निर्गुण्डी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

निर्गुण्डी एक बहुत ही गुणी औषधि है जो  कफ और वात को नष्ट करता है और दर्द को कम करता है। इसको त्वचा के ऊपर लेप के रूप में लगाने से सूजन कम होता है। घाव को ठीक करने, घाव भरने आदि में निर्गुण्डी के फायदे मिलते हैं। यह बैक्टीरिया और कीड़ों को नष्ट करता है। खाए जाने पर यह भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है। लीवर रोग में भी निर्गुण्डी से लाभ  मिलता है।

कुष्ठ रोग के इलाज में भी निर्गुण्डी के फायदे मिलते हैं। यह पेशाब बढ़ाता है, स्त्रियों में मासिक धर्म विकार को ठीक करता है। यह ताकत बढ़ाने वाला, रसायन है जो आँखों के लिए लाभकारी होता है। यह सूखी खाँसी ठीक करने वाला,  खुजली तथा बुखार विशेषकर टायफायड बुखार को ठीक करने वाला है। कानों का बहना रोकता है। इसका फूल, फल और जड़ आदि पांचों अंगों में भी यही गुण होते हैं। फूलों में उलटी रोकने का भी गुण होता है। आइए जानते हैं कि निर्गुण्डी से और क्या-क्या लाभ ले सकते हैं।

निर्गुण्डी के फायदे और उपयोग 

सिर दर्द में निर्गुण्डी के फायदे

  1. निर्गुण्डी फल के 2-4 ग्राम चूर्ण को दिन में दो-तीन बार शहद के साथ सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है। 
  2. निर्गुण्डी के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप करने से सरदर्द शांत होता है। 
  3. निर्गुंडी, सेंधा नमक, सोंठ, देवदारु, पीपर, सरसों तथा आक के बीज को ठंडे जल के साथ पीसकर गोली बना लें। इस गोली को जल में घिसकर मस्तक पर लेप करने से सरदर्द ठीक होता है।

मुंह के छाले में निर्गुण्डी के सेवन से लाभ

निर्गुण्डी के पत्तों को पानी में उबालकर, उस पानी से कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है।

निर्गुंडी तेल (Nirgundi Oil) को मुंह, जीभ तथा होठों में लगाने से तथा हल्के गर्म पानी में इस तेल को मिलाकर मुंह में रखकर कुल्ला करने से मुँह के छाले एवं फटे होंठों में लाभ  होता है।

पेट के रोग में निर्गुण्डी के सेवन से लाभ

10 मि.ली. निर्गुण्डी पत्तों के रस में 2 दाने काली मिर्च और अजवायन चूर्ण मिला लें। इसे सुबह-शाम सेवन करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है, पेट का दर्द ठीक होता है, और पेट में भरी गैस निकलती है।

फोड़ो के इलाज में लाभकारी निर्गुंडी 

निर्गुंडी का प्रयोग फोड़ों के इलाज में किया जाता है क्योंकि निर्गुंडी में एन्टीबैक्ट्रियल और एंटीफंगल का गुण पाया जाता है जो कि घाव को फैलने नहीं देता है और फोड़े को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। 

चर्म रोग में निर्गुण्डी का औषधयी गुण

  1. 10-20 मिली निर्गुण्डी के पत्तों का रस सुबह-शाम पिलाने, और फफोलों पर पत्तों की सेंक करने से नारू रोग ठीक होता है। 
  2. निर्गुण्डी की जड़ और पत्तों से पकाए तेल को लगाने से पुराने घाव, खुजली,एक्जीमा आदि चर्म रोग ठीक होते हैं।
  3. बराबर मात्रा में निर्गुण्डी के पत्ते, काकमाची तथा शिरीष के फूल को कुचल लें। इसमें घी मिला कर लेप करें। इससे चर्म रोग और विसर्प रोग में काफी लाभ होता है। 
  4. दाद से प्रभावित स्थान पर निर्गुण्डी पत्तों को घिस लें। इसके बाद निर्गुण्डी रस में मिलाकर लेप करें। इससे शीघ्र लाभ (nirgundi ke fayde) होता है। 
  5. निर्गुण्डी की जड़ एवं पत्तों के रस से पकाए हुए तिल तेल को पीने और उसकी मालिश आदि करने से नासूर, कुष्ठ, गठिया के दर्द, एक्जीमा आदि ठीक होते हैं।

बुखार में निर्गुण्डी के फायदे

  1. निर्गुण्डी के 20 ग्राम पत्तों को 400 मि.ली. पानी में चौथाई शेष रहने तक उबालकर काढ़ा बनायें। 10-20 मि.ली. काढ़े में दो ग्राम पिप्पली का चूर्ण मिलाकर पिलाने से निमोनिया बुखार में लाभ होता है। 
  2. निर्गुन्डी के 10 ग्राम पत्तों को 100 मि.ली. पानी में उबालकर सुबह और शाम देने से बुखार और गठिया में लाभ होता है। 
  3. मलेरिया यानी ठंड लगकर होने वाले तेज बुखार और कफ के कारण होने वाले बुखार के साथ अगर छाती में जकड़न हो तो निर्गुण्डी के तेल की मालिश करनी चाहिए। प्रयोग को ज्यादा असरदार बनाने के लिए तेल में अजवायन और लहसुन की 1 – 2 कली डाल दें, और तेल हल्का गुनगुना कर लें।

 गले के दर्द में निर्गुण्डी के फायदे

  1. निर्गुण्डी के पत्तों को पानी में उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से गले का दर्द ठीक होता है।
  2. निर्गुंडी तेल को मुंह, जीभ तथा होठों में लगाने से, तथा हल्के गर्म पानी में इस तेल को मिलाकर मुंह में रख कर कुल्ला करने से गले का दर्द, टांसिल में लाभ  होता है। 
  3. इसकी जड़ को जल से पीस-छानकर 1 – 2 बूँद रस नाक में डालने से गंडमाला यानी गले में गांठों का रोग ठीक होता है।

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