जलसंसाधन संभाग कोरिया के द्वारा विभागीय उच्च स्तर पर विधानसभा के लिए घुटरा डायवर्सन से सिंचाई सुविधा का लाभ दस्तावेज में 30 किसान लाभ ले रहे हैं तथा वर्तमान में खरीफ शून्य लेकिन रबी में सिंचाई रकबा 16 है, वाली भेजी गई झूठी जानकारी के मामले में घुटरा, पेंड्री, सलबा के ग्रामीण जनों ने जलसंसाधन उपसंभाग मनेन्द्रगढ़ एसडीओ को ज्ञापन सौंपा कि जमीनी सत्यता की सही जानकारी भेजी जावे :-
सौंपे गए ज्ञापन में घुटरा, पेंड्री, सलबा के ग्रामीणों जनों ने पत्र में उल्लेख किया है कि घुटरा व्यपवर्तन योजना की तकनीकी जांच कर अपने विभागीय उच्च स्तर पर झूठी जानकारी भेजने के बजाए जमीनी स्तर की वास्तविक जानकारी भेजें। हम घुटरा, पेंडरी, सलबा के ग्रामीण लोगों को जानकारी मिली है कि जलसंसाधन संभाग कोरिया के द्वारा अपने विभागीय उच्च स्तर पर जानकारी दी गई कि घुटरा व्यपवर्तन योजना से 30 कृषक लाभान्वित है। खरीफ में सिंचाई रकबा शून्य है जबकि रबी में सिंचाई रकबा 16 हेक्टयर है एवं नहर मरम्मत योग्य है तथा पत्थरों की कटाई शेष है।
विभागीय उच्च स्तर पर दी गई जानकारी कि 30 कृषक लाभान्वित है बिल्कुल झूठी है। खरीफ में सिंचाई रकबा शून्य है ठीक है। लेकिन रबी में सिंचाई रकबा 16 हेक्टयर कैसे हो सकता है यह भी तो शून्य ही होगा। ऐसी स्थिती में घुटरा व्यपवर्तन योजना से 30 कृषक कैसे लाभान्वित हो सकते हैं। घुटरा व्यपवर्तन योजना से कोई कृषक नहर के पानी से लाभान्वित नही है। बल्कि बरसात के मौसम में हम पुरानी निर्मित जर्जर नहर में बरसात के पानी को रोककर तथा अन्य साधनों से खेती करते हैं। क्यों ऐसा है कि कई बार मरम्मत होने के बाद भी जब से बांध और नहर निर्मित हुआ तब से आज तक मरम्मत योग्य ही है। जब से नहर बनी है तब से बांध का पानी प्रथम छोर डोंगरी तक नही चढ पाया तो घुटरा, पेंड्री, और सलबा तक पहुंचना दूर की कौडी है। हम ग्रामीण जन चाहते हैं कि जलसंसाधन संभाग कोरिया अपने विभागीय उच्च स्तर पर जमीनी सत्यता की सही जानकारी दे। झूठी जानकारी न दे।
बीते 6 मार्च की विधानसभा के तारांकित प्रश्नोत्तर काल में भरतपुर-सोनहत विधायक ने कृषि व जलसंसाधन मंत्री से पूछा था कि सिंचाई रकबा बढाने हेतू जलसंसाधन विभाग द्वारा निर्माण कराए गए अन्य डायवर्सनों के साथ घुटरा डायवर्सन से सिंचाई सुविधा का लाभ ले रहे किसानों की संख्या, सिंचाई का रकबा तथा उक्त डायवर्सन से वर्तमान में सिंचाई हो रहा है या नही एंव नहरों की क्या स्थिति है ! :-
ज्ञात हो कि फरवरी- अप्रेल 2020 के सत्र की विधानसभा में 6 मार्च को सदन में तारांकित प्रश्नोत्तर में भरतपुर-सोनहत विधायक ने बिहीनाला डायवर्सन, सिरियाखोह डायवर्सन, बदरा जलाशय, मंजनीमाटी डायवर्सन, शैलापटपर डायवर्सन, बिछली झरिया डायवर्सन के साथ घुटरा डायवर्सन के लिए भी प्रश्न उठाया था कि घुटरा डायवर्सन में सिंचाई सुविधा का लाभ ले रहे किसानों की संख्या एवं सिंचाई के रकबा तथा उक्त डायवर्सन से वर्तमान में सिंचाई हो रहा है या नही एंव नहरों की क्या स्थिति है, की जानकारी दी जाए। तो उत्तर में कृषि व जलसंसाधन मंत्री के द्वारा