छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
भोपाल 30 जुलाई 2022। बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र चालीसबोडी तिराहे पर शहीदी सप्ताह मनाने को लेकर बैनर-पोस्टर टांगे जाने का दावा किया जा रहा है। हालांकि, इस सिलसिले में पुलिस ने पुष्टि नहीं की है पर सोशल मीडिया में वायरल बैनर-पोस्टर कई सवाल उठा रहे हैं। बालाघाट जिले में रूपझर थाने की सोनेवानी पुलिस चौकी है। उसके नजदीक इस बार भी नक्सलियों ने शहीदी सप्ताह के बैनर पोस्टर टांग दिए हैं। जिससे इलाके में लाल आतंक की दहशत फिर बढ़ गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां चालीसबोडी तिराहे के कॉर्नर पर लाल रंग का बैनर टांगा गया है। साथ ही वहीं एक पर्चा चस्पा किया गया है। जिसमें 28 जुलाई से तीन अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाने का एलान किया गया। नक्सली शहीदी सप्ताह पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अपने पुराने साथी की याद में मनाते हैं। जिसमें किसी वारदात को अंजाम देने की परंपरा होती है। नक्सलियों के बैनर टांगने को लेकर पुलिस इनकार कर रही है। हालांकि, नक्सली क्षेत्रों में सर्चिंग बढ़ा दी गई है। पुलिस अलर्ट मोड पर है। सूत्र बताते है कि शहीदी सप्ताह के बैनर पर्चे की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया। कुछ अन्य जगहों पर पर्चे फेंके जाने का भी दावा किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि वह पूरी तरह सक्रिय है और हर स्थिति से निपटने के तैयार है।
नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए योजना
बता दें कि नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शिवराज सरकार एक योजना ला रही है। जिसका नाम समर्पण नीति दिया गया है। योजना के मुताबिक यदि नक्सली खुद सरेंडर करते हैं तो उन्हें पांच लाख रुपये नगद, निशुल्क प्रधानमंत्री आवास और खेती के लिए जमीन दी जाएगी। उनके पीड़ित परिवारों को भी राहत देने की योजना है। गृह मंत्रालय ने इसका एक प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट में भेज दिया है। वहां से प्रस्ताव पास होते ही नक्सली समर्पण नीति के लाभ के हकदार बन जाएंगे। सरकार की योजना के मुताबिक आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा। इसके लिए कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
पिछले महीने तीन नक्सली ढेर
पिछले महीने बालाघाट के कांदला खराड़ी के जंगल में तीन इनामी नक्सलियों को पुलिस ने ढेर किया था। जिसमें एक महिला नक्सली भी शामिल थी। पुलिस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के बाद इलाके के लोगों ने भी राहत की सांस ली थी। वहीं सरकार की नई योजना की चर्चा से लग रहा था कि इस बार नक्सली शहीदी सप्ताह जैसा कोई आयोजन नहीं करेंगे।