
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 14 नवंबर 2021। मणिपुर के चुराचांदपुर इलाके में उग्रवादियों ने कायराना हरकत की। शनिवार की सुबह असम राइफल्स की 46वीं बटालियन का काफिला इलाके से गुजर रहा था, तभी घात लगाकर बैठ उग्रवादियों हमला कर दिया। इस हमले में कर्नल विप्लव त्रिपाठी के साथ उनकी पत्नी समेत बेटे की भी मौत हो गई। कर्नल विप्लव त्रिपाठी कमांडिंग ऑफिसर थे। इस हमले में पांच जवान भी शहीद हो गए और जो घायल हुए हैं उनको उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है। हमले में शहीद हुए कर्नल त्रिपाठी अपने स्वतंत्रता सेनानी दादा से प्रेरित थे, जो संविधान सभा के सदस्य भी थे।
कर्नल के रिश्तेदार राजेश पटनायक ने कहा कि विप्लव अपने दादा, एक महान स्वतंत्रता सेनानी से प्रेरणा लेकर, राष्ट्र की सेवा करने के लक्ष्य के साथ भारतीय सेना में शामिल हुए थे। सेना में जाने के लिए उनके पिता जो एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और उनकी माँ एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं उन्हें दोनों ने प्रोत्साहित किया। उन्होंने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है। हमें उस पर गर्व है।
दरअसल, असम राइफल्स के क्विक एक्शन टीम की टुकड़ी में कमांडिंग अफसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी अपने परिवार के सदस्यों के साथ कैंप में लौट रहे थे। शनिवार सुबह करीब 10 बजे टीम सुंघट इलाके (जो कि म्यांमार सीमा के पास है) से गुजर रही थी, तभी उग्रवादियों ने काफिले को निशाना बनाया। हमले की अभी तक किसी उग्रवादी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि हमले के पीछे अलग मणिपुर की मांग करने वाले पीपुल्स रिवोल्युशनरी पार्टी ऑफ कांग्लेईपाक (प्रीपाक) के उग्रवादियों का हाथ होने का संदेह जताया जा रहा है क्योंकि प्रीपाक 12/13 नवंबर को अपना स्मृति दिवस मनाता है।
असम राइफल्स के मुताबिक जवानों और उग्रवादियों के बीच फायरिंग से पहले एक जबर्दस्त आईईडी धमाका हुआ था। दोनों ओर से हुई फायरिंग के बीच कमांडिंग अफसर और तीन त्वरित प्रतिक्रिया टीम के सदस्यों की मौके पर ही मौत हो गई। घायलों को बेहिआंगा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया।
बटालियन कई उपलब्धियां हासिल कीं
असम राइफल्स ने कहा, कर्नल त्रिपाठी के नेतृत्व में बटालियन ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। वे मिजोरम के स्थानीय लोगों से भी जुड़े हुए थे। जनवरी 2021 में उनके नेतृत्व में चलाया गया नशा के खिलाफ चलाए गए अभियान को भी लोगों ने काफी सराहा। समाज के लिए उनकी सद्भावना अनंतकाल तक चलेगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ‘कायरतापूर्ण’ हमला बताते हुए कहा कि इसके दोषियों को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, मणिपुर के चुराचांदपुर में असम राइफल्स के काफिले पर कायराना हमला बेहद दुखद और निंदनीय है।
देश ने 46वीं असम राइफल्स के सीओ सहित पांच बहादुर सैनिकों और उनके परिवार के दो सदस्यों को खो दिया है। सिंह ने कहा, शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं। दोषियों को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। वहीं, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य के सुरक्षा बल और अर्द्धसैनिक बल पहले से ही उग्रवादियों का पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर कहा, हमलावरों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
जवानों के बलिदान को देश कभी नहीं भूलेगा : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए ट्वीट किया, हमले में जान गंवाने वाले शहीद जवानों व उनके परिवारों को श्रद्धांजलि देता हूं। आपका बलिदान कभी भुलाया नहीं जाएगा। दुख के इन क्षणाें में मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।
देश की सुरक्षा में मोदी सरकार की नाकामी फिर सामने आई: राहुल
मणिपुर आतंकी हमले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, एक बार फिर देश की सुरक्षा में मोदी सरकार की नाकामी सामने आई है। मैं मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। आपका बलिदान देश कभी नहीं भूलेगा। राहुल के अलावा कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और जयराम रमेश ने भी इस हमले की निंदा की और दोषियों के प्रति सख्त कार्रवाई की मांग की।
कर्नल विप्लव त्रिपाठी के भाई भी सेना में अधिकारी
मणिपुर में उग्रवादियों के हमले में शहीद असम रायफल्स के कमांडर कर्नल विप्लव त्रिपाठी के भाई लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल त्रिपाठी भी सेना में हैं। कर्नल त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म 1980 में हुआ था। उन्होंने सैनिक स्कूल रीवा में पढ़ाई की थी। असम राइफल्स में लेफ्टिनेंट कमांडेंड रहे त्रिपाठी को डिफेंस स्टडी में एमएससी करने के बाद प्रोमोशन मिला था। उनके पिता सुभाष त्रिपाठी रायगढ़ जिले के एक दैनिक समाचार पत्र के संपादक हैं और उनके दादा किशोरी मोहन त्रिपाठी, संविधान सभा के सदस्य थे।
कर्नल की मुस्कान दिल को छूने वाली थी…
कर्नल विप्लव त्रिपाठी को जानने वाले उनकी दिल को छू लेने वाली मुस्कान को याद करते हैं। वे हमेशा प्रसन्नचित्त रहने वाले एक बेहतरीन इंसान थे। उनसे मिलने वाला व्यक्ति उनके करिश्माई व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। अपने व्यवहार के कारण ही वे लोगों के बीच भी लोकप्रिय थे। यहां तक ही मिजोरम की जनता भी उनसे परिचित थी। वहां के लोगों से भी उनका विशेष लगाव था।
4 जून, 2018 के बाद यह सुरक्षा बलों दूसरा बड़ा हमला था। इससे पहले चंदेल जिले में उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों पर हमला किया था जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे और कुछ जख्मी हो गए थे। उग्रवादियों ने पहाड़ी रास्ते पर पहले आईईडी विस्फोट किया और उसके बाद पहाड़ी के ऊपर से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने पत्थर और पेड़ों की आड़ लेकर जवाबी फायरिंग शुरू की। सूत्रों के मुताबिक उग्रवादियों को उनके मूवमेंट की पूरी जानकारी थी।