छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नागपुर 25 अक्टूबर 2023। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, निरंतर संघर्ष और हिंसा का सामना कर रही दुनिया के सामने शांति की स्थापना के लिए भारत की संस्कृति को अपनाना ही अंतिम विकल्प है। भारतीय संस्कृति ही दुनिया में खोए संतुलन को वापस ला सकती है। यह इसलिए कि अनुभव से निर्मित हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र देती है। हमारी संस्कृति अनेकता को समस्या नहीं मानती, बल्कि इसका शृंगार करती है, जो मानती है कि हम सभी एक दुनिया से निकले हैं।
नागपुर में दशहरा रैली में शांति स्थापित करने के लिए दुनिया में हुए कई प्रयोगों का हवाला देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि समाजवाद, पूंजीवाद अपनाने के बावजूद संघर्ष नहीं रुके। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया इस्राइल के युद्ध का सामना कर रही है। यह सुख के लिए साधनों पर कब्जा करने से उत्पन्न समस्या है। इस समस्या का हल पूंजीवाद, समाजवाद में नहीं है। सही मायने में दुनिया में शांति की स्थापना भारतीय संस्कृति से ही संभव होगी।
अनुभव से हुआ संस्कृति का निर्माण
भागवत ने कहा कि भारतीय संस्कृति में करुणा, तपस्या, सत्य और शुचिता धर्म की चौखट हैं। यह संस्कृति थ्योरी पर आधारित न होकर पूर्वजों के अनुभव से निर्मित हुई है। इसी अनुभव पर आधारित संस्कृति ने इन चार मूल्यों को हमारी आदत में शामिल किया है। यह स्वार्थ, काम, क्रोध, मोह से दूर रहने और अपने सुख से दूसरों का दुख दूर करने की शिक्षा देता है। यह मानवजाति पर नियंत्रण की बात नहीं करता।
स्वदेशी, पर्यावरण बचाने का दिया मंत्र
संघ प्रमुख ने इस दौरान पर्यावरण बचाने, फिजूलखर्ची रोकने और स्वदेशी अपनाने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी अपनाएंगे तो देश का पैसा देश में रहेगा। रोजगार बढ़ेंगे और देश सशक्त होगा। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार के साथ ही समाज से भी आगे आने की अपील की।
मुट्ठीभर लोगों का शासन चाहते हैं मार्क्सवादी
संघ प्रमुख ने मार्क्सवादियों पर हमला बोलते हुए इन्हें समाजविरोधी तत्व करार दिया। उन्होंने कहा, खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी और जागृत बताने वाले इन तत्वों ने मार्क्स को 1920 में ही भुला दिया। ये चाहते हैं कि संपूर्ण मानवजाति पर मुट्ठीभर लोग शासन करें। इसके लिए हर क्षेत्र में भ्रम फैलाते हैं। इनका विश्व की बेहतर व्यवस्था, मांगल्य, संस्कार और संयम से विरोध है।
22 जनवरी को देशभर के मंदिरों में मनाएं उत्सव
भागवत ने कहा, हमारे संविधान की मूल प्रति के एक पृष्ठ पर जिनका चित्र अंकित है, ऐसे धर्म के मूर्तिमान प्रतीक श्रीराम के बालक रूप का मंदिर अयोध्या में बन रहा है। अगले साल 22 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। व्यवस्थागत कठिनाइयों व सुरक्षा कारणों से उस पावन अवसर पर अयोध्या में बहुत बड़ी संख्या में लोग नहीं रह पाएंगे। अपने-अपने स्थान पर ही ऐसा वातावरण बने, इसके लिए इस अवसर पर लोग देशभर के मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित करें।
संघ की देश के प्रति निष्ठा प्रेरणादायी
आरएसएस की दशहरा रैली में प्रसिद्ध संगीतकार शंकर महादेवन ने संघ की देश के प्रति निष्ठा और कार्य को प्रेरणादायी बताया। शंकर महादेवन इस बार संघ की दशहरा रैली में बतौर मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि अखंड भारत, सांस्कृति के संवर्धन में संघ का मौलिक योगदान है।
आज भारत को दुनिया आदर की नजर से देखती है। संगीत हमारी थाती है। हम कोशिश करते हैं कि शास्त्रीय संगीत से हमारा संस्कृति का प्रभाव आने वाली पीढ़ी तक पहुंचे। 11 साल पहले मैने संगीत अकादमी का गठन किया। आज 90 देशों में लोग शास्त्रीय संगीत सीख रहें है। हमें अपने संगीत पर गर्व है।