मोदी सरकार ने पूरा किया राजीव गांधी का ‘सपना’, श्रीलंका से बड़ा तेल टैंक समझौता, चीन को झटका

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

कोलंबो 04 जनवरी 2022। चीन के कर्जजाल से कंगाल श्रीलंका ने ड्रैगन को बड़ा झटका देते हुए भारत के साथ त्रिंकोमाली तेल टैंक समझौता किया है। भारत और श्रीलंका संयुक्‍त रूप से त्रिकोमाली तेल टैंक परिसर का निर्माण करेंगे। रणनीतिक ल‍िहाज से बेहद अहम इस समझौते के तहत त्रिंको पेट्रोलियम टर्मिनल लिमिटेड सीलोन पेट्रोलियम कार्पोरेशन और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के साथ मिलकर 61 तेल टैंक विकसित करेंगे। भारत के तमिलनाडु राज्‍य से बेहद करीब बन रहे इन तेल टैंक का सबसे पहले सपना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देखा था।

श्रीलंका की गोटाबाया राजपक्षे सरकार की कैबिनेट ने त्रिंकोमाली तेल टैंक प्रॉजेक्‍ट को भारत के साथ मिलकर बनाने को मंजूरी दे दी है। इस डील के बारे में सबसे पहले 29 अक्‍टूबर 1987 को हुए भारत-श्रीलंका समझौते में जिक्र किया गया था। इसमें कहा गया था कि इस टैंक को संयुक्‍त रूप से दोनों देश विकसित करेंगे लेकिन 35 साल बीत जाने के बाद भी यह समझौता लटका हुआ था। उस समय राजीव गांधी और श्रीलंका के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति जे आर जयवर्द्धने के बीच पत्रों का आदान प्रदान भी हुआ था।

त्रिंकोमाली बंदरगाह को नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता था अमेरिका
श्रीलंका में चल रहे गृहयुद्ध की वजह से यह समझौता करीब 15 साल तक ठंडे बस्‍ते में पड़ा रहा। इसके बाद 2002 में नार्वे की मध्‍यस्‍थता में गृहयुद्ध समाप्‍त हुआ। फिर ऐसी खबरें आईं कि अमेरिका श्रीलंका के त्रिंकोमाली बंदरगाह को नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता है ताकि अफगानिस्‍तान में रसद को आसानी से पहुंचाई जा सके। इसके बाद भारतीय उच्‍चायुक्‍त ने त्रिंकोमाली का दौरा किया था। यह तेल टैंक द्वितीय विश्‍वयुद्ध के समय के पहले का है जहां 10 लाख टन तेल रखा जा सकता है।

इस तेल टैंक स्‍टोरेज के पास ही त्रिंकोमाली बंदरगाह है। त्रिंकोमाली चेन्‍नई का सबसे करीबी बंदरगाह है। चीन श्रीलंका के इस इलाके पर लंबे समय से नजरे गड़ाए हुए था। श्रीलंका ने यह समझौता ऐसे समय पर किया है जब श्रीलंका में वित्तीय और मानवीय संकट गहरा गया है। चीन के कर्जजाल की वजह से महंगाई रेकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई है, खाद्य पदार्थों की कीमत में बेतहाशा तेजी आई है और सरकारी खजाना तेजी से खाली हो रहा है। इससे आशंका जताई जा रही है कि श्रीलंका इस साल दिवालिया हो सकता है।

चीन के कर्ज को चुकाते-चुकाते श्रीलंका की कमर टूट गई
श्रीलंका की यह हालत कैसे हुई? इसके कई कारण हैं। कोरोना संकट के कारण देश का टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ। साथ ही सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और टैक्स में कटौती ने हालात को और बदतर बना दिया। ऊपर से चीन के कर्ज को चुकाते-चुकाते श्रीलंका की कमर टूट गई। देश में विदेशी मुद्रा भंडार एक दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। सरकार को घरेलू लोन और विदेशी बॉन्ड्स का भुगतान करने के लिए पैसा छापना पड़ रहा है।

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