छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
शिलॉन्ग 02 जून 2023। मेघालय हाईकोर्ट ने कोयला खनन के मुद्दे पर सरकार की खिंचाई की है। दरअसल सरकार ने बिना कोयला खनन की जगह के बारे में पूछे कोयले के निर्यात की अनुमति दे दी। गुरुवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजब बनर्जी और जस्टिस डब्लू दिएंगदोह की डिवीजन बेंच ने कहा कि ‘यह बेहद चिंताजनक है कि बार-बार केंद्रीय एजेंसियों की अपील के बावजूद हजारों मीट्रिक टन कोयले को निर्यात के लिए हरी झंडी दे दी गई और यह भी नहीं पूछा गया कि कोयले का उत्खनन कहां से हुआ है!
चेतावनी के बावजूद राज्य सरकार ने नहीं उठाए कदम
पीठ ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों ने अवैध कोयला खनन और अवैध परिवहन की आशंका जताई थी और इसे लेकर राज्य सरकार को आगाह भी किया था लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया और अदालत से भी केंद्रीय एजेंसियों के पत्रों को छिपाया। कोर्ट ने कहा कि इससे साफ है कि राज्य सरकार का माफिया और अवैध खनन करने वाले समूहों से गठजोड़ है। कोर्ट ने ये भी कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि प्रशासन में बैठे शीर्ष अधिकारी इससे अवैध फायदा उठा रहे हैं और राज्य के खजाने को हो रहे नुकसान के जिम्मेदार हैं।
सरकार ने मांगी माफी
मेघालय सरकार ने कोर्ट में हलफनामा देकर बिना शर्त माफी मांगी है। कोर्ट ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ‘राज्य सरकार को कोयला ले जा रहे हर ट्रक की जांच करनी चाहिए थी और उसकी कोयले का निर्यात करने की परमिशन को भी सत्यापित करना चाहिए था। साथ ही यह भी पता लगाना चाहिए था कि कोयले का खनन कहां से किया जा रहा है।’ कोर्ट ने कहा कि अगर कोयले के अवैध परिवहन, उसकी मांग को खत्म कर दिया जाता तो अवैध खनन भी अपने आप रुक जाता।