छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
अहमदाबाद 12 सितम्बर 2021। गुजरात विधानसभा चुनाव से 15 महीने पहले ही मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पिछले महीने अगस्त में बतौर सीएम पांच साल पूरे करने वाले रूपाणी के अचानक इस्तीफे ने सभी को चौंका दिया। नए सीएम के तौर पर उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, प्रदेश कृषिमंत्री आरसी फाल्दू और केंद्रीय मंत्रियों पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मंडाविया के नाम आगे चल रहे हैं। सभी पार्टी विधायकों को शनिवार रात तक गांधीनगर पहुंचने को कहा गया था। रविवार सुबह विधानमंडल दल की बैठक में नए सीएम का चुनाव हो सकता है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और नरेंद्र सिंह तोमर आज भाजपा केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर गुजरात पहुंचेंगे। प्रदेश में अगले साल दिसंबर में 182 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव होने हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद इस राज्य से आते हैं, ऐसे में भाजपा के लिए प्रदेश के विधानसभा चुनाव काफी अहमियत रखते हैं। 65 वर्षीय रूपाणी ने दिसंबर 2017 में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। राज्यपाल आचार्य देवव्रत को इस्तीफा सौंपने के बाद रूपाणी ने कहा, मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। यह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का फैसला है। मैंने पांच साल प्रदेश की सेवा की और राज्य के विकास में अपना योगदान दिया। अब पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे निभाऊंगा। उन्होंने कहा कि भाजपा में यह परंपरा रही है कि समय-समय पर पार्टी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बदलती रहती है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मुझ जैसे आम कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की जनता की सेवा करने का मौका दिया।
प्रदेश अध्यक्ष से मतभेदों से किया इनकार
इस्तीफे की वजह पर रूपाणी ने कहा कि भाजपा में पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए यह रिले रेस जैसा है। एक दूसरे को बैटन सौंपता रहता है। अगले सीएम पर उन्होंने कहा कि इस बारे में पार्टी फैसला लेगी। उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के साथ किसी तरह के मतभेद से इनकार किया। वह 7 अगस्त 2016 को पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उन्हें आनंदीबेन पटेल की जगह सीएम पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पार्टी ने 2017 में उनके ही नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता। इस साल 7 अगस्त को ही उन्होंने सीएम के तौर पर पांच साल पूरे किए थे। राज्यपाल को इस्तीफा देने गए रूपाणी के साथ प्रदेश के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, भूपेंद्रसिंह चूड़ासामा, प्रदीपसिंह जडेजा के साथ ही प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला और मनसुख मंडाविया भी थे।
पाटीदार समुदाय के नेता को मिल सकता है मौका
रूपाणी जैन समुदाय से आते हैं, जिसकी राज्य में जनसंख्या करीब दो फीसदी है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस बार पाटीदार समुदाय से किसी को मुख्यमंत्री बना सकती है क्योंकि 2017 विधानसभा चुनाव में इस समुदाय की नाराजगी पार्टी को झेलनी पड़ी थी। पार्टी के एक नेता ने कहा कि नितिन पटेल, आरसी फाल्दू, पुरुषोत्तम रुपाला और मनसुख मंडाविया के नामों पर चर्चा की गई, लेकिन अभी यह कहना कठिन होगा कि कौन सीएम होगा क्योंकि यह फैसला पीएम मोदी लेंगे। नितिन पटेल का नाम आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद भी सामने आया था लेकिन अंतिम क्षणों में रूपाणी के नाम पर मुहर लगी। नितिन और मनसुख दोनों ही प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इनके अलावा दादरा नगर हवेली व लक्षद्वीप के उपराज्यपाल प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का चर्चा में है। लक्षद्वीप में उनके कई फैसलों का जबरदस्त विरोध हो रहा है। उन्हें गुजरात लाए जाने से केरल और लक्षद्वीप में चल रहा आंदोलन भी शांत हो जाएगा।
उपचुनाव की संभावना नहीं
सीएम पद की दौड़ में जिन लोगों के नाम चल रहे हैं, उनके केवल नितिन पटेल ही विधानसभा सदस्य हैं। अन्य नामों में से किसी को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर उसे अगले छह महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना होगा। इसके लिए उपचुनाव कराना होगा। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा उपचुनाव नहीं कराना चाहेगी। 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 99 और कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी।
उत्तराखंड में दो तो कर्नाटक में एक सीएम बदला
रूपाणी से पहले भाजपा उत्तराखंड और कर्नाटक में भी अपने मुख्यमंत्रियों को बदल चुकी है। उत्तराखंड में तो कुछ ही महीनों के भीतर दो बार मुख्यमंत्री बदले गए। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत और उसके बाद तीरथ सिंह रावत को त्यागपत्र देना पड़ा। तीरथ चार महीने ही सीएम रहे। इसके बाद पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। कर्नाटक में भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को अपने पद से हटना पड़ा। उनकी जगह बासवराज बोम्मई को सीएम बनाया गया।