गूगल ने बनाया जोहरा सहगल पर डूडल,कान्स में आज ही के दिन मिला था सम्मान

Chhattisgarh Reporter
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गूगल ने मशहूर एक्ट्रेस सोहरा सहगल को किया याद

1946 में आज ही के दिन ‘कान्स फिल्म फेस्टिवल’ में रिलीज हुई थी ‘नीचा नगर’

छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

भारतीय सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस जोहरा सहगल को आज गूगल ने डूडल (Google Doodle) बनाकर याद किया है। इस डूडल में फूलों के बीच जोहरा को डांस करते हुए दिखाया है जिसे पार्वती पिल्लई नाम की कलाकार ने बनाया है। जोहरा का 29 सितंबर को ना जन्मदिन है और ना ही डेथ एनिवर्सरी, ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि यह डूडल क्यों बनाया गया है?

दरअसल, जोहरा की फिल्म ‘नीचा नगर’ को आज ही के दिन 1946 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में रिलीज किया गया था। फिल्म ने कान्स का सर्वोच्च सम्मान, पाल्मे डी’ओर अवॉर्ड भी जीता था।

‘सांवरिया’ थी अंतिम फिल्म

जोहरा ने बतौर नृत्यांगना वर्ष 1935 में करियर की शुरुआत की थी। सात दशक तक हिंदी सिनेमा में अपना योगदान देने वाली जोहरा की अंतिम फिल्म 2007 में आई ‘सांवरिया’ थी। 10 जुलाई, 2014 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। वह 102 साल की थीं।

थिएटर से तय किया फिल्मों का सफर

जोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल, 1912 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर शहर के रोहिल्ला पठान परिवार में हुआ। वे मुमताजुल्ला खान और नातीक बेगम की सात में से तीसरी संतान थीं। जोहरा का बचपन उत्तराखंड के चकराता में बीता। जोहरा ने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर में 14 साल तक नाटकों में अभिनय किया और इसके बाद फिल्मों में आईं।

फिल्मों में आने के बाद भी जोहरा ने रंगमंच का दामन नहीं छोड़ा। उन्होंने 75 की उम्र के बाद ‘दिल से’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘चीनी कम’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘वीर-जारा’ और ‘सांवरिया’ जैसी फिल्मों में यादगार अभिनय किया।

जोहरा सहगल का परिवार

14 अगस्त, 1942 को जोहरा की शादी पेंटर, डांसर और साइंटिस्ट कामेश्वर सहगल से हुई। उनके दो बच्चे बेटी किरन और बेटा पवन हैं। अंतिम दिनों में जोहरा अपनी बेटी के साथ ही रह रही थीं।

बेटी ने लिखी ‘जोहरा सहगल: फैटी’ नाम से जीवनी

वर्ष 2012 में बेटी किरन ने ‘जोहरा सहगल: फैटी’ नाम से उनकी जीवनी भी लिखी। ओडिशी नृत्यांगना किरन ने दुख जताते हुए कहा था कि अंतिम दिनों में उनकी मां को सरकारी फ्लैट तक नहीं मिला, जिसकी उन्होंने मांग की थी। उन्होंने कहा कि वह जिंदादिली और ऊर्जा से हमेशा लबालब रहती थीं।

पुरस्कार

  1. 1963: संगीत नाटक अकादमी
  2. 1998: पद्मश्री
  3. 2001: कालिदास सम्मान
  4. 2002: पद्म भूषण
  5. 2004: संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप
  6. 2010: पद्म विभूषण

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