छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायपुर 04 अगस्त 2021। छत्तीसगढ़ वन विभाग जंगली हाथियों के लिए धान खरीदने की योजना बना रहा है जो राज्य के उत्तरी हिस्सों के गांवों में नियमित रूप से प्रवेश करते हैं और संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। ये हाथी कई बार लोगों की जान लेते हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदने वाले छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन महासंघ (मार्कफेड) ने वन विभाग को 2,095.83 रुपये प्रति क्विंटल धान उपलब्ध कराने पर सहमति जताई है।उन्होंने कहा कि सरगुजा, रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर, महासमुंद, धमतरी, गरियाबंद, बालोद, बलरामपुर और कांकेर जैसे जिलों में यह समस्या सबसे गंभीर है। सरकारी रिकॉर्ड दिखाते हैं कि 2018, 2019 और 2020 में इस तरह के संघर्षों में 204 लोग और 45 हाथी मारे गए हैं।
इस दौरान हाथियों द्वारा फसलों को नष्ट करने के 66,582 मामले, घरों को नुकसान के 5,047 मामले और अन्य संपत्तियों को नष्ट करने के 3,151 मामले भी सामने आए हैं। हाथी आम तौर पर धान सहित भोजन की तलाश में गांवों में भटक जाते हैं और घरों व फसलों को नष्ट कर देते हैं। ऐसी घटनाओं से लोगों की जान भी जाती है। उन्हें मानव आवास से दूर चारा उपलब्ध कराने से मानव-पशु संघर्ष को कम करने में मदद मिल सकती है। राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) पीवी नरसिंह राव ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि हाथियों को गांवों में प्रवेश करने से रोकने के लिए धान को जंगलों में रखा जाएगा।
उन्होंने कहा, शुरुआत में इसे कुछ गांवों में पायलट आधार पर लागू किया जाएगा और हाथियों के व्यवहार के आधार पर इसे अन्य क्षेत्रों में भी दोहराया जाएगा। मार्कफेड के अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने वन विभाग को 2095.83 रुपये प्रति क्विंटल पर धान की आपूर्ति करने की पेशकश की थी और भंडारण केंद्रों के नाम भी दिए थे जहां से इसे एकत्र किया जा सकता है। इस बीच, विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता धर्मलाल कौशिक ने कहा कि यह राज्य में कांग्रेस सरकार द्वारा सड़े और अंकुरित धान को उच्च दरों पर छुटकारा दिलाने के लिए एक कदम है।