छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 19 दिसंबर 2022। अर्जेंटीना ने फीफा विश्व कप का खिताब जीत लिया है। इस टीम ने 1978 और 1986 के बाद तीसरी बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम की। इस जीत के साथ लियोनल मेसी का वर्ल्ड कप जीतने का सपना भी पूरा हो गया। 2006 में वर्ल्ड कप में डेब्यू करने वाले मेसी ने अपने पांचवें विश्व कप में जाकर विश्व कप जीता। अर्जेंटीना के कप्तान ने विश्व कप शुरू होने से पहले कहा था कि यह उनका आखिरी विश्व कप होगा। ऐसे में मेसी ने ट्रॉफी जीतकर ही दम लिया। दुनिया के महानतम खिलाड़ियों में शुमार मेसी का जर्सी नंबर 10 है, जो कि क्रिकेट में भी महान खिलाड़ी की जर्सी नंबर थी। जी हां हम बात कर रहे हैं भारत के पूर्व महान क्रिकेटर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की। तेंदुलकर ने भी अपने आखिरी विश्व कप में ट्रॉफी जीती थी। 2011 में सचिन ने आखिरी बार वनडे विश्व कप में हिस्सा लिया था और टीम को चैंपियन बनाया था, ठीक मेसी की तरह।
सचिन का वह छठा वनडे विश्व कप था। हालांकि, मेसी की तरह वह भी दो बार वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचे। एक बार उन्हें शिकस्त मिली और एक बार उनकी टीम चैंपियन बनी। 2003 वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी। ठीक उसी प्रकार जैसे मेसी की टीम अर्जेंटीना 2014 फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल में जर्मनी से हार गई थी। मेसी भी अपने करियर में सिर्फ दो वर्ल्ड कप फाइनल खेले। इसमें से एक हारे और एक जीते।
इस तरह 10 नंबर की जर्सी के लिए उसका आखिरी विश्व कप खास बन गया। हालांकि, अर्जेंटीना के कोच लियोनल स्केलोनी ने तो 2026 विश्व कप के लिए भी टीम में उनकी जगह पक्की कर ली है। फीफा वर्ल्ड कप फाइनल के बाद स्केलोनी ने यह बात कही। हालांकि, उनके कहने का यह भी मतलब हो सकता है कि अगर मेसी खेलते रहे तो अगला विश्व कप जरूर खेलेंगे, लेकिन ऐसा होने की उम्मीद बेहद कम है। बहरहाल, मेसी ने न सिर्फ टीम को चैंपियन बनाया, बल्कि दुनियाभर में अपने फैन्स को खुश होने का मौका दे दिया। मेसी ने इस विश्व कप में कुल सात गोल दागे और वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में दूसरे स्थान पर रहे। उनसे ज्यादा फ्रांस के किलियन एम्बाप्पे ने गोल किए। एम्बाप्पे ने आठ गोल दागे। वहीं, 2011 क्रिकेट विश्व कप में सचिन तेंदुलकर भी सबसे ज्यादा रन बनाने वालों में दूसरे नंबर पर रहे थे।
उन्होंने तब नौ मैचों में 482 रन बनाए थे। सचिन से ज्यादा रन श्रीलंका के तिलकरत्ने दिलशान ने बनाए थे। दिलशान ने नौ मैचों में 500 रन बनाए थे। भारत ने दिलशान की टीम श्रीलंका को ही खिताबी मुकाबले में हराया था। ठीक उसी तरह, जिस तरह मेसी की टीम ने एम्बाप्पे के फ्रांस को हराया। इस तरह सचिन और मेसी दोनों ने अपने आखिरी विश्व कप में सपने को पूरा किया और ट्रॉफी जीतकर खुद को हमेशा के लिए इतिहास में अमर कर लिया।