छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 03 जनवरी 2024। श्रीलंका ने चीन के जासूसी जहाजों की एंट्री पर एक साल के लिए रोक लगा दी है। श्रीलंका के इस फैसले को भारत की हिंद महासागर क्षेत्र में बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। पिछले दो साल के दौरान चीन के दो बड़े जासूसी जहाजों ने श्रीलंका के हंबनटोटा और कोलंबो बंदरगाहों पर लंगर डाला था। कोलंबो के डिफेंस स्टाफ कॉलेज के अटॉर्नी इंदिका परेरा का कहना है कि चीन के जासूसी जहाजों की श्रीलंका में आवाजाही और लंगर डालने के बारे में भारत कई बार विरोध दर्ज करा चुका है। अमेरिका ने भी श्रीलंका को चेताया था। परेरा के अनुसार श्रीलंका ने भारत और अमेरिका की तरफ से कड़ी आपत्ति दर्ज कराने के बाद चीन के जहाजों पर रोक का कदम उठाया है। चीन का जासूसी जहाज शियांग सेंग हॉन्ग 3 इस महीने के अंत में श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में आने वाला था। चीन के जासूसी जहाज हिंद महासागर की मैपिंग के लिए श्रीलंका में लंगर डालते हैं। श्रीलंका के दक्षिण में हिंद महासागर के अथाह विस्तार में पेट्रोलियम, गैस और मिनरल के भंडार हैं। चीन इनका डेटा जमा करता है। जहाजों से डेटा सैटेलाइट के जरिए चीन पहुंचता है। वहां से डेटा को प्रोसेस करके नेवी को दिया जाता है।चीन का पूर्वी क्षेत्र प्रशांत महासागर में खुलता है। शेष चीन का 70% हिस्सा लैंड लॉक है। हिंद महासागर के व्यापारिक और सामरिक क्षेत्र में चीन का गेम प्लान श्रीलंका और पाकिस्तान के ग्वादर के जरिए समुद्र में पहुंच बढ़ाना है। 2023 में चीन के 25 जासूसी शिप ने हिंद महासागर में लंगर डाले थे।
थिंक टैंक का कहना है कि ये राष्ट्रपति रानिल विक्रमासिंघे का चुनावी साल में भारत- अमेरिका को साधने का बड़ा दांव है। संभावना है कि वे अन्य देशों के जासूसी जहाजों की एंट्री पर भी बैन लगा दें जिससे श्रीलंका को चीन की नाराजगी भी नहीं झेलनी पड़े। चीन का शियांग सेंग हॉन्ग 3 जहाज इसी महीने श्रीलंका पहुंचने वाला था। ये जहाज 2021 में इंडोनेशिया में अपनी लोकेशन को ऑफ कर चीन की सेना को डेटा भेजते पकड़ा गया था। श्रीलंका के सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के जासूसी जहाजों के बार-बार आने के दो मंसूबे हैं। भविष्य के समुद्री युद्ध के लिए अपनी पनडुब्बियों (सबमरीन) के लिए समुद्र तल (सी बेड) के नक्शे तैयार करना और समुद्री खनिजों की पड़ताल करना।
भारतीय समुद्री सीमा के करीब चीन ये सब रिसर्च के नाम पर कर रहा है। बंगाल की खाड़ी से ऑस्ट्रेलिया तक 5 हजार किमी लंबी है नाइंटी ईस्ट रिजसमुद्र के भीतर बंगाल की खाड़ी से शुरू होने वाली ये नाइंटी ईस्ट रिज (पहाड़ी चोटी) उत्तर से दक्षिण तक लगभग 5 हजार किमी लंबी है। सतह से दो हजार मीटर नीचे ये पहाड़ी हिंद और प्रशांत महासागर को अलग भी करती है।इसके सर्वे और मैपिंग से चीन को सबमरीन वॉर फेयर में सीक्रेट सबमरीन रूट हासिल हो जाएंगे।