छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
मुंबई 04 फरवरी 2025। महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी दफ्तरों में मराठी भाषा के उपयोग को लेकर एक शासनादेश (जीआर) जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक, सभी सरकारी कार्यालयों, अर्द्ध-सरकारी कार्यालयों, महाराष्ट्र सरकार के तहत आने वाली कंपनियों और अन्य सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों को अपने दफ्तों में आने वाले सभी आगंतुकों से मराठी भाषा में बात करनी होगी। हालांकि, यह नियम विदेश से आने वाले या अन्य गैर-मराठी राज्यों से आने वाले आगंतुकों पर लागू नहीं होगा। वहीं, केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों और बैंकों को मराठी भाषा में ही साइन बोर्ड लगाने होंगे। इसमें आगे कहा गया है कि अगर कोई सरकारी अधिकारी इस नियम का उल्लंघन करता है, तो संबंधित दफ्तर या विभाग के प्रभारी के पास औपचारिक शिकायत दर्ज की जा सकती है, ताकि जरूरी कार्रवाई की जा सके। इस उल्लंघन को सरकारी अनुशासनहीनता मानते हुए अगर शिकायतकर्ता को उस अधिकारी के खिलाफ की गई कार्रवाई से संतुष्टि नहीं मिलती है, तो वह शिकायतकर्ता महाराष्ट्र विधानमंडल की मराठी भाषा समिति से इस मामले में अपील कर सकता है।
मराठी में ही जारी होंगे विज्ञापन और टेंडर नोटिस
महाराष्ट्र सरकार की कंपनियों, बोर्ड, निगम, अर्ध-सरकारी संस्था, स्थानीय निकाय आदि की तरफ से मराठी अखबारों में विज्ञापन, निविदा नोटिस केवल मराठी भाषा में दिए जाएंगे। जिला स्तर पर मराठी भाषा नीति को लागू करने की जिम्मेदारी जिला स्तरीय मराठी भाषा समिति की होगी। केंद्र सरकार के त्रिभाषा फार्मूले के अनुसार राज्य में केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों तथा सभी बैंकों के सामने नोटिस बोर्ड, अधिकारियों के नाम-पट्टिका तथा आवेदन-पत्र मराठी भाषा में होना अनिवार्य होगा। सरकारी और अर्ध-सरकारी प्रतिष्ठानों के साथ-साथ बोर्ड और निगम सहित सरकार के उपक्रम और कंपनियों के संचालन में केवल मराठी नामों का ही उपयोग किया जाएगा। नए नाम मराठी में ही होगा जिसका अंग्रेजी में अनुवाद नहीं किया जाएगा, बल्कि इसे रोमन लिपि में ही लिपिबद्ध किया जाएगा।