ज्ञापन में उल्लेख है कि ” यहां तक कि अदालतों ने भी अपने कई निर्णयों में कहा है कि आदिवासी हिंदु नही है ” !
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर / मो. साजिद खान
एमसीबी / कोरिया (सरगुजा) — इस देश में कई सारी धार्मिक , सांस्कृतिक और पारंपरिक विभिन्नताएं मौजूद हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक कई सारी जातियाँ और उपजातियाँ मौजूद हैं। इधर देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड / कामन सिविल कोड लागू करने की चर्चा चल रही है ! सवाल यह उठता है कि क्या यूसीसी / सीसीसी का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है ? और तैयार होकर दोनो सदनों में पेश हो चुका है ? इसी को लेकर केंद्र सरकार के द्वारा इस कानून को लागू करने और नही लागू करने के नाम पर समर्थन और विरोध शुरू हो चुका है। विरोध करने वालों को भी कहीं से सुगबुगाहट , अहसास या खबर लगी होगी कि हमारी संस्कृति , रीतिरिवाज के साथ इस कानून के लाने से अन्याय होगा। तभी वह भारी विरोध कर रहे हैं। दूसरी तरफ इस कानून का समर्थन करने वालों को अपने स्रोतों से पता चला होगा तो वह कह रहे हैं कि देश के लोगोंं को फायदा होगा और भाईचारा बढेगा। इसलिए इस कानून को लाने का समर्थन कर रहे हैं।
एमसीबी और कोरिया जिले में इस कानून का विरोध और समर्थन करने वालों के द्वारा कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम पर ज्ञापन सौंपा गया है। इस कानून का समर्थन करने वालों में श्री बजरंग सेना है तो विरोध करने वालों में सर्व आदिवासी समाज और राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद है।
इन बिंदुओं पर इस कानून को लाने का श्री बजरंग सेना द्वारा समर्थन किया गया है।
और इन बिंदुओं पर इस कानून को लागू नही करने को लेकर राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद द्वारा विरोध जताया गया।
वहीं सर्व आदिवासी समाज द्वारा इस कानून को देश में लागू नही करने के लिए कलेक्ट्रेट तक रैली निकाल कर इन बिंदुओं पर विरोध जताया गया।