छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 12 दिसंबर 2023। अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के मोदी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर सियासत में बड़ा असर डालने वाली है। इस फैसले के बाद देश भर में जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के बाद सात दशक तक इस अनुच्छेद को बरकरार रखने, इसके कारण राज्य में अलगाववाद की मानसिकता मजूबत होने और आतंकवाद पनपने के साथ राज्य में देश के संविधान से जुड़े अहम विषयों को महत्व नहीं मिलने का मुद्दा उठेगा। ये सभी मुद्दे भाजपा के राष्ट्रवाद को और मजबूत करेंगे।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदलने के मोदी सरकार के फैसले को उचित ठहराने का फैसला उस वक्त आया है, जब महज चार महीने बाद आम चुनाव होने वाले हैं। जाहिर तौर पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में वर्तमान मोदी सरकार ही नहीं, जनसंघ के नेता रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस विचार को सही ठहराया है, जिसमें कहा गया था कि देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता के लिए एक देश, एक निशान और एक प्रधान की नीति ही जायज है।
घाटी से अलग तस्वीर बनाने की है कोशिश
भाजपा की कोशिश है कि जम्मू-कश्मीर की पहचान को कश्मीर घाटी तक सीमित नहीं रहने दिया जाए। पार्टी बताना चाहती है कि कश्मीर घाटी से इतर जम्मू और लद्दाख क्षेत्र भी है, जिसकी अपनी अलग भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि इस राज्य में भी आरक्षण नीति लागू होने, ओबीसी-एससी-एसटी वर्ग का दायरा बढ़ने और जम्मू संभाग में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ने के कारण राज्य में दूसरे क्षेत्र का भी महत्व बढ़ेगा।
सुधार के लिए लंबा समय
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा चुनाव कराने के लिए मोदी सरकार को दस महीने का समय दिया है। पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है। इसका अर्थ यह है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव के बाद अनुकूल वातावरण में राज्य में विधानसभा चुनाव कर सकती है।
कांग्रेस की मुश्किल
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ेंगी। भाजपा की रणनीति है कि वह कांग्रेस को अनुच्छेद-370 जारी रहने, इसके कारण ओबीसी, एसटी-एसटी आरक्षण बहाल न होने, अल्पसंख्यक हिंदुओं-सिखों के मानवाधिकारों की चिंता न करने संबंधी सवाल पर घेरेगी।