जलसंसाधन से मिले विभागीय दस्तावेजों के आधार पर जानकारी दी गई कि घुटरा व्यपवर्तन में रूपांकित सिंचाई क्षमता खरीफ की 190 तथा रबी की 73 है, निर्मित सिंचाई क्षमता खरीफ की 190 तथा रबी 73 है, सिंचाई सुविधा का लाभ ले रहे कृषकों की संख्या 30 है, वर्तमान में वास्तविक सिंचाई खरीफ की शून्य है व रबी की रकबा 16 (हेक्टर) है , नहर की स्थिति मरम्मत योग्य है, जिसमें 60 मीटर में कड़ी पत्थर की कटाई शेष है।
घुटरा, पेंड्री, सलबा के स्थानीय ग्रामीण जनों के द्वारा सौंपे गए ज्ञापन के हिसाब से माना जाए तो जलसंसाधन संभाग कोरिया से घुटरा डायवर्सन के संबंध में सदन तक पहुंची जानकारी झूठी है और मंत्री जी से इसी झूठी जानकारी को प्रस्तुत करवाने में विभाग कैसे सफल हो गया ? कि 30 कृषक लाभान्वित है जबकि कृषक (ग्रामीणजन) सौंपे गए ज्ञापन में कह रहे हैं यह झूठ है। जब नहर के पानी से वर्तमान की वास्तविक स्थिती में खरीफ की सिंचाई ही शून्य बताई जा रही है तो रबी की सिंचाई कैसे 16 हेक्टर में हो जाएगी ? वह भी तो शून्य ही रहेगी ना। तब लाभान्वितों की संख्या 30 कैसे हो गई ? इस नहर के लिए गजब का झूठ पर झूठ सामने आया।
घुटरा व्यपवर्तन योजना में हुई गडबडी को लेकर खोजबीन में तात्कालिन कोरिया कलेक्टर के लिए स्वयं के हाथों से लिखा गया स्व. रामचंद्र सिंहदेव(कुमार साहब) का भी पत्र मिला :-
कोरिया के शिल्पकार और कुमार साहब के नाम से चर्चित स्व. रामचंद्र सिंहदेव की जिले में किसानों के हित में पानी को लेकर बांध व नहर के रखरखाव तथा निर्माण के मामले में एक विशेषज्ञ के रूप में विराट क्षवि रही। “छत्तीसगढ़ रिपोर्टर” को खोजबीन में स्व. कुमार साहब के द्वारा तात्कालिन कलेक्टर कोरिया के लिए हाथों से लिखा गया पत्र मिला। पत्र में उन्होने लिखा है कि घुटरा सिंचाई योजना का कार्य ४ वर्ष से बंद किया गया है इसकी जांच और आवश्यक कार्यवाही का अनुरोध किया जाता है।
तकनीकी रूप से विवादित रहे घुटरा डायवर्सन के नहर के पानी को अपने सुपरविजन में मंजिल तक पहुंचाने में कोरिया में पदस्थ रह चुके अब तक चार Executive Engineer अक्षम रहे क्यों ? क्या खांडा जलाशय वाले मामले में निलंबित हुए पांचवे Executive Engineer के कार्यकाल में घुटरा डायवर्सन की ऐसी झूठी जानकारी विधानसभा के लिए भेजवाई गई ? :-
कोरिया जिला बैकुंठपुर के जलसंसाधन संभाग में पदस्थ रह चुके चार एक्सकुटिव इंजीनियर अपने सुपरविजन में घुटरा बांध के पानी को नहर से गांवो तक लाने में अक्षम साबित हुए क्यों ? क्या तकनीकी रूप से बांध की ऊंचाई कम है ? यदि बांध की ऊंचाई निम्नतर रही तो तकनीकि स्वीकृति क्यों जारी की गई ? कहीं यही कारण तो नही है कि बांध का पानी भरी बरसात में भी फ्लो रूप में नहर से गांव तक नही पहुंच पाता ? मरम्मत के बावजूद भी नहर आज भी मरम्मत योग्य ही है। Names of engineers and subordinate by whom the work was supervised. जिनमे एक्सकुटिव इंजीनियर ए.के. जैन का कार्यकाल 10/04/2008 से 01/06/2009 तक एस. के. रवि का कार्यकाल 1/08/2009 से 28/02/2012 तक यू. एस. राम का कार्यकाल 28/02/2012 से 11/05/ 2012 तक पुन: एस. के. रवि का कार्यकाल 12/05/2012 से 20/07/2012 तक पुन: यू. एस राम का कार्यकाल 21/07/2012 से 31/12/2012 तक (घुटरा व्यपवर्तन योजना का निर्माण कार्य पूर्ण होने तक)। ए.ई./सब डिवीजनल आफिसर यू.डी.रामटेकर का कार्यकाल 10/04/2008 से 14/ 08/2012 तक आर.आर. विश्वकर्मा का कार्यकाल 14/08/2012 से 31/12/2012 तक(कार्य पूर्ण होने तक)। सब इंजीनियर आर. के. मिश्रा का कार्यकाल 10/04/2008 से 31/12/2012 तक (कार्य पूर्ण होने तक)। इस व्यपवर्तन योजना में स्थल देखकर तकनीकी स्वीकृति जारी करने तथा सुपरविजन करने वाले एक्सकुटिव इंजीनियर से लेकर स्थल पर कार्य कराने वाले इन अफसरों की कैसी छत्रछाया घुटरा व्यपवर्तन पर पडी कि आज तक बांध का पानी नहर में पहुंचकर खेतों को सिंचित नही कर पाया। उस पर शासन की राशि इस योजना में खर्च होती रही वो अलग हिसाब किताब है। और अब तो विधानसभा में प्रश्न पूछे जाने के बाद योजना खुली किताब हो ही गई कि नहर मरम्मत योग्य है। 60 मी० में कड़ी पत्थर की कटाई शेष है। मतलब फिर से खर्चे का घर। क्या यह नही हो सकता है कि अब भविष्य में होने वाली इस नहर की मरम्मत की लागत खर्च राशि तकनीकी त्रुटि करने वालों से वसूल कर मरम्मत करवाई जाए ?
अनुबंध लागत, बाढ व आपदा में नहर मरम्मत लागत, पूर्ण लागत खर्च की घुटरा व्यपवर्तन योजना :-
2008 में घुटरा व्यपवर्तन योजना कार्य की ठेकेदार के साथ अनुबंध लागत 166.42 लाख रूपए थी। विभाग द्वारा प्रेस विज्ञप्ति निकलवाए जाने बाद ठेकेदार से कार्य को अपने हाथ मे ले लिए जाने बाद 31/12/2012 को कार्य पूर्ण कर लिया गया। वर्ष 2014 में बाढ एंव आपदा नियंत्रण योजना के तहत नहर का मरम्मत एंव 2 नग पक्के कार्यों के निर्माण के लिए २५ लाख रू. की स्वीकृति मिली। निर्माण कार्य में आखिरी स्थिति तक 3.22 लाख रू. खर्च करके कार्य पूर्ण कर लिए जाने के कुछ समयान्तराल बाद विभाग द्वारा किसानों की सिंचाई सुविधा में खुशहाली को लेकर वर्ष 2014 में प्रेस विज्ञप्ति निकलवाने के पश्चात अभी वर्ष 2020 में भरतपुर-सोनहत विधायक द्वारा अन्य डायवर्सन के साथ घुटरा डायवर्सन के मामले में प्रश्न उठाना और ग्रामीण जनों के द्वारा विभाग के एसडीओ को सौंपा गया ज्ञापन जलसंसाधन विभाग द्वारा पूर्व में निकलवाई गई विज्ञप्ति पर प्रश्नचिन्ह लगा देता है कि जलसंसाधन संभाग ने कोरिया घुटरा डायवर्सन के मामले में सदन तक झूठी जानकारी पहुंचवा दिया। आज यदि बांध का पानी नहर में फ्लो के रूप में बहकर अंतिम छोर तक पहुंचता तो घुटरा, पेेंडरी, सलबा के कृषक खरीफ व रबी (दो फसली) खेती करते। विभाग को इस तरह का झूठ कभी नही बांधना पड़ता।
जिस कार्य में शासन का बजट लगे उसमें तकनीकी गलतियां हो जाए उस गलती को छिपाने के लिए झूठ बांधा जाए और सदन तक झूठे जानकारी भेजवा दी जाए। ऐसे मामले में जो भी दोषी हों जांच कर उन पर लचीले तरीके से नही बल्कि जांच ऐजेंसी तन्मयता से निष्पक्ष कड़ी कार्यवाही कर सकती है। इस तरह सरगुजा संभाग में निर्मित ना जाने कितने डायवर्सनों, एनीकटों और जलाशयों के नाम पर कितने झूठ बांधे गए होंगें ?
पूर्व में कांग्रेस कमेटी के जिला उपाध्यक्ष रहे वर्तमान में भरतपुर-सोनहत के विधायक का घुटरा, सिरियाखोह, बिहीनाला डायवर्सन में की गई गड़बड़ी को लेकर जलसंसाधन विभाग के प्रमुख सचिव को पूर्व में लिखा गया पत्र :-
दिनांक 3/06/2017 को इन्होने अपने पत्र में उल्लेखित किया कि तात्कालिक अनुविभागीय अधिकारी जलसंसाधन मनेन्द्रगढ़ आर.आर. विश्वकर्मा के द्वारा निर्माण कार्यों के नाम पर भारी भ्रष्टाचार कर शासन को करोड़ों रूपए के हुए नुकसान की जांच के संबंध में शिकायत करते हुए इन्होने कहा कि घुटरा डायवर्सन योजना 322.09 लाख स्वीकृत राशि है एवं 263 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता है। धुनेठी नदी में घुटरा-सलबा-पेंडरी में निर्माण होने सें लगभग 263 हेक्टयर किसान लाभान्वित होते। लेकिन घटिया स्तर का निर्माण होने व इतनी बडी राशि खर्च होने के बाद भी किसानों को एक बूंद पानी नही मिल पाया व काफी किसानों को मुआवजा आज तक नही मिल पाया है। और बाढ राहत रिपेयर के नाम पर उपरोक्त 322.09 लाख रू खर्च करने व किसी भी किसान को लाभ न मिलने के कारण व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से बाढ आपदा मद से मरम्मत के नाम पर उसी घुटरा डायवर्सन का 25.00 लाख रू. और खर्च किया गया जो कि शासन की राशि का सीधा-सीधा दुरूपयोग है। इसी तरह से इन्होने इस पत्र में सिरियाखोह डायवर्सन और बिहीनाला डायवर्सन में की गई तकनीकी गड़बड़ी, अनियमितता और भ्रष्टाचार को उजागर किया था।
घुटरा, पेंड्री, सलबा ग्रामों में से पेंड्री ग्राम पूर्ववर्ती सरकार में घोषित विधायक आदर्श ग्राम रहा :-
पूर्ववर्ती सरकार में भरतपुर-सोनहत की विघायक ने घुटरा, पेंड्री, सलबा में से पेंड्री ग्राम को गोद लिया था। जिसमें पेंडरी विधायक आदर्श ग्राम घोषित रहा । बताया जाता है कि पूर्ववर्ती सरकार की इस विधायक ने घुटरा डायवर्सन नहर में हुई अनियमितता की वजह से किसानों को पानी नही मिलने को लेकर तात्कालिक समय में आदर्श ग्राम पेंड्री में लग चुके कई शिविरों में नहर की स्थिति ठीक करने के लिए विभाग के अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी।
जलसंसाधन उपसंभाग मनेन्द्रगढ़ में वर्तमान में पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी से घुटरा डायवर्सन की वर्तमान में सिंचाई और लाभान्वितों के बारे में जानकारी फोन पर ली गई तो उन्होने कहा कि 5 हेक्टयर से कम हो रही है। 5 हेक्टयर से ज्यादा नही हो पा रही है, खरीफ में ही। रबी में तो होती ही नही है। लाभान्वित किसानों के बारे में पूछने पर उन्होने जानकारी दी कि जब पानी ही नही जाएगा तो लाभान्वित कहां से होंगे। पानी नही जा रहा तो लाभान्वित नही हो रहे हैं। नहर की स्थिती गड़बड़ है।
अनुभागीय अधिकारी के द्वारा भी दी जानकारी से भी साफ जाहिर हो जाता है कि जिला विभागीय स्तर पर दस्तावेजी रूप में विधानसभा तक भेजी गई जानकारी कितनी झूठी है।