मन की बात : कोरोना संकट और कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Chhattisgarh Reporter
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देवी अन्नापूर्णा की मूर्ति भारत वापस आ रही

कृषि कानूनों से किसानों के लिए नए रास्ते खुले

किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच हुई मन की बात

छत्तीसगढ़ रिपोर्टर          

नई दिल्ली 29 नवंबर 2020। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो पर ‘मन की बात’ कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम कोरोना संकट और कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के बीच हो रहा है। फिलहाल, पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि एक खुशखबरी सुना रहा हूं. कनाडा से मां अन्नापूर्णा देवी की मूर्ति वापस लाई गई है. इसके लिए कनाडा सरकार का आभार व्यक्त करता हूं।

पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम ने कहा कि आज मैं आप सबके साथ एक खुशखबरी साझा करना चाहता हूं। हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा कनाडा से वापस भारत आ रही है. माता अन्नपूर्णा का काशी से बहुत ही विशेष संबंध है। अब उनकी प्रतिमा का वापस आना हम सभी के लिए सुखद है. माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतरराष्ट्रीय गिरोहों का शिकार होती रही हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की वापसी के साथ एक संयोग यह भी जुड़ा है कि कुछ दिन पूर्व ही वर्ल्ड हेरिटेज हेरिटेज वीक मनाया गया है। वर्ल्ड हेरिटेज हेरिटेज वीक संस्कृति प्रेमियों के लिए, पुराने समय में वापस जाने, उनके इतिहास के अहम पड़ावों को पता लगाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।

पीएम मोदी ने कहा कि आज देश में कई संग्रहालय और लाइब्रेरी अपने कलेक्शन को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का काम कर रहे हैं। दिल्ली में हमारे राष्ट्रीय संग्रहालय ने इस संबंध में कुछ सराहनीय प्रयास किए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने 12 नवंबर से डॉक्टर सलीम अली जी का 125वां जयंती समारोह शुरू हुआ है। डॉक्टर सलीम ने पक्षियों की दुनिया में बर्ड वाचिंग को लेकर उल्लेखनीय कार्य किए हैं. दुनिया में बर्ड वाचिंग को, भारत के प्रति आकर्षित भी किया है। भारत में बहुत सी बर्ड वाचिंग सोसाइटी सक्रिय हैं. पीएम ने लोगों से अपील की कि आप भी जरूर इस विषय के साथ जुड़िए।

पीएम मोदी ने कहा कि मेरी भागदौड़ की जिन्दगी में, मुझे भी पिछले दिनों केवड़िया में पक्षियों के साथ समय बिताने का बहुत ही यादगार अवसर मिला। भारत की संस्कृति और शास्त्र, हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। कई लोग तो इनकी खोज में भारत आए और हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो कई लोग वापस अपने देश जाकर इस संस्कृति के संवाहक बन गए।

दुनिया में गुरु नानक देव जी का प्रभाव

प्रधानमंत्री ने कहा कि कल 30 नवंबर को हम श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाश पर्व मनाएंगे. पूरी दुनिया में गुरु नानक देव जी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। वैंकुअवर से विलिंगटन तक, सिंगापुर से दक्षिण अफ्रीका तक उनके संदेश हर तरफ सुनाई देते हैं। गुरुग्रन्थ साहिब में कहा गया है- ‘सेवक को सेवा बन आई’, यानी सेवक का काम सेवा करना है. बीते कुछ वर्षों में कई अहम पड़ाव आए और एक सेवक के तौर पर हमें बहुत कुछ करने का अवसर मिला। क्या आप जानते हैं कि कच्छ में एक गुरुद्वारा है, लखपत गुरुद्वारा साहिब. 2001 के भूकंप से कच्छ के लखपत गुरुद्वारा साहिब को भी नुकसान पहुंचा था। यह गुरु साहिब की कृपा ही थी कि मैं इसका जीर्णोद्धार सुनिश्चित कर पाया।

कृषि कानूनों से किसानों की परेशानी दूर

पीएम मोदी ने कृषि कानूनों पर कहा कि इससे किसानों के लिए नए रास्ते खुले हैं। काफी विचार विमर्श के बाद भारतीय संसद ने कृषि कानूनों को ठोस रूप दिया।

वैक्सीन की तैयारियों का लिया था जायजा

कोरोना वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लेने के बाद पीएम मोदी मन की बात कर रहे हैं। कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए दुनियाभर में वैक्सीन तैयार करने का काम चल रहा है।

कई देशों में वैक्सीन का काम अपने अंतिम चरण में है. भारत में भी वैक्सीन की खोज का काम अंतिम चरण में है। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को देश की 3 प्रमुख लैब का दौरा किया और वहां वैक्सीन की जानकारी ली। कोरोना वैक्सीन के जायजे पर निकले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस दौरे का अंत पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ किया।

वहीं दिल्ली बॉर्डर पर किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ अपने धरने पर डटे हुए हैं।कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। सभी प्रदर्शनकारी किसान सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर डटे हैं. वहीं सरकार भी अपने रुख पर कायम है। 

बहरहाल, पीएम मोदी अपने इस कार्यक्रम में कोरोना वैक्सीन पर देशवासियों को अपडेट दे सकते हैं। देखना होगा कि क्या पीएम मोदी मन की बात के अपने 18वें संस्करण में किसानों के मुद्दे पर क्या कहते हैं।

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