![](https://sp-ao.shortpixel.ai/client/to_webp,q_glossy,ret_img,w_1223,h_688/https://chhattisgarhreporter.com/wp-content/uploads/2023/07/adikari.jpg)
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
कोलकाता 29 जुलाई 2023। बंगाल भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कई दावे किए। शुभेंदु ने दावा किया कि नियमों की धज्जियां उड़ाते और दबाव बनाकर राज्य के गृह विभाग ने सीएमओ के शिकायत प्रकोष्ठ के लिए काल सेंटर स्थापित करने के लिए प्रशांत किशोर की कंपनी आइपैक को अवैध रूप से 152 करोड़ रुपये का टेंडर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से आईपैक ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनावी प्रबंधन का काम करती है। शुभेंदु ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को पत्र लिखकर इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने राज्यपाल से ईडी से इसकी जांच कराने का भी अनुरोध किया है। शुभेंदु ने आरोप लगाया कि आईपैक को फायदा पहुंचाने के लिए राज्य सरकार के उपक्रम वेबेल का टेंडर तक रद्द कर दिया। टेंडर का मूल्य पहले 120 करोड़ रुपये था, जिसे बाद में 152 करोड़ रुपये कर दिया गया। शुभेंदु ने कहा, इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय सीधे तौर पर शामिल है। गृह विभाग भी मुख्यमंत्री के पास है। शुभेंदु ने आरोप लगाया कि बंगाल सरकार झूठे प्रचार के लिए आईपैक का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वास्तव में आईपैक एक समानांतर सरकार चला रही है। उन्होंने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को पत्र लिखकर इस मामले में कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।
शुभेंदु ने कहा राज्य सरकार ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आइटी) विभाग को 2022 में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के शिकायत प्रकोष्ठ के लिए काल सेंटर स्थापित करने का निर्देश दिया था। इसके बाद सरकार नियंत्रित कंपनी वेबेल को नियमानुसार पहले 120 करोड़ रुपये में निविदा मिली। उक्त कंपनी को वर्क आर्डर भी दे दिया गया था। बाद में वेबेल पर टेंडर रद करने का दबाव डाला, पर उसके अधिकारी ऐसा करने को तैयार नहीं थे। इसके बाद वेबेल से जिम्मेदारी लेकर एक अन्य सरकारी कंपनी डब्ल्यूटीएल को फिर से टेंडर मंगाने को कहा गया। उसके जरिए शर्तों में ढील देकर आईपैक को 152 करोड़ का टेंडर दिया गया। शुभेंदु ने कहा, इतना सब कुछ मुख्यमंत्री की सहमति के बिना संभव नहीं है।