छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
लखनऊ 23जनवरी 2022। यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. ऐसे में कुछ सीटों से भी सरकार का फैसला हो सकता है. वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में 47 सीटें ऐसी ही थीं, जिनमें जीत हार का फैसला 5 हजार से भी कम वोटों से तय हो गया था, अगर इन सीटों पर किसी भी पार्टी की ओर थोड़ा सा भी झुकाव घटता बढ़ता है तो परिणाम भी पूरी तरह बदल सकता है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार राज्य विधानसभा की कुल 403 सीटों में से 47 सीटों पर जीत-हार का फैसला कम मतों के अंतर से हुआ था जिनमें सेने 23 बीजेपी सीटों, सपा ने 13 और बीएसपी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि एक-एक सीट कांग्रेस,अपना दल और राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी।
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ओबीसी राज्य की आबादी का लगभग 50 प्रतिशत है. 2017 के चुनाव में सबसे कम जीत का अंतर सिद्धार्थ नगर की डुमरियागंज सीट पर था, जहां यूपी बीजेपी उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा उम्मीदवार सैयदा खातून को हराकर 171 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी. बीजेपी नेता अवतार सिंह भड़ाना रालोद में शामिल हो गए हैं. उन्होंने भी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के लियाकत अली को हराकर 193 मतों से जीत हासिल की थी. बसपा के श्याम सुंदर शर्मा ने मथुरा में अपने प्रतिद्वंद्वी रालोद प्रत्याशी योगेश चौधरी को हराकर 432 मतों से जीत हासिल की थी।
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तीन सीटों पर जीत का अंतर एक हजार वोटों से कम रहा. इन सीटों में गोहना, रामपुर मनिहारन (सहारनपुर) और मुबारकपुर (आजमगढ़) शामिल हैं. गोहना में बीजेपी के श्रीराम सोनकर ने अपने प्रतिद्वंद्वी बसपा के राजेंद्र कुमार को हराकर 538 से जीत दर्ज की थी. जबकि रामपुर मनिहारन में बीजेपी के देवेंद्र कुमार निम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा के रवींद्र कुमार मल्हू को 595 वोटों से हराकर जीत पाई थी। मुबारकपुर सीट पर बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर सपा प्रत्याशी को 688 के अंतर से हराया था. इस बार गुड्डू बसपा से बाहर हो गए हैं और सपा के टिकट चाह रहे हैं. कन्नौज (सुरक्षित) सीट पर बीजेपी 2017 में 2500 मतों से हार गई थी।
बीजेपी ने इस सीट से आईपीएस से नेता बने असीम अरुण को मैदान में उतारा है. सपा विधानपरिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा कि टिकट चयन से लेकर जमीनी सर्वेक्षण तक सभी पहलुओं का ध्यान रखा जा रहा है. भाजपा के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है, हमें ऐसी सभी सीटों पर फायदा होना तय है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि तमाम विपक्षी हथकंडों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अभी भी मतदाताओं के पसंदीदा हैं।
ऐसे में सारे राजनीतिक दल जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए इन सीटों पर प्रत्याशियों का चयन कर रहे हैं. विरोधी दलों के उम्मीदवारों पर भी पूरा ध्यान रखा जा रखा जा रहा है. ये पार्टियांसावधानी से इन सीटों पर अपने उम्मीदवारों का चुनाव कर रहे हैं. हर सीट पर पार्टियों के अंदरूनी सर्वेक्षण उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. बीजेपी को भरोसा है कि मौजूदा चुनावों में उनके हिंदुत्व और विकास के मुद्दे से न केवल इन सीटों पर बल्कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। कुछ जाति आधारित क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन पर सपा नेता अखिलेश यादव जोश में हैं. दावा है कि नतीजे सभी निर्वाचन क्षेत्रों में उनके पक्ष में होंगे. सपा पिछड़ी जाति के नेताओं जैसे स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धरम सिंह सैनी को अपने पक्ष में करने को लेकर उत्साहित है